यह positive story in hindi कहानी है , जो काफी रोचक और काल्पनिक घटना पर आधारित प्रेरक कहानी है। छोटी सी यह हिन्दी कहानी कई आकर्षक पात्रों से भरपूर है।
यह कहानी एक बेहतर संदेश के साथ -साथ कहानी में एक भावनात्मक परिस्थिति भी प्रस्तुत करती है। साथ ही यह सचमुच positive story in hindi है।
हमारी अन्य कहानी संग्रह में नींद वाली कहानी भी एक रोचक कथा संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उनको कल्पनाओं की दुनिया में ले जाकर उनके मन में रोमांच पैदा करती हैं । ये कहानी रात के वक्त बच्चों को एक स्वप्निल दुनिया में ले जाती हैं।
उन कहानियों का नायक बच्चों के सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित होकर जीवन का जरुरी पाठ भी पढ़ाती हैं। यह positive story in hindi बड़े लोग भी पढ़कर एन्जॉय कर सकतें हैं।
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शरारती गिलहरी की कहानी : Positive Story in hindi
एक छोटे बगीचे में एक उजले रंग की सूंदर गिलहरी रहती थी। वह बहुत चंचल और हमेशा इधर से उधर उछलती – कूदती रहती थी। जंगल के अन्य जानवर उसे बार-बार समझाते थे कि इस तरह से उछल कूद और शरारत करना बिल्कुल गलत है , लेकिन वह किसी भी जानवर की कोई बात नहीं मानती थी।
उस सफेद गिलहरी को उछलने- कूदने में काफी मजा आता था। एक दिन उस बगीचे में एक भालू आया। वह गिलहरी शरारत करने के लिए भालू की पीठ पर कूद गई और उसकी पीठ पर बैठ गयी। भालू ने कहा ” गिलहरी बहन, तुम हमेशा कोई ना कोई शैतानी करती रहती हो , पिछली बार भी जब मैं आया था तो तुम्हारे शरारत के कारण ही मेरा पैर फिसल गया था और मैं कीचड़ में गिरकर घायल हो गया था।
यह सुन कर गिलहरी हंसने लगी और भालू से बोली की जब भी मैं तुम्हें देखती हूं , तुम्हें परेशान करने का मन करता है , लेकिन आज के बाद मैं वादा करती हूं कि तुम्हारे साथ कोई गलत शरारत नहीं करूंगी। भालू एक पेड़ के नीचे छांव में लेट कर आराम करने लगता है ,परंतु कुछ देर के बाद ही गिलहरी की आवाज सुनता है और उसकी नींद खुल जाती है।
गिलहरी बचाव -बचाव चिल्ला रही थी और कह रही थी कि कोई बचाव मुझे ,मैं इस पेड़ की डाली में उलझ गयी हूँ। भालू पेड़ पर चढ़ता है और देखता है कि गिलहरी की पूछ पेड़ के दो तनों के बीच फंसी हुई है और गिलहरी उल्टी लटक गई है। गिलहरी कभी भी नीचे जमीन पर गिर सकती थी।
भालू आवाज देकर सभी जानवरों को पेड़ के नजदीक आने के लिए बोलता है। गिलहरी बोलते जा रही है कि ”मुझे बचा लो ,मैं जब पेड़ पर चढ़ रही थी तो दो टहनियां के बीच पता नहीं कैसे मेरी पूंछ फंस गई। उस जंगल में रह रहा जिराफ भी जानवरों की आवाज सुनकर उस पेड़ के नजदीक आ जाता है और गिलहरी को किसी तरह से आजाद कर देता है।
