यह spiritual stories in hindi कहानी है , जो रोचक और सच्ची घटना पर आधारित एक प्रेरक कहानी है। यह हिन्दी कहानी कई अनोखा पात्रों से भरपूर है। यह हिंदी की अच्छी कहानी में से एक है।
यह कहानी एक बेहतर सीख के साथ -साथ कहानी में एक भावनात्मक परिस्थिति भी प्रस्तुत करती है। साथ ही यह सचमुच spiritual stories in hindi है।
हमारी अन्य संग्रह में नींद वाली कहानी भी एक मनोरजक कथा संग्रह हैं , जो बच्चों की अच्छी परवरिश और उनकी कल्पनाओं को नयी दुनिया में ले जाकर मन में रोमांच पैदा करती हैं । ये कहानी रात के वक्त बच्चों को एक अलग दुनिया में ले जाती हैं।
उन कहानियों का नायक बच्चों के सपनों में चमत्कारिक रूप से सामने आकर जीवन का जरुरी पाठ पढ़ाती हैं। यह spiritual stories in hindi को बड़े बच्चे भी पढ़कर आनंद उठा सकतें हैं।
चुहिया बनी राजकुमारी : Spiritual Stories in hindi
किसी जंगल में एक बहुत बड़े ऋषि (साधु ) रहा करते थे। उन्हें बहुत सारी दैविक शक्तियां प्राप्त थी। एक दिन की बात है. वह साधु नदी किनारे पूजा में लीन थे, तभी आसमान में उड़ते हुए एक बाज पछी जो अपनी चोंच में चुहिया को पकड़ कर उड़ा जा रहा था, उसकी चोंच से चुहिया किस तरह से छुटकर ऋषि के हाथों में आकर गिर गई।
चुहिया की छोटी-छोटी पुंछ और दो चमकीली आंखें थी। चुहिया को देखकर ऋषि को उसपर पर दया आ गई। वह उस चुहिया को घर ले जाना चाहा। घर ले जाने से पहले अपने जादू -मंत्र से उस चुहिया को ऋषि ने एक सूंदर लड़की में बदल दिया। फिर उस लड़की को घर ले कर आ गए।
घर पर अपनी पत्नी से बोले, देखो तुम हमेशा से संतान की चाहत रखती थी न, देखो , इस लड़की को आज से अपनी पुत्री समझ कर प्यार से इसका पालन पोषण करो। साधु की पत्नी भी पुत्री को देखकर काफी खुश हो गयी। आज से उस लड़की को ऋषि की पत्नी ने एक राजकुमारी की तरह पालन पोषण करना शुरू कर दिया।
साल दर साल बीतते चले गए ,छोटी सी वह लड़की एक सुंदर युवती बन चुकी थी। अब वह पुरे 17 वर्ष की एक सुंदर युवती हो चुकी थी साधु और उसकी पत्नी या सोचने लगे थे कि अब समय आ गया है कि उसके लिए एक योग्य वर की तलाश कर उसके हाथ- पीले कर उसकी शादी कर दी दिया जाए।
साधु और उसकी पत्नी अब उसके लिए एक सुंदर वर की तलाश करना शुरू कर दिया। साधु ने अपनी पत्नी से कहा कि हमारी बिटिया का विवाह एक ऐसे व्यक्ति से होना चाहिए जो सबसे बड़ा और विशाल हो। मेरे ख्याल से सूरज इसके लिए योग्य वर होगा। उसकी पत्नी ने भी हाँ में हां मिलाया।
अपने जादू तंत्र के प्रयोग से साधु ने सूरज को अपने पास पृथ्वी पर बुलाया। उसने सूरज को कहा कि वह उसकी सुंदर पुत्री से विवाह कर ले , पर साधु की पुत्री ने पहले ही सूर्य से शादी करने से इनकार कर दिया। वह बोली कि ” पिताजी यह तो बहुत गर्म है मैं इससे विवाह नहीं करूंगी।
