Sad Hindi Love Story: आज की इस हिंदी कहानी में “अनसुनी सच्चे प्रेम की कहानी” है जो सच्चे प्रेम को दर्शाती है। एक -दूसरे के प्रति सच्चा प्यार किसी भी परिस्थितियों में नहीं बदलता है। यह love story in hindi आपको जरूर अच्छी लगेगी।

सुमन और विनोद दोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे। बचपन में साथ साथ ही खेलते, स्कूल जाते थे । दोनों के परिवारों का भी एक -दूसरे के यहाँ आना जाना लगा रहता था। कहीं भी जाना हो, जैसे मेला देखने जाना हो, रामलीला देखना हो या फिर कभी कभार सिनेमा हॉल में जाना होता तो दोनों परिवार साथ मिलकर ही जाया करते थे।
सुमन के परिवार में उसकी दादी को मिलाकर कुल पांच सदस्य थे। उसके पिताजी पेशे से एक शिक्षक थे और माँ एक हाउस वाइफ थी। सुमन से छोटी उसकी एक बहन थी जिसका नाम पारो था।
इनका बहुत ही संस्कारी परिवार था। दादी रोज सुबह शाम भजन कीर्तन कर भगवन का नाम जपती रहती। सुमन की माँ राधा जी एक कुशल गृहणी होने के साथ- साथ एक अच्छी माँ भी थी। उन्होंने अपनी दोनों बेटियों सुमन और पारो को हर अच्छे बुरे की शिक्षा दी थी। घर और बाहर किसी भी तरह की कोई समस्या उन्हें होती तो अपनी माँ से बात करके झटपट उसका हल मिल जाता था।
सुमन ने 6th class में ही तय कर लिया था कि उसे एक आई.ए.एस. ऑफिसर ही बनना है। पढ़ाई में भी वह बहुत होशियार थी। उसके परिवार में सभी को उस पर बहुत भरोसा था कि वो अपना सपना जरूर पूरा करेगी।
आँखों में ऑफिसर बनने का सपना लिए सुमन तेजी से बड़ी हो रही थी। मोहल्ले की सुन्दर लडकियों में से थी सुमन । लम्बे लम्बे -घने बाल, गोरा रंग, खिलखिलाता मासुम सा चेहरा। किसी सूंदर परी से कम नहीं थी सुमन । जो उसको एक बार देखे तो बस देखता ही रह जाए। स्कूल में भी हर लड़के की पसंद थी सुमन । लेकिन खुद सुमन इन सब बातों से बेखबर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती जा रही थी।
उसने 12th की परीक्षा में पूरे शहर में पहला स्थान पाकर अपने माँ बाप का नाम रोशन कर दिया। अब उसे अपने आगे की पढ़ाई करने के लिए शहर से बाहर जाना था। एक बहुत ही अच्छे कॉलेज में उसका एडमिशन भी हो गया था । बहुत सी हिदायतों एवं नसीहतों के साथ उसे एक गर्ल्स हॉस्टल में रखवाकर उसके मम्मी पापा वापिस घर आ गए।
सुमन के घरवाले थोड़े निश्चिन्त इसलिए भी थे क्योंकि उनके मोहल्ले का एक लड़का विनोद भी तो उसी कॉलेज में पढ़ता था जो सुमन से बस एक साल सीनियर था। बिनोद के परिवार में उसके मम्मी –पापा और एक छोटा भाई भी था।
विनोद के पापा की शहर में कपड़ों की एक काफी बड़ी और अच्छी दुकान थी। विनोद भी पढ़ाई में बहुत अच्छा था। उसे M. B. A. करना था, इसीलिए उसने ग्रेजुएशन में कॉमर्स सब्जेक्ट को चुना था । वहीं दूसरी तरफ सुमन non-medical की स्टूडेंट थी। विनोद और सुमन का कॉलेज एक ही था।
विनोद सुमन के बचपन का दोस्त भी था इसीलिए सुमन दिन में एक बार उससे जरूर मिलती थी। किसी भी तरह की कोई समस्या होती थी वह विनोद को कह देती। ऐसे ही कॉलेज का एक वर्ष बीत चूका था ।
अब सुमन उस नए माहौल में एडजस्ट हो चुकी थी। वह बहुत मेहनत कर रही थी। कॉलेज में अब उसकी एक अलग पहचान बन चुकी थी। इसके बहुत कारण थे। पहला एक तो वह बहुत ही सुन्दर थी, दूसरा उसकी सादगी और उसकी इंटेलीजेंसी के तो सभी लोग कायल थे। हर लड़का या लड़की उससे दोस्ती करना चाहता था। हर टीचर की वह चहेती लड़की थी। अपनी माँ को जब ये सारी बातें बताती तो माँ को बड़ी ख़ुशी होती थी ।
