kids kahani in hindi एक दिल छू लेने वाली कहानी है जो बहुत ही दिलचस्प एवं मार्मिक कहानी भी है। यह कहानी सभी उम्र के लोंगो को सही शिक्षा देने और उनमें अच्छे संस्कार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाती हैं।
इसके अलावा भी हमारी अन्य कहानियां भी एक महत्वपूर्ण कहानी संग्रह हैं , वो कहानियां बच्चों की बेहतर परवरिश और उन्हें सपनों की निराली दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करतीं हैं । ये कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं। कहानी सुनते – सुनते बच्चे सो जातें हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित होकर उनकों जीवन का जरुरी पाठ भी पढ़ाता है ।
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Kids kahani in hindi: कहानी एक गांव की
आएये , अब कहानी की शुरुआत करतें हैं। यह कहानी राजस्थान राज्य के एक छोटे से गांव की है। उस गांव में नीरज नाम का एक छोटा लड़का रहता था। नीरज के पिता की चाय की छोटी सी एक दुकान थी।उसके पिता दिनभर अपनी चाय दुकान पर ग्राहकों को चाय बनाकर पिलाया करते थे, जिससे छोटी -मोटी आमदनी हो जाए करती थी। उसी आमदनी से नीरज का पूरा परिवारअपने खाने-पीने की व्यवस्था किया करता था ,मतलब परिवार की आर्थिक स्थिति काफी बुरी थी।
नीरज जब भी स्कूल से वापस आता था तो अपने पहले पिताजी की चाय की दुकान पर जाकर उनका हाथ बंटाता था।पिताजी को चाय बनाते हुए देखकर वह भी चाय बनाना अब अच्छी तरह से सीख भी चुका था। परन्तु नीरज हमेशा सोचता कि उसका लक्ष्य सिर्फ चाय दुकान तक ही सीमित नहीं है उसे बहुत बड़ा बिजनेसमैन भी तो बनना है।
एक दिन नीरज ने अपने पिताजी को कहा पापा ,हम इस चाय की दुकान को थोड़ा अलग ढंग से भी बना सकते हैं।अगर हम चाय में कुछ नए-नए तरीके का उपयोग करें और नए-नए टेस्ट वाली चाय बनाना और दुकान को थोड़ा सा आउटलुक अच्छे से कर दें तो हो सकता है इसके बाद ग्राहक ज्यादा संख्या में हमारी चाय दुकान पर चाय पीने के लिए आने लगेंगें।
नीरज के पिता पहले तो थोड़ा सा ना-नूकुर किये, लेकिन नीरज की जिद और उसकी लग्न देखकर करउसके पिताजी भी बाद में राजी हो गये। नीरज ने इंटरनेट को काफी सर्च किया और तरह-तरह की चाय जैसे मसाला चाय, अदरक तुलसी चाय आइस चाय आदि बनाना सीख गया। फिर उसने अपनी दुकान को सजाया, दीवारों पर अलग-अलग रंग बिरंगे कलर से पेंट किया , चित्र बनाएं और एक छोटा सा बोर्ड नीरज की स्पेशल चाय की दुकान की बनवाया और उसे ख़ड़ा कर दिया।
धीरे-धीरे गांव और आसपास के इलाके के लोग उनकी दुकानपर आने लगे। उनकी दुकान काफी मशहूर भी हो गयी। वहां लोग सिर्फ चाय पीना ही नहीं आते बल्कि नीरज से बात करके गांव वालों को काफी अच्छा भी लगता था। नीरज की तरह-तरह की बातें गांव वाले सुनाया करता था। नीरज की मेहनत काफी रंग ला रही थी, फिर नीरज ने एक और कदम आगे बढ़ाया उसने गांव के कुछ पढ़े- लिखे और बेरोजगार लोगों को भी चाय बनाना सिखाया।
अब वह सिर्फ दुकानदार ही नहीं रहा बल्कि एक छोटा-मोटा व्यवसायी बन चुका था।वह गांव के बेरोजगार लोगों के लिए भी आवश्यक रोजगार भी पैदा कर रहा था। कुछ वर्षों के बाद नीरज ने अपने प्रयास से चार-पांच अतिरिक्त दुकानें और खोल ली। अपने पिता के संघर्ष औरअपने सपने को एक नई दिशा और नई उड़ान दी। एक दिन एक पत्रकार नीरज के पास आया और नीरज से पूछा कि तुम इतनी कम उम्र में इतना सब कुछ कैसे कर लिया।
