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यह कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती है। कहानी सुनते-सुनते बच्चे सो जाते हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित होकर उनको जीवन का जरुरी पाठ में पढ़ाता है। आजकल Very Short Moral Story in Hindi ऐसी जैसी कहानी ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध भी है। This is Very Short Moral Story in Hindi for class 5.
बेबस पिता की मार्मिक कहानी :Very Short Moral Story in Hindi
विश्वनाथ जी राजस्थान जिले के सचिवालय में एक छोटी सी सरकारी नौकरी किया करते थे। उनके पास एक मोटरसाइकिल थी जो काफी पुरानी थी। आज उन्हें अपनी ड्यूटी पर जाना था और वह अपना मोटरसाइकिल स्टार्ट करने की कोशिश कर रहे थे। पुरानी होने के कारण उनकी मोटरसाइकिल स्टार्ट नहीं हो पा रही थी। थोड़ी देर के बाद सामने से एक नई कार तेजी से उनके पास आकर रूकी।
कार में बैठा युवक ने कहा पापा , आप इस पुराने मोटरसाइकिल को कब तक ढोते रहोगे। आओ मेरे साथ मेरी गाड़ी में बैठो , मैं आपको आपके ऑफिस छोड़ देता हूं। वह युवक विश्वनाथ जी का बेटा सुधाकर था। विश्वनाथ जी अपने बेटे की बात सुनकर भी अनसुना कर दिए और अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट करने की कोशिश करते रहे।
उनका बेटा सुधाकर तिरछी नजरों से देखता हुआ वहां से चला गया। घर के दरवाजे के नजदीक ही विश्वनाथ जी की पत्नी सुभद्रा भी खड़ी थी जो यह सब देख रही थी। सुभद्रा ने कहा कि जब सुधाकर कह हीं रहा था तो उसकी गाड़ी में बैठकर उसके साथ अपने ऑफिस चले जाते।
विश्वनाथ जी अभी भी अपने काफी पुराने मोटरसाइकिल स्टार्ट करने की कोशिश करते रहे। विश्वनाथ जी अपने माथे पर हाथ फिराते हुए अपना पसीना पोंछा और अपनी पत्नी से कहा, तुम अपनी बेटे की हर समय तरफदारी मत किया करो। अपने बेटे की तरफ से कुछ भी मुझे बताने की या बोलने की कोशिश मत किया करो।
सुभद्रा जी एकदम से चुप हो गयी । विश्वनाथ अपना मोटरसाइकिल स्टार्ट करने की कोशिश में लगे रहे । थोड़ी देर के बाद उनकी मोटरसाइकिल स्टार्ट हो गई। उसने एक बार अपनी पत्नी की ओर देखा और अपने ऑफिस के लिए चल पड़े। विश्वनाथ के बेटे सुधाकर की शादी हुए करीब 3 साल गुजर चुके थे।
शादी से पहले उसका व्यवहार अपने माता-पिता के प्रति काफी अच्छा था , पर शादी के के साल भर बाद उसकी पत्नी निरूपमा और सुधाकर का व्यवहार पूरी तरह बदल चुका था। अब बाप – बेटे एक ही घर में अलग-अलग रह रहे थे। यह तो काफी अच्छा हुआ कि विश्वनाथ जी ने अपने बेटे की बात नहीं माना और अपनी नौकरी से त्यागपत्र नहीं दिया था , अगर ऐसा हो जाता तो आज इनके और उनकी पत्नी के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाती।
शाम हुई जब सुधाकर अपने घर पहुंचा तो उसकी पत्नी निरुपमा उस पर बरस पड़ी। वह अपने पति को बोली कि तुमने अपनी बेज्जती आखिर करा ही ली। अगल-बगल गली के सब लोग बाहर ही थे जो तुम्हारे और तुम्हारे पापा के बीच की बात को सुन रहे थे। तुम्हारे पापा ने सड़क पर आज अच्छी खासी बेज्जती तुम्हारी कर दी है।
सुधाकर को भी अपने पिता के व्यवहार पर गुस्सा आ रहा था। उसने अपनी पत्नी को कहा कि ” तुम ठीक ही कहती हो और अब हम इस घर में नहीं रहेंगे। मैं चार-पांच दिन में इस घर से निकल कर दूसरा जगह किराए पर रहने चल चलेंगे। हम यहां बिल्कुल नहीं रहेंगे। दो-तीन दिन के बाद सुधाकर अपनी पत्नी के साथ अपने एक किराये के नए घर में शिफ्ट हो गया।
बेटे- बहु के इस घर से चले जाने के बाद अब सुभद्रा काफी उदास हो गई थी। वह हर समय उदास रहती थी। उसने अपने पति को कहा कि’ आखिर वह हमारा बेटा था। खाना-पीना अलग करता था तो कम से कम हमारे सामने तो मौजूद था। उसने अपने पति विश्वनाथ जी की ओर देखते हुए यह बात कही।