गिलहरी सबका दिल से धन्यवाद करती है। अब भालू ने गिलहरी को कहा कि देख लिया न, ज्यादा शरारत करने का क्या नतीजा होता है। अब सभी जानवरों के सामने तुम वादा करो कि आगे से तुम कभी शरारत बिल्कुल नहीं करोगी। गिलहरी सभी जानवरों से वादा करती है कि वह कभी शरारत किसी भी जानवर के साथ नहीं करेगी।
दो-तीन दिन गिलहरी चुपचाप पेड़ पर बैठी रहती है , लेकिन उसका मन काफी उदास रहता था। वह फिर से छल कूद करना चाहती थी। और उसने उछल-कूद करना शुरू भी कर दिया। एक दिन की बात है , गिलहरी एक पेड़ पर बैठी थी तभी एक बंदर एक डाल से दूसरे डाल पर कूद-फांद रहा था। यह देखकर गिलहरी का भी मन हुआ कि वह भी बंदर की तरह एक डाल से दूसरे डाल पर उछल-कूद करें।
उसने सोचा कि यहां तो उसे अन्य जानवर देख लेंगे इसलिए वह कहीं दूर जाकर पेड़ की डाल पर उछल-कूद करें और किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा। अगले दिन सुबह सब की नजरों से बचते हुए और उस जगह से दूर एक घने जंगल में पहुंच गयी , जहां एक बड़ा सा तालाब उसे दिखाई दिया।
तालाब का पानी बिलकुल साफ़ था। उसने सोचा कि क्यों ना सबसे पहले तालाब के पानी में स्नान कर लिया जाए। वह जैसे ही तालाब के किनारे पहुंची ,एक चिड़िया ने गिलहरी को आवाज़ लगाई। चिड़िया ने कहा ”क्या तुम इस जंगल में नयी आई हो ? इस तालाब से दूर होना कोई भी जानवर इसमें नहाने नहीं आता है, नहाने पर उसका शरीर का एक हिस्सा गायब हो जाता है।
गिलहरी ने कहा ऐसा कैसे हो सकता है ? तुम मुझे झूठ बोल रहे हो देखो तुम मुझे झूठ बोलकर डरा रही हो। चिड़िया ने कहा तुम्हारी मर्जी है तो तुम जो करो लेकिन मैं तुम्हें सावधान कर रही हूं, इस पानी में नहाने के बाद ही तुमको पता चलेगा। मेरी बात नहीं मानना है तो मत मानो गिलहरी ने तालाब में छलांग लगा दिया और डुबकी लगाने लगी। नहाने में उसे काफी मजा आ रहा था।
काफी देर तक वह तालाब में उछाल – कूद करती रही। नहाने के बाद जब वह तालाब से बाहर निकली तो चिड़िया उसे देखकर ठहाका लगाकर हंसने लगी। तुम क्यों हंस रही हो ? चिड़िया ने कहा कि ” तुम्हारी पूछ कहां है बहन ? गिलहरी ने पलट कर देखा तो उसकी पुछ गायब हो चुकी थी और बिना पूछ के वह काफी बुरी दिखाई दे रही थी। बिना अपना पूछ कर देखकर गिलहरी रोने लगी।
वह तालाब के नजदीक गई और अपनी पूछ वापस मांगना शुरू कर दिया। परंतु सुबह से शाम हो गई तालाब ने उस गिलहरी की पूछ को वापस नहीं किया था। थक – हारकर उजली गिलहरी वापस जाने लगी तभी उसे तालाब से आवाज सुनाई दी कि यह जादुई तालाब है, तुमने आज तक किसी की बात मानी है।
तुम्हें चिड़िया ने इस तालाब में नहाने से मना किया था , परंतु तुमने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और इस कारण तुम्हारी पूंछ चली गई। तालाब ने कहा कि अब कुछ दिन और कुछ महीने बिना पूछ के तुम रहो। गिलहरी ने तालाब से कहा कि उससे गलती हो गई है। अब मैं बिना पूछे कोई काम नहीं करूंगी।