मैं इससे भी बेहतर युवक से विवाह करुँगी। साधु निराश हो गया। उसने अब सुरज से कहा कि तुम ही मेरी पुत्री के लिए कोई योग्य वर का पता बताओ। सूरज ने कहा कि बादलों- देवता से बड़ा कौन हो सकता है, वह तो इतना बड़ा है कि मेरी प्रकाश की किरण को भी रास्ते में ही रोक देता है।
आपकी पुत्री के लिए बादल ही योग्य वर होगा। साधु ने बादल को नीचे धरती पर बुलाया और अपनी पुत्री से उसकी शादी कर देने के लिए कहा। बादल तो शादी के लिए तैयार था पर इस बार भी साधु की पुत्री हीं बादल से शादी करने के लिए इनकार कर दिया। वह बोली पिताजी यह तो काफी बदसूरत है , मैं इससे विवाह कभी नहीं करूंगी।
अब साधु ने बादल देवता से बोला कि ऐसा करो तुम ही कोई अच्छा सा वर मेरी पुत्री के लिए बताओ। बादल देवता ने साधु से कहा कि आपकी पुत्री के लिए पवन देवता से अच्छा कोई वर हो ही नहीं सकता है। पवन इतना शक्तिशाली है कि मुझे अपनी फूंक से ही आसमान में उड़ा देता है। इसके बाद साधु ने पवन देवता को ही धरती पर अपने पास बुलाया और कहा कि मेरी पुत्री से तुम विवाह करो।
पवन देवता तो तैयार हो गए, परन्तु साधु की पुत्री ने फिर से शादी करने से मना कर दिया और बोली मैं इस पवन से शादी नहीं कर सकती यह तो कभी दिखते ही नहीं है , कहीं रुकते ही नहीं है ,हमेशा यहां से वहां इधर से उधर भागते ही रहते हैं। साधु ने फिर पवन देवता से कहा कि अब तुम बताओ मेरी पुत्री के लिए कौन सा वर अच्छा रहेगा जो तुमसे भी बेहतर हो।
पवन देव ने ऋषि को कहा कि ” पर्वत देव काफी मजबूत और काफी ऊंचे होते हैं ,वह मेरा रास्ता भी रोक देते हैं ,इसलिए मेरे ख्याल से पवन देवता जैसा वर ही आपकी पुत्री के लिए योग्य होगा। साधु ने पर्वत देवता को बुलाकर कहा कि वह उसकी पुत्री से विवाह करें। पर्वत देवता तो कुछ ना बोले पर उनकी पुत्री फिर से उस पर्वत से शादी करने से मना कर दिया और बोला यह बहुत लंबे और काफी कठोर है, मैं इनसे विवाह नहीं कर सकती हूं।
इससे भी कोई बेहतर मेरे लिए वर की तलाश कीजिए। पर्वत देवता ने कहा कि तब तो चूहा से ही अपनी पुत्री का विवाह कीजिए क्योंकि चूहा काफी मजबूत होता है ,वह मेरे शरीर में ही मेरे जैसे काफी सख्त मजबूत शरीर में आसानी से छेद कर अपना बिल बना लेता है। अब साधु ने चूहे के राजा को अपने नजदीक बुलाया।
चूहे को देखते ही साधु की पुत्री एकदम खुशी से उछल पड़ी। हां पिताजी यही तो है वह जिससे मैं शादी की करने की इच्छा रखती हूं। साधु अब सोचा कि इसे ही तो किस्मत कहते हैं। मेरी पुत्री पूर्व में एक चुहिया ही तो थी और एक चूहे से विवाह करना ही इसके भाग्य में लिखा था। अब उसने अपनी जादुई मंत्र का उपयोग कर अपनी पुत्री को फिर से एक सुंदर चुहिया बना दिया। चूहा -चुहिया की आपस में शादी हो गई और विवाह करके दोनों खुशी-खुशी से रहने लगे। this is called spiritual stories in hindi.
