सपनों की दुनियां | Bacchon ke liye Kahaniyan in Hindi

यह Bacchon ke liye Kahaniyan in Hindi है जो बहुत रोचक कहानी है। छोटी सी यह हिन्दी कहानी कई आकर्षक पात्रों से भरपूर है। यह कहानी एक बेहतर संदेश के साथ एक भावनात्मक परिस्थिति भी प्रस्तुत करती है। यह बिलकुल Bacchon ke liye Kahaniyan in Hindi है।

हमारी अन्य कहानी संग्रह में नींद वाली कहानी भी एक रोचक संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उनको कल्पनाओं की दुनिया में ले जाकर मन में रोमांच पैदा करती हैं । ये   कहानियां रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं।

कहानी सुनकर बच्चे सो जातें हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित होकर उनकों जीवन का जरुरी पाठ भी पढ़ाती हैं।

आजकल Bacchon ke liye Kahaniyan in Hindi जैसी Hindi Kahaniyan काफी संख्या में उपलब्ध भी हैं।

सपनों की दुनियां : Bacchon ke liye Kahaniyan in Hindi

यह कहानी बच्चों को दिन के समय सपने ना देखने की हिदायत भी देती है। एक समय की बात है। एक छोटे से गांव में शकुंतला नाम की एक अधेड़ उम्र की औरत रहती थी। वह सब्जी बेचकर अपना एवं अपने परिवार का किसी तरह से भरण- पोषण किया करती थी।

एक दिन की बात है , वह अपनी सब्जी को लेकर गांव के बाजार में बेचने के लिए जा रही थी। वह सब्जी के टोकरी को अपने माथे पर रखकर खेतों के रास्ते होते हुए बाजार की तरफ जा रही थी। रास्ते में ही चलते-चलते वह दिन में सपने देखने लगी थी।

वह सोच रही थी कि अगर उसकी सारी सब्जियां अच्छे दामों में बिक जायेंगे और उन सब्जियों को बेचकर जो रुपया मिलेगा वह उन पैसों का क्या-क्या करेगी। वह का मन ही मन योजना बनाने हुए चली जा रही थी। शकुंतला में सोचा कि वह इन पैसों से कुछ मुर्गियां खरीदेगी, मुर्गियां जब अंडे देने लगेगी तो वह उन अंडों को बाजार में बेचकर और अधिक पैसे कमाएंगी।

इन पैसों से वे अपने लिए एक फैंसी ड्रेस भी बनवाएंगी। अपने लिए एक नया घर भी खरीदेगी। वह तरह-वह अनेक प्रकार की योजनाएं बनाने लगी थी कि वह काफी अमीर हो जाएगी ,उसके सुंदर घर होंगे , गाड़ी होगी , गांव में उसकी प्रतिष्ठा होगी।

इस प्रकार वह सपने में ही काफी कम समय में एक अमीर महिला बनने का सोच रही थी। सपने देखने के चलते वह यह भूल गई थी कि उसके सिर पर एक टोकरी है और टोकरी में सब्जियां भरी पड़ी है , उसकी सब्जियां एक-एक कर रास्ते में गिरती जा रही थी।

धीरे-धीरे सब्जियां गिरते- गिरते उसकी टोकरी में एक भी सब्जी जब नहीं बची , तब उसे एहसास हुआ कि उसकी टोकरी काफी हल्की हो गई है। शकुंतला ने टोकरी अपने सिर पर से उतार कर जमीन पर रखा तो देखी उसकी टोकरी एकदम पूरी तरह से खाली हो गयी थी।

यह देखकर शकुंतला अब रोने- धोने लगी थी , परंतु अब वह क्या कर भी सकती थी ? अब उसे एहसास हुआ कि दिन में सपने देखने के चलते वह सब कुछ भूल गई थी और इसी बीच टोकरी में रखी सारी सब्जियां भी गिरकर बर्बाद हो चुकी थी। अब उसे अपनी भूल पर काफी पछतावा होने लगा था।

सुनहरे मोर की कहानी :Bacchon ke liye Kahaniyan in Hindi

एक समय की बात है। एक तालाब के पास पेड़ पर एक मोर रहता था। मोर काफी बड़ा और सुंदर था। उसे मोर के पंख कुछ अलग तरह के थे , वह सुनहरे पंख थे। तालाब से थोड़ी दूर पर एक झोपड़ी में एक बूढी औरत भी रहा करती थी। उस बूढी औरत की दो बेटियां भी उसके साथ रहती थी।

Bacchon ke liye Kahaniyan in Hindi

बुढ़िया के पति की बहुत पहले मृत्यु हो चुकी थी। बुढ़िया काफी मेहनत कर अपने और अपने दोनों बेटियों का लालन- पालन बड़ी मुश्किल से कर पा रही थी। पेड़ पर बैठा हुआ मोर प्रतिदिन उस बुढ़िया के मेहनत को देखा करता था। मोर को उस बुढ़िया पर दया आ गयी।

मोर ने सोचा की देखता हूं मैं उस बुढ़िया की क्या मदद कर सकता हूं ? उन्होंने सोचा कि अगर मैं अपने पंखों में से सुनहरा पंख बुढ़िया को दे दूँ और वह उसे सोने के पंख को किसी सोनार की दुकान में बेच दे तो उसे काफी पैसा मिल सकता है , और उन पैसों से वह अच्छी तरह अपने परिवार का पालन पोषण कर सकती है।

यह सोचकर अगले दिन मोर उस बूढी औरत की झोपड़ी के नजदीक जाकर बैठ जाता है। जब बुढ़िया अपने घर से बाहर निकली तो मोर को देखकर बुढ़िया ने सोचा कि शायद यह मोर बहुत भूखा है और खाने की तलाश में उसकी झोपड़ी के पास शायद आया है।