तालाब ने कहा कि ” ठीक है , तुम अब अपने जंगल में जाकर सभी जानवरों से हाथ जोड़कर माफी मांगो की आज से तुम शरारत करना बंद कर दोगी। जंगल में तुम सबकी मदद करो ,फिर धीरे-धीरे तुम्हारी सुंदर पूछ वापस आ जाएगी। गिलहरी जंगल में वापस चली आती है। अगली सुबह जंगल के जानवर बिना पूंछ के गिलहरी को देखकर उसकी हंसी उड़ाने लगते हैं।
गिलहरी सभी जानवरों से हाथ जोड़कर माफी मांगती है आज के बाद से वह शरारत करना तो बिल्कुल भूल चुकी है। अब से वह जंगल के जानवरों का मदद किया करती थी। बरसात में चिडियों के बच्चों के लिए दाना और खाने पीने का सामान लाकर देती थी। पेड़ से फल को तोड़कर नीचे जमीन पर जाती थी जनता की भालू एवं जानवर जमीन पर पड़ा हुआ फल उठा कर खा सके धीरे-धीरे गिलहरी की मूछ आने लगे कुछ महीनो के बाद उसे सफेद गिलहरी की पूछ पहले की जैसी हो गई और वह पहले की तरह ही सुंदर दिखने लगी।
सीख : बिना अनुमति के किसी के भी कोई चीज इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करनी चाहिए।
शालिनी और रोबोट की कहानी : Positive Story in hindi
शालिनी अपने स्कूल में बहुत अच्छी तरह से पढ़ाई किया करती थी। वह काफी मेहनती थी। अपने क्लास में हमेशा फर्स्ट आती थी। शालिनी इस वर्ष गया नवमी क्लास में आ चुकी थी। एक दिन की बात है, स्कूल की ओर से सभी बच्चों को एक कंपनी में ले जाया गया था, जहां रोबोट बनाने का काम किया जाता था।
रोबोट को बनते हुए देखकर सभी बच्चे काफी खुश हुए और आश्चर्यचकित भी हुए ,लेकिन शालिनी बिल्कुल खुश नहीं हुई। उसकी स्कूल की प्रिंसिपल अपर्णा मैम ने पूछा कि क्यों नीतू इतनी उदास क्यों हो ? क्या रोबोट बनते हुए देखकर तुम खुश नहीं हो ?तुम्हें रोबोट अच्छा नहीं लग रहा है।
शालिनी ने कहा ” मैडम यह रोबोट तो बिल्कुल साधारण है, अगर मुझे थोड़ा सहयोग मिले तो मैं इससे भी अच्छा रोबोट बना सकती हूँ। शालिनी की बात उस रोबोट कंपनी के मैनेजर ने भी सुनी। उसने शालिनी से कहा ‘ अच्छा बेटा आप इससे भी अच्छा रोबोट बना सकती हो ? मेरे कंपनी में काफी अच्छे अच्छे इंजीनियर है, उन्होंने काफी मेहनत से यह रोबोट बनाया है।
शालिनी ने कहा अगर सर मुझे मौका दिया जाए तो इससे ज्यादा एडवांस रोबोट मैं बना सकती हूँ। शालिनी की बात सुनकर कंपनी के मैनेजर ने तुरंत अपने मालिक से फोन पर बात की और फिर उसके बाद उसने शालिनी को अपने केबिन में बुलाकर बातचीत किया। उस दिन तो शालिनी अपने घर चली आई परन्तु अगले दिन कंपनी का मैनेजर शालिनी के स्कूल पहुंच गया था।
मैनेजर अपने साथ रोबोट बनाने का सारा सामान साथ लेकर आया था। उसने शालिनी से कहा कि बेटा यह रोबोट बनाने का समान है, तुम एक छोटा सा रोबोट बनाओ। तुम्हें जिस भी चीज की जरूरत होगी मुझे बताना। शालिनी काफी खुश हो जाती है। वह स्कूल की लैब में जाकर दिन -रात मेहनत करके छोटा सा रोबोट बना लेती है।