विश्वनाथ जी अपनी पत्नी को देखकर कुछ नहीं बोले। पहले विश्वनाथ जी काफी जिंदादिल इंसान हुआ करते थे। अपनी एक छोटी सी नौकरी करते हुए किसी तरह पैसे बचा के और इधर-उधर से कर्ज लेकर अपने बेटे सुधाकर को अच्छे से पढ़ाया- लिखाया था , और आज जब सुधाकर की सरकारी नौकरी लग गई तो विश्वनाथ जी को यह लगा था कि अब उनके परिवार का जीवन सफल हो गया है, लेकिन कुछ सालों के बाद बेटे- बहु का स्वभाव बिल्कुल बदल गया।
उनकी बेरुखी और बदतमीजी में उन्हें पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया था। अब विश्वनाथ जी बिल्कुल ही शांत रहा करते थे। उन्हें बस एक ही चिंता थी कि उनकी मरने के बाद उनकी पत्नी सुभद्रा का क्या होगा ? तीन चार महीना के बाद सुधाकर अपनी मां से मिलने अपने घर आया हुआ था। सुधाकर को देखकर उसकी मां सुभद्रा काफी खुश हो गयी , आखिर सुधाकर उसका बेटा जो था।
तुम्हारी बहू नैना प्रेग्नेंट है। हम चाहते हैं कि तुम और पापा चलकर हमारे साथ वहां रहो। नैना की भी देखभाल भी हो जाएगी वह शायद काफी अकेलापन महसूस करती है ,एवं बहुत परेशान रहती है। सुभद्रा अपने पति की ओर देखी। उनके पति विश्वनाथ ने साफ इंकार कर दिया।
सुधाकर जानता था कि पापा कभी नहीं मानेंगे। उसने अपनी मम्मी से कहा कि मम्मी , पापा तो नहीं चलेगें। तुम कम से कम चलो। सुभद्रा जी ने कहा ,बेटा तेरे पापा का ख्याल यहां कौन रखेगा . तुम एक काम करो। तुम दोनों पति-पत्नी वापस यहां आ जाओ ,मैं तुम दोनों के भी देखभाल कर लूंगी और तुम्हारे पापा को भी कोई परेशानी नहीं होगी।
तभी विश्वनाथ जी ने पत्नी की आवाज सुनकर लगभग चिल्लाते हुए कहा कि तुम अपने बेटे के तरफदारी मत किया करो। मैं अपने इस घर के एक फ्लैट को किराया पर लगा दिया है। इस घर में हम दोनों के अलावा रहने के लिए किसी के लिए जगह नहीं है। किराएदार दो दिन के बाद इस घर में रहने आ जायेंगें। अब तुम्हारे बेटे के लिए इस घर में कोई भी जगह नहीं है।
अपने पापा की बात सुनकर सुधाकर चुपचाप वहां से निकल गया। उसकी मां सुभद्रा रोने लगी। रोते -रोते अपने पति को कहा और अपने पति की ओर दया भाव से देखा। विश्वनाथ जी ने अपनी पत्नी को कहा कि आज इन दोनों का हमसे कोई मतलब है , इसलिए ऐसे ऐसे बातें कर रहा है। जब इन का मतलब निकल जाएगा तो फिर यह ये लोग अपना रंग बदल लेंगे।
अगर कल मुझे कुछ हो गया तो तुमको पूरी जिंदगी इन दोनों की नौकरानी बनकर इनका सेवा -टहल करना होगा। इन सब बातों से अच्छा है कि हम दोनों अपने स्वाभिमान के साथ इन दोनों से अलग घर में रहें। और इस घर में जब एक तरफ किराएदार जब रहने लगेंगे तो वह लोग भी हमारी देखभाल कर लेंगे और कुछ अतिरिक्त पैसा भी आने लगेगा।
अगर कल मुझे अचानक कुछ हो गया तो तुम सम्मान के साथ अपने घर में रह पाओगी। सुभद्रा की आंखों से आंसू बह रहे थे। उनके पति ठीक ही तो यह बात कह रहे थे। उनका बेटा सही में बहुत स्वार्थी है। जब उसका मतलब निकल जाएगा तो वह सभी लोगों को भूल जाएगा। वह हमेशा अपने फायदे के लिए ही सोचता रहता है और फायदे के लिए ही वह अपने मां-बाप को अपने घर ले जाना चाहता है।
मेरे पति यह चिंता कर रहे हैं कि उनके इस दुनिया में नहीं रहने के बाद मुझे कोई तकलीफ नहीं हो ,इसका इंतजाम करना छह रहें हैं , इसलिए मुझे अपने बेटे की बात पर भरोसा नहीं करनी चाहिए। उसने अपना आंसू पोंछा और अपने पति से कहा कि ;; आप ठीक ही कह रहें हैं। अगर मेरे बेटे और बहू अपने होते तो हमें छोड़कर कभी न जाते। सुभद्रा ने कहा आज से हम दोनों एक नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं, जहां बस हम और आप एक साथ जीवन का साथ निभाएंगे। यह सुनकर विश्वनाथ जी के चेहरे पर आज बरसों के बाद सच्ची मुस्कुराहट आ गई थी। This is Very Short Moral Story in Hindi with moral lesson and Very Short Moral Story in Hindi for adults also.
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