बहुत से लड़कों की दोस्ती के ऑफर भी आते रहते थे, पर बड़े सलीके से वह मना कर चुकी थी। उसका ध्यान बस अपने सपने को पूरा करने पर ही लगा था। इसी तरह एक वर्ष और बीत गया। उस दिन विनोद का कॉलेज में अंतिम दिन था, वह सुमन से मिला और उसे अपने दिल की सारी बातें बड़ी ही सादगी से कह डाली।
विनोद ने कहा, “मुझे पता है कि तुम्हारी सुंदर चेहरे से प्रभावित होकर कई लड़के आए दिन तुम्हें परपोज़ करते रहते हैं” लेकिन मैं सचमुच कह रहा हूँ, मैं तुम्हारी सादगी को बचपन से ही पसंद करता आया हूँ। पहले तो मुझे लगा था ये महज एक लगाव होगा जो अक्सर युवावस्था में हो ही जाता है, लेकिन जैसे- जैसे मैं मैच्योर हुआ समझ में आया कि ये सिर्फ लगाव नहीं बल्कि प्यार है।
मैंने कई बार तुमसे कहना चाहा था, लेकिन डर लगता था कि प्यार के चक़्कर में कहीं तुम्हारी दोस्ती से भी हाथ न धो बैठूं। बिश्वास करो, मानो अगर तुम इतनी खूबसूरत भी ना होती तो भी मैं तुम्हें इतना ही प्यार करता।
सुमन विनोद को एक टक देखे ही जा रही थी। बीते सालों में न जाने कितने लड़कों को वह ना बोल चुकी थी, लेकिन विनोद का अचानक इस तरह से अपने प्यार का इजहार करना, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि विनोद को क्या जबाब दे ।
फिर भी विनोद को जवाब तो देना ही था। सुमन ने कहा -विनोद तुम बहुत अच्छे लड़के हो। तुम जिसे मिलोगे वह लड़की खुद को बहुत भाग्यशाली समझेगी लेकिन तुम तो यह अच्छी तरह जानते हो कि मुझे मेरे सपने पूरे करने हैं। जिंदगी में कुछ करना है। प्यार -व्यार के चक़्कर में अगर पड़ गई तो कुछ भी नहीं कर पाऊँगी।
विनोद ने कहा कि कौन कहता है कि तुम अपने सपने पूरे न करो। तुम वह सब करो जो तुम करना चाहती हो। मैं अपने मन की बात तुम्हें आज भी नहीं कह पाता लेकिन मुझे M. B. A. करने कल ही लंदन जाना है। जाने से पहले मैं तुम्हें सब कह देना चाहता था।
मैं तुम्हारी हाँ का इंतज़ार करुँगा सुमन ! इतना कहकर विनोद वहाँ से निकल जाता है। सुमन थोड़ी सी उदास हो जाती है। फिर फैसला करती है कि अगले हफ्ते जब घर जाऊँगी तो माँ को सब बता दूँगी।
अगले हफ्ते सुमन अपने घर चली गई। अबकी बार थोड़ी खोई- खोई सी थी। माँ ने यह बात तुरंत भाँप ली कि कोई तो ऐसी बात है जो सुमन बेचैन लग रही है।
डिनर के बाद घर का सब काम निपटाकर माँ और बेटी दोनों छत पर चली गई। वहाँ जाकर माँ ने बेटी सुमन से उसकी परेशानी का कारण पूछा तो सुमन ने झट से वह सब बातें माँ को बता दीं जो विनोद और उसके बीच में हुई थी।
विनोद एक अच्छा लड़का था, घर में सभी उसे पसंद भी करते थे। उसकी माँ ने सुमन को समझाया कि अभी तुम अपनी पढ़ाई पर सिर्फ ध्यान दो। इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है।

विनोद अच्छा लड़का है, तुम दोनों अच्छे से सेटल हो जाओ उसके बाद रिश्ता करने में कोई हर्ज नहीं है। देखा परखा हुआ लड़का है। उसका परिवार भी अच्छा है। अपनी माँ को सब कुछ बताने के बाद उसके मन का बोझ बहुत हल्का हो गया। अपनी माँ को प्यार भरी झप्पी देकर वह सोने के लिए चली गई।