नीरज ने मुस्कुराते हुए कहा कि उसने चाय बनाना अपने पिताजी से सीखा, वह रोज अपने चाय दुकान पर आता जाता था लेकिन उसके सपने कुछ अलग थे। उसने कहा कि मैं कुछ अलग ढंग से सोचा करता था और अगर इरादा पक्का और नेक हो तो चाय की दुकान से भी एक नई और बड़ी शुरुआत की जा सकती है।
सीखः- इस कहानी से शिक्षा मिलती है की छोटी शुरुआत कभी भी आपको मंजिल तय नहीं करते, अगर दिल में इच्छा- शक्ति हो और सच में एक नयी दिशा हो तो किसी एक चाय की दुकान भीआपके लिए एक बड़ा सपना बन सकती है।
कहानी उस भूतिया महल की :Kids kahani in hindi
किसी समय की बात है राजस्थान राज्य में काफी सारे पुराने किले एवं महल हुआ करते हैं।वहां एक ऐसा महल भी था जो काफी समय से बंद था। किसी ने उसे खोल कर देखा तक नहीं था।करीब 100 सालों से महल का दरवाजा बंद था। गांव के बड़े बुजुर्ग कहा करते थे महल के अंदर एक भयानक रहस्य छुपा हुआ है और जो भी गांव वाला उस महल के दरवाजा तक पहुंचा तो वह कभी लौटकर नहीं आया।
कहानी की शुरुआत होती है कबीर नाम के एक युवक से जो एक खोजकर्ता और पुरानी चीजों को तलाशने वाला व्यक्ति था।उसे पुराने किले और पुराने महलों की खोज करना काफी पसंद था। उसने उस रहस्माई किले के बारे में जब सुना तो एक दिन वह वहां पहुंच गया। कबीर ने आसपास के लोगों से पूछा किया कि यह महल कैसा है ? महल के अंदर क्या है? और महल का दरवाजाअभी तक बंद क्यों है?
गाँव वालों ने उत्तर दिया कि यह महल भूतहा है।वहां जो भी आज तक गया कहीं बचकर नहीं आ पाया, लेकिन कबीर इन सब बातों को नहीं मानता था। वह एक नई सोच का आदमी था। तथ्यों पर विश्वास किया करता था।, एक रात की बात है कबीर अकेले उस महल की ओर जाने का निर्णय कर लिया। रात में जब सारे ग्रामीण सो गए तो अकेले उठा और उसे महल की ओर चल दिया।
महल के दरवाजे के पास पहुंचा तो देखा की दरवाजे पर बड़ा ताला लगा है। उसने किसी तरह उस ताले को तोड़ा। उसने देखा कि दरवाजा चर्र-चर्र करता हुआ खुल गया। दरवाजे से वह अंदर घुसा,अंदर का कमरा काफी घुल और जाले से भरा हुआ था, लेकिन बीच में एक पत्थर की बनी मेज पर एक तांबे का संदूक रखा हुआ दिखाई दिया।
जब उसने संदूक के ढक्कन को खोल तो संदूक के अंदर एक प्राचीन किताब मिला ,जिसमें चमड़े काएक जील्द लगा हुआ था और नक्काशी किया हुआ था। उस किताब के अंदर अजीब -अजीब भाषा में बहुत कुछ लिखा हुआ था लेकिन उसे पता नहीं चला कि क्या लिखा हुआ है? कबीर ने जैसे ही पुस्तक को हाथ लगाया कमरे की दीवारें हिलने लगी।
ठंडी- ठंडी हवा का एक लहर जैसा आया और दरवाजा भी अपने आप बंद हो गया।अब तो कबीर को काफी डर लगने लगा ,लेकिन वह पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा था। पुस्तक में देखने पर कुछ अजीब अजीब मंत्र जैसा कुछ लिखा हुआ था। कबीर ने उसको ध्यान से देखा तो आखिर में एक चित्र बना था जो उस कमरे का था और उसमे वह स्वयं खड़ा था इसी समय उसे एक साया दिखाइ दिया।
एक बूढ़ा व्यक्ति जो वह हवा में उड़ता हुआ उसके नजदीक आया और बोला कि मैं इस पुस्तक का रक्षक हूं। आज से करीब 100 साल पहले मैं इसी ज्ञान को पाने की इच्छा में श्राप झेला हुँ, अब श्राप झेलने की बारी तुम्हारी है। कबीर ने समझदारी से काम लिया। उसने तुरंत पुस्तक को बंद कर दिया जोर से चिल्लाया मैं इस ज्ञान को अपनाना नहीं चाहता।
कमरे में फिर थोड़ा कंपन हुआ दरवाजा इस बार बाहर की तरफ खुल गया।कबीर डरते हुए किसी तरह से बाहर निकाला। अगले दिन वह भुतहा महल फिर से जैसे के तैसा हो गया ,लेकिन वह कमरा फिर से गायब था जैसे कभी अस्तित्व में रहा ही नहीं हो।
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