बुढ़िया ने मोर से कहा कि मेरे पास तुम्हें खिलाने के लिए कुछ भी नहीं है। बुढ़िया की बात सुनकर मोर ने कहा कि मैं खाने के लिए नहीं आया हूं , मैं तुम्हें कुछ देने के लिए आया है। मोर ने बुढ़िया को अपने सुनहरे पंखों में से एक पंख निकाल कर दे दिया और कहा की इसे बाजार में बेचकर तुम अपने लिए पैसे का इंतजाम कर सकती हो।

अगले दिन बुढ़िया और उसकी दोनों बेटियां सोने का पंख लेकर बाजार में बेचने के लिए चली गई थी। पंख बेचकर जो रुपया पैसा उसके पास में आया वह देखकर वह बुढ़िया और उसके दोनों बिटिया काफी खुश हो गई थी। अब मोर प्रतिदिन बुढ़िया के पास जाकर अपने सुनहरे पंखों में से एक पंख दे दिया करता था।

बुढ़िया और उसकी बेटी बाजार में जाकर बेचकर सोने के पंख बेचकर पैसे ले आया करती थी। अब बुढ़िया की बेटी मोर के साथ काफी घुल- मिल गई थी। मोर के साथ खेलना और घूमना करती रहती थी। ठंड के मौसम में और बरसात के दिनों में उस मोर की अच्छी तरह से देख भाल भी किया करती थी।

धीरे-धीरे समय बीत रहा था। बूढी औरत अब काफी लालची भी होती जा रही थी। उसने सोचा कि एक सुनहरे पंख से जब उसे इतने पैसे मिल सकते हैं तो अगर एक ही बार सारे पंख ले लिया जाए और उसे बाजार में बेच आया जाए तो एक ही बार में काफी पैसे मिल सकते हैं।

यह सोचकर उसने एक योजना बनाई कि कल जब मोर यहां आएगा तो मोर को पकड़कर उसके सारे पंख तोड़ लिए जाने चाहिए। यह बात उसने अपनी दोनों बेटियों को भी बताई पर उसकी दोनों बेटियां मोर के साथ ऐसा व्यवहार करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हुई।

उन्होंने अपनी मां की बात मैंने से साफ इंकार कर दिया। अगले दिन जब मोर बुढ़िया के दरवाजे पर पहुंचा तो बुढ़िया ने पीछे से आकर मोर का गर्दन पकड़ लिया और उसके सुनहरे पंखों को तोड़ना शुरू कर दिया। लेकिन यह क्या ? बुढ़िया जैसे-जैसे मोर के सुनहरे पंखों को तोड़ती जा रही थी वह पंख सफेद होते जा रहे थे।

यह देखकर बुढ़िया निराश हो गई और रो पड़ी। उसने मोर को छोड़ दिया। मोर वहां से उड़कर दूर चला गया। जाते-जाते मोर ने बुढ़िया को कहा कि तुम अब लालची हो गई हो। जब तुमने मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरे सुनहरे पंख नोच लिए तो वह सुनहरा पंख अपने आप सफेद हो गया और सफेद पंख तुम्हारे किसी काम के नहीं हैं।

इतना कहकर मोर वहां से काफी दूर उड़ गया और आज के बाद वह मोर उस बुढ़िया एवं उनकी बेटियों को कभी दिखाई नहीं पड़ा।

रागिनी का लंच बॉक्स : बच्चों की रात की कहानियां

एक बार की बात है। किसी गांव में ‘ रागिनी ‘ नाम की एक लड़की रहती थी। वह कभी भी अपना कोई भी सामान किसी के साथ शेयर नहीं करती थी , यहां तक की अपने स्कूल के दोस्तों को भी अपना कोई सामान नहीं देती थी।

एक दिन की बात है। स्कूल की ओर से वह अपने क्लास के दोस्तों के साथ जंगल में पिकनिक मनाने गयी हुई थी। पिकनिक में वह अपने खाने के लिए घर से कुछ फल लेकर आए हुई थी। दोपहर में जब सभी लोग नाश्ता कर रहे थे तो उसने भी अपना लंच बॉक्स खोल कर खाना चाहा।

लेकिन गलती से लंच बॉक्स में रखा हुआ सेब और फल के टुकड़े नीचे जमीन पर गिरकर खराब हो गए और वह खाने लायक नहीं रह गए। यह देखकर रागिनी काफी उदास हो गई और वह रोने भी लगी थी। उसके सामने बैठा हुआ एक लड़का सुरेश जो उसकी ही क्लास में पढ़ता था , सुरेश रागिनी के पास आया और उससे कहा रागिनी तुम रो क्यों रही हो ?

रागिनी ने उसे दिखाया कि उसका सारा फल जमीन पर गिरकर बर्बाद हो गया और वह खाने लायक नहीं रहा। इस पर सुरेश ने कहा कि – तुम निराश मत हो , तुम मेरा सैंडविच खाकर अपनी भूख मिटा सकती हो। इसपर रागिनी ने सुरेश से पूछा कि- तुम अपना ब्रेकफास्ट मुझे दे रहे हो तो तुम क्या खाओगे ?

इस पर सुरेश ने कहा कि थोड़ा सा मैं भी खा लूंगा। सुरेश ने आगे कहा कि – एक दोस्त ही दूसरे दोस्त के काम आता है , हमें अपनी चीजों को एक दूसरे से बांटनी चाहिए और हमेशा एक दूसरे से शेयर करना चाहिए।

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