शिक्षा :- कोई भी अपने जन्मजात स्वभाव को नहीं बदल सकता है।
एक जंगल में बड़ी भारी सा पीपल का पेड़ हुआ करता था। उसके नीचे जड़ में तीतर अपना घर बना कर रहता था। उसका घर पेड़ के ठीक नीचे एक बिल में था। पीपल के आसपास जो भी छोटे -बड़े पक्षी- चिड़िया रहा करते थे उन सबों से इस तीतर की काफी अच्छी दोस्ती भी थी।
एक दिन की बात है तीतर अपने आरामगाह घर को छोड़कर जंगल में खाने की तलाश में निकला हुआ था। बहुत दूर धान के खेत में अच्छे अच्छे फसल लगे हुए थे। वह उन खेतों में पहुंचा जहाँ धान के पौधे में चावल के दाने तैयार हो चुके थे और चावल तीतर का मनपसंद खाना था। भोजन की एकदम से भरमार देखकर तीतर वहीँ खेत में ठहर गया और जी भरकर चावल के दाने का लुफ्त उठाता रहा।
वहां अन्य चिड़िया और पक्षी भी थे। उसने उन सबों को अपना दोस्त बनाया और शाम तक पूरे शान से अपने दोस्तों के साथ दाना चुगता रहा। उस दिन वह घर भी वापस नहीं लौटा था। दूसरे दिन भी अपने घर नहीं लौटा और तीसरे चौथे दिन भी वापस अपने घर नहीं आया। इसी तरह उस धान के खेत में बहुत दिन गुजर गए।
जिन दिनों तीतर बाहर था , उन्हीं दिनों आसपास के जंगल से एक खरगोश आया हुआ था। उसे जंगल में रहने का कोई ठौर – ठिकाना नहीं मिल रहा था। उसने तीतर का खाली घर देखा और उसी को अपना घर बनाकर रहने लगा। जब कुछ दिन के बाद वह तीतर वापस जंगल से अपने घर के पास आया तो उसने देखा कि उसके घर में एक खरगोश छुपा बैठा है।
तीतर खरगोश पर काफी नाराज हुआ। उसने कहा तुम यहां कैसे आ गए। तीतर ने कहा यह तो मेरा घर है। खरगोश ने कहा कि यह तुम्हारा घर कैसे हो सकता है। तीतर ने कहा काफी दिनों से यह मेरा घर है , मैं कई दिनों से रहता आ रहा हूं। तुम कैसे इस तरह मेरे घर में रह सकते हो। यह घर मैं अपने हाथों से बनाया है मैं कई वर्षों से इसी में रह रहा था कुछ दिन के लिए ही बाहर गया था।
तुम चाहो तो आस-पास के जानवरों से पूछ सकते हो। खरगोश ने कहा कि मैं यहां आया था तो यह घर बिल्कुल खाली था। मैंने इस घर को साफ सुथरा कर अपने लिए रहने के लिए बना लिया। देखो , खरगोश ने कहा मकान उसी का होता है जो उसमें रहता है, अब यह मकान सिर्फ मेरा है।
तुम्हें विश्वास ना हो तो तुम क्यों नहीं पड़ोसियों से जाकर पूछ लेते हो। तीतर ने कहा बकवास बंद करो। तीतर ने चिल्लाते हुए कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए बाहर क्या चली गई तो तुम मेरा घर कब्जा कर लोगे। अब मैं वापस आ गई हूं , मेरा घर तुम छोड़ो यहां से दफा हो जाओ। खरगोश ने कहा यह कभी भी नहीं होगा अब यह मेरा घर है मैं ही इसमें रहूंगा तुम अब दूसरा घर जाकर खोज लो।
इस तरह तीतर और खरगोश के बीच झगड़ा बढ़ने लगा। खरगोश की तू और तीतर की मैं अब सरे जंगल में फैल गई। – पशु पक्षी उस स्थान पर जमा होने लगे थे। उन्होंने तीतर की बात सुनी और खरगोश का कहा हुआ भी सुना। मगर कोई भी पशु पक्षी इसका फैसला नहीं कर पाया कि यह मकान किसका हो सकता है। सभी ने सुझाया कि मामला हल करने के लिए किसी बुद्धिमान की सलाह लेना पड़ेगा।
इस मामले को जंगल में पंचायत में रखने का निर्णय कर लिया गया। मगर इस उलझे हुए मसले को समाधान करने के लिए काफी योग्य या पंच की जरूरत थी। ऐसा योग्यपंच खोजना काफी मुश्किल था। अब जंगल में ऐसे पंच की खोज होने लगी जो इस तरह के विवादित मामले को सुलझाने की योग्यता रखता हो।