कुछ दिनों के बाद सुमन को अगले सेशन के लिए अपने कॉलेज जाना था। सारी तैयारियां करके उसके मम्मी -पापा सुमन के साथ उसे हॉस्टल छोड़ने चले गए। इस वर्ष तो विनोद भी नहीं था वहाँ, इसीलिए उसके मम्मी पापा को उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी। लेकिन अपनी बेटी की समझदारी पर उन्हें विश्वास भी बहुत था।
सुमन को भी विनोद के बिना कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। उसने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाने का प्रयास किया। वह कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहती थी। कॉलेज का लास्ट ईयर था, और वह पूरी तरह अपनी पढ़ाई में रम गई। एक दिन सोहेल नाम के एक लड़के की नजर सुमन पर पड़ी। वह उसकी खूबसूरती देखकर पागल सा हो गया था ।
अगले ही दिन उसने सुमन के सामने परपोज़ कर दिया। सुमन ने बड़े ही सलीके से उसे मना भी कर दिया। लेकिन अमीर घर का इकलौता शाहबज़ादा तो अपने ज़िद्द पर ही अड़ गया कि उसे तो सुमन किसी भी कीमत पर उसे चाहिए।
अब वह हर रोज उसे परेशान करने लगा। सुमन उसकी हरकतों से बहुत तंग आ चुकी थी। । वह बहुत परेशान रहने लगी थी। इस बात का असर उसकी पढ़ाई – लिखाई पर भी पड़ रहा था। सोहेल उस लड़की को किसी भी कीमत पर पाना चाहता था। जब सुमन उसकी बात नहीं मानी तो उसने सुमन के चेहरे पर एसिड फेंकवा दिया।
इस हादसे के बाद सुमन की जिंदगी पूरी तरह बदल गई। उसने अपने जीने की उम्मीद छोड़ दी। हमेशा हँसती रहने वाली सुमन की आँखों से बहते आँसू सूखते नहीं थे। उसके परिवार से उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी। दो साल इसी तरह से बीत गए लेकिन सुमन तो जैसे पत्थर की बन गई थी। उसका आत्मविश्वास भी खो चुका था। अपने आप को शीशे में देखने से वह डरने लगी थी।
इन्हीं सबके बीच ही विनोद का आना हुआ। जब उसे सुमन की वैसी हालत का पता चला तो उससे मिलने चला आया। सुमन की ऐसी हालत देखकर वह अंदर तक हिल गया था । उसने अपने आपको बड़ी मुश्किल से संभाला था ।
विनोद बिल्कुल नार्मल होकर पहले की तरह सुमन से बातचीत की। अगले ही दिन अपने मम्मी पापा के साथ सुमन के साथ शादी का प्रस्ताव लेकर सुमन के घर पर आ गया।
सुमन के परिवार वाले उनकी अच्छाई से काफी अभिभूत हो गए। सुमन ने विनोद से अकेले में कुछ बात करने की इच्छा जताई।
सुमन ने विनोद से कहा कि तुम क्यों अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हो ? तुम्हें तो एक से एक खूबसूरत लड़की मिल जाएगी, विनोद ! तुम्हे मुझसे थोड़ी सहानुभूति है, इसीलिए मुझसे शादी कर रहे हो न ?
विनोद ने कहा-हाँ, मानता हूँ की एक से बढ़कर एक लड़की मुझे मिल जाएगी, लेकिन सुमन तो नहीं मिलेगी न । मैनें तुम्हें चाहा है केवल तुम्हें। मैं तुमको आज भी उतना ही प्यार करता हूँ जितना मैं पहले करता था और तुमने जो अपने लिए सपना देखा था वो तुम अब भी पूरा कर सकती हो। मैं तुम्हारे साथ खड़ा हूँ।
सुमन की आँखों से झर – झर आँसू बहने लगे। वो विनोद के गले लगकर खूब रोई। रोते -रोते कह रही थी मैं इस दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की हूँ, जो तुम्हारे जैसा हमसफ़र मिला।
यही तो सच्चा प्रेम होता है जो परिस्थितियाँ बदल जाने पर भी ना बदले। जो रंग रूप नहीं केवल मन देखे।
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