उस रोबोट को बनाने में उसकी दो सहेलियों ने भी उसका काफी साथ दिया था। 3 महीने की दिन- रात की मेहनत के बाद शालिनी का रोबोट बनकर तैयार हो जाता है। शालिनी अपने द्वारा बनाए गए रोबोट को लेकर स्कूल की प्रिंसिपल मैम के सामने लेकर आती है। प्रिंसिपल उस रोबोट को बड़ी ध्यान से देखती हैं और रोबोट से कुछ सवाल -जवाब भी करती है।
रोबोट सारे सवालों का बिल्कुल सटीक जवाब भी देता है। अब शालिनी उस रोबोट को कुछ काम करने का आदेश देती है। शालिनी के द्वारा दिए गए सारे आदेश को वह पूरा करता है। सभी लोग मिलकर रोबोट की काफी प्रशंसा करते हैं। सच में सभी लोगों ने ऐसा रोबोट अपनी जिंदगी में पहली बार ही देखा था।
अगले दिन रोबोट कंपनी का मालिक और मैनेजर स्कूल में आते हैं , साथ में उनके इंजीनियर भी होते हैं। सभी रोबोट को पूरी बारीकी से देखने लगते हैं। सभी तरह के टेस्ट में रोबोट काफी अच्छा प्रदर्शन करता है। कंपनी का मालिक प्रिंसिपल से कुछ बातें करता है। वह कहता है कि हम इस रोबोट को खरीद लेते हैं और हम चाहते हैं कि आपके स्कूल के स्टूडेंट इस तरह के रोबोट मेरे कंपनी के लिए बनाएं।
शालिनी यह सब सुन रही थी। वह बोली कि इस रोबोट में मैंने कुछ फीचर तो लगाया ही नहीं है। मैंने बूढ़े – बुजुर्गों की मदद के लिए इसे बनाया है। अक्सर बुजुर्ग घर में अकेले रहते हैं , ऐसे में इस तरह का रोबोट उनकी सारी देखभाल सही ढंग से कर सकता है। मैंने इसके प्रोग्राम में एक कंप्यूटर चिप भी डाली है , जिससे यह बुजुर्गों की भाषा को अच्छी तरह समझ सकता है उनकी भाषा में ही जवाब दे सकता है।
सभी तरह की दवा- भोजन -पानी उनको टाइम पर यह रोबोट दे सकता है। खाली समय में उनका मनोरंजन भी कर सकता है। यह सुनकर सभी लोग काफी खुश हुए। कंपनी के मालिक ने कहा कि ‘बेटा तब तो वह चिप इस रोबोट में लगाकर ही हमें दो। शालिनी ने कहा कि चिप मैं इस शर्त पर लगाऊंगी की आप इस तरह का रोबोट बुजुर्गों एवं बूढ़ों को मुफ्त में देंगे।
कंपनी के मालिक ने कहा परंतु इससे तो कंपनी को काफी नुकसान भी हो सकता है। तब स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा तब तो ठीक है आप इस रोबोट को यहीं छोड़ दीजिए और अपना रोबोट आप बेचते रहिए। मैं दूसरी कंपनी से बात करूंगी। कोई कंपनी ऐसी जरूर होगी जो हमारी शर्त मान जाएगी।
यह सुनकर कंपनी का मालिक तुरंत राजी हो गया। उसने शालिनी का शर्त मान गया। शालिनी ने चिप लगाकर रोबोट से सारे काम करवाया और कंपनी के मालिक को भी दिखा दिया। इसके बाद जरुरी एग्रीमेंट साइन हो गया। आज से स्कूल के स्टाफ और शालिनी मिलकर शहर में सारे बुजुर्गों को इस तरह का रोबोट उपलब्ध कराने में सहयोग करने लगी।
इसके बाद गांव -गांव जाकर शहर शहर जाकर रोबोट की सहायता से बुजुर्गों को उनके रोज के कामों में मदद करने लगी। शालिनी के काम का का खूब प्रचार -प्रसार हुआ। समाज सेवा के इस काम के लिए राष्ट्रपति महोदय की ओर से भी शालिनी को पुरस्कार भेजा गया।
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