पंच की खोज में घंटों लग गए , पशु पक्षी मिलकर इधर-उधर उस योग्य पंच की तलाश में घूमते रहे। अंत में वे गंगा नदी के किनारे पहुंचे। गंगा नदी के किनारे कुछ दूरी पर एक बिल्ला अपने परिवार के साथ बैठा हुआ था। इस बिल्ले पर नजर पड़ते ही सभी पशु पक्षी के कदम जहां के तहत स्थिर हो गये।
सभी अच्छी तरह से जानते थे कि बिल्ला कितना खतरनाक जानवर होता है। वह बिल्ला भी बड़ा मक्कार था। खरगोश और तीतर को अपने नजदीक आते हुए देखकर उसने अपनी आंखें बंद कर ली और हाथ में माला ले लिया और आंख बंद कर राम -नाम का जाप करने लगा। तीतर और खरगोश उस बिल्ली का पूजा -पाठ देखकर तो आश्चर्य में पड़ गए थे।
उन लोगों ने सोचा ऐसा धर्मात्मा बिल्ला उसने अपने जीवन में पहली बार देखा है। उसने मन ही मन कहा वह बिल्ला कितनी अच्छी तरह से ईश्वर का नाम लेकर पूजा- पाठ कर रहा है, मेरे ख्याल से इसी बिल्ले को पंच बनाना बुद्धिमानी होगा। खरगोश ने कहा बाकी जानवर भी बोले कि हम लोग भी यही सोच रहे हैं परन्तु तीतर ने कहा , लेकिन हमें थोड़ा सावधान भी रहना चाहिए आखिर यह हमारा जन्मजात दुश्मन भी तो है।
बिल्ले के इंतजार में सभी खड़े रहे। जैसे ही पूजा समाप्त हुआ उस बिल्ले ने अपनी आंखें खोली और अपने सामने कुछ छोटे जानवरों को देखा जिसमें तीतर और वह खरगोश भी था। तीतर ने कहा ही कि ” हे धर्मात्मा , मेरे और इस खरगोश के बीच एक छोटा सा झगड़ा हो गया है , मामला थोड़ा सा पेचीदा है, अगर आप चाहे तो इस झगड़े करने हल कर सकते हैं आप जो फैसला करेंगे वह हम सभी को मान्य होगा और जो गलती किया होगा उसे आप सजा भी दे सकते हो।
बिल्ले ने कहा , हे राम -राम यह कैसी बातें कर रहे हो भाई। बिल्ले ने कहा कि भगवान का नाम जपो मैं तो दूसरे का कोई भी दुख देख नहीं पाता हूं और तुम कहते हो कि इसमें से एक को सजा दे देना। हरे कृष्णा -हरे कृष्णा जो भी कोई दूसरे को दुख देता है वह भगवान का कोपभाजन बनता है, बिल्ले ने कहा। अच्छा चलो यह बताओ तुम दोनों का क्या झगड़ा है, बोलो मैं सही फैसला कर दूंगा कि कौन सही है और कौन गलत।
तीतर ने कहा कि कहानी यह है कि कुछ दिन से मैं अपना घर छोड़कर बाहर रहने के लिए चला गया था। लौट कर आया तो देखा कि मेरे घर में इस खरगोश में अपना कब्जा कर लिया है और अब घर वह छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं है। फिर खरगोश ने अपना दावा भी पेश किया।
दोनों की बात सुनकर बिल्ला कुछ देर के लिए आँख मूंद कर मौन हो गया और कहने लगा क्या बताऊँ भाई ,अब मैं काफी बूढ़ा हो गया हूं मुझे ठीक-ठाक दिखाई भीअब नहीं देता है और कान से सुनाई भी कम देने लगा है, तुम दोनों जरा मेरे नजदीक आओ और अपनी -अपनी बात आकर हमको बोलो।
खरगोश और तीतर दोनों बिल्ले के नजदीक जाने लगे। जब दोनों बिल्ले के नजदीक पहुंच गए तो बिल्ले ने झपटा मारा और पहले खरगोश को पकड़ा और उसने फिर तीतर को भी पकड़ लिया। यह देखकर बाकी जानवर वहां से अपनी जान बचाकर भाग गए। तीतर और खरगोश को अपने दोनों पंजों में पकड़कर दोनों को मर कर भगवान के पास भेज दिया। दोनों को लेकर अपने घर चला गया और अपने बाल -बच्चों अपने परिवार के साथ मिलकर कई दिनों तक उसने पिकनिक मनाया।
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