मां और बेटी की मार्मिक कहानी |Bedtime stories for kids in hindi

Bedtime stories for kids in hindi कहानी एक दिल छू लेने वाली हिंदी कहानी  है जो सभी उम्र के पाठकों को सही शिक्षा देने और उसमें अच्छे संस्कार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा Bedtime stories for kids in hindi के अलावा हमारी  अन्य कहानी  भी काफी महत्वपूर्ण संग्रह है ,जो बच्चों को बेहतर  परवरिश  में काफी सहायक है। यह कहानी  बच्चों को सपनों के निराली दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करती है। 

यह कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती है। कहानी सुनते-सुनते बच्चे सो जाते हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित  होकर उनको जीवन का  जरुरी  पाठ में पढ़ाता  है। आजकल Bedtime stories for kids in hindi जैसी कहानी ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध  भी  है। यह हिंदी स्टोरी फॉर किड्स पंचतंत्र भी है।

मां और बेटी की मार्मिक कहानी :Bedtime stories for kids in hindi

सुभद्रा जी सरकारी हॉस्पिटल से अपने घर लौट आयी थी। घर आकर उसने देखा कि उसकी बेटी राधा उसकी जगह बैठकर उसकी सिलाई मशीन चला रही थी। उसने अपनी बेटी से पूछा राधा पूछा कि ” बेटी क्या कर रही है ? और कहते हुए सुभद्रा जी ने बड़े प्यार से अपनी बेटी के सर पर अपना हाथ फेरा।

राधा ने अपनी मां से कहा कि ‘ मम्मी बगलवाली कमला आंटी कल आई हुई थी , चार दिनों के बाद उन्हें एक शादी में जाना है , यह ब्लाउज सिलने के लिए अर्जेंट में दे गई थी, तो मैंने सोचा कि जब तक तुम हॉस्पिटल से घर वापस लौटोगी तब तक इस ब्लाउज को तैयार कर देती हूँ।

राधा ने कहा, फिर उसने अपनी मां को एक गिलास पानी लाकर पीने के लिए देती है। सुभद्रा यह सोच रही थी कि ‘ यह क्या हो गया है ?एक समय ऐसा था ,जब राधा घर के किसी भी काम में हाथ नहीं बटांती थी ,सिर्फ पापा से पैसे लेकर जाती और मार्केट से कुछ ना कुछ सामान जैसे चॉकलेट, आइस क्रीम, पिज्जा , पेस्ट्री ले आती थी। यही उसकी जिंदगी थी और आज एक जिम्मेदार लड़की की तरह काम कर रही है।  

राधा ने फिर अपनी मम्मी से पूछा ,क्यों पापा कैसे हैं मम्मी , अस्पताल के डॉक्टर ने क्या बताया है? सुभद्रा ने कहा , बेटी ,डॉक्टर तो बस बार-बार एक ही बात कहतें है कि तुम्हारे पिताजी अभी कोमा में है। कुछ समय बाद में उन्हें अवश्य होश आ जायेगा। हम लोग की किस्मत में क्या लिखा है पता नहीं। एक एक्सीडेंट की घटना ने हम लोगों की दुनिया ही बदल दी। सारी खुशियां हम लोगों से छीन ली। इस परिस्थिति में सारे रिश्तेदारों ने भी अब बात करना बंद कर दिया है। तुम्हारे पिता के इलाज में सब सारे पैसे खत्म हो चुके हैं , पता नहीं आगे अब क्या होगा ?

राधा को अपनी मां की बात सुनकर उसके मन में में गहरी उदासी छा गयी। उसकी मम्मी सारा दिन उसके पापा का अस्पताल में देखभाल करती थी, क्योंकि उसके पिता की एक्सीडेंट के बाद से वे कोमा में चले गए हैं। राधा सोंच रही थी की हम लोग पहले एक बड़े से घर में रहते थे ,लेकिन पिताजी के इलाज में जमा पैसे खर्च होंगे लगे, जिसके कारण उस बड़े घर को बेच कर अब हम लोग एक छोटे से किराए के मकान में रहने लगे हैं। हर जगह अपनी कार से जाने वाली मेरी मम्मी आज सरकारी बस में आना-जाना कर रही थी।

पापा का कपड़ें का सारा बिज़नेस पर भी उनके एक दोस्त -पार्टनर ने कब्जा कर लिया है, क्योंकि उन्हें पता है कि पापा अधिक समय तक इस दुनिया में नहीं रहेगें। जो भी नजदीकी रिश्तेदार है, हमारे घर पर आना जाना भी बंद कर दिए हैं। फोन से बात करना भी बंद कर दिए हैं। उनको इस बात का डर है की कहीं हम लोग उनसे पैसे की मांग न कर बैठे।  

राधा इस तरह सोचने में लीन थी , तभी उसने अपने आप को संभाला और अपनी मम्मी से कहा, ‘ मम्मी तुम अब चिंता मत करो। पापा बिल्कुल ठीक होकर अपने घर आ जाएंगे और सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा। हां एक बात और मैं आपको यह बताना भूल गई थी कि मैं कल से ट्यूशन पढ़ाने का काम शुरू करने जा रही हूँ। यह सुनकर सुभद्रा जी के चेहरे पर उदासी छा गयी।

एक समय था , उसने अपनी बेटी को डॉक्टर बनने का सपना कभी देखा था। उसके पापा भी बेटी को एक डॉक्टर बनना चाहते थे। आज स्थिति ऐसी हो गई है कि वही बेटी अपना करियर भूल कर पढ़ाई छोड़कर अब घर चलाने के लिए प्राइवेट ट्यूशन देने के बात कर रही है। जिंदगी में क्या कुछ देखना पड़ता है किसी को भी नहीं मालूम। ख़राब परिस्थितियां किसी भी इंसान को मजबूर कर सकती है।

अगले दिन सुभद्रा जी अस्पताल गई। अस्पताल में पहुंचते ही उन्हें यह मालूम पड़ा कि अब उनके पति इस दुनिया में नहीं है। बीते रात ही उन्होंने दम तोड़ दिया है । जो आखिरी उम्मीद की किरण थी वह भी आज खत्म हो गयी थी । और फिर इसके बाद शुरू हुआ वह 13 दिन का उत्सव ,अब रिश्तेदार अपने सगे और हितैषी बनकर समय पर उनके घर पहुँच चुके थे । इनका छोटा सा घर मेहमानों से पूरी तरह से भर गया था। लेकिन सुभद्रा और उसकी बेटी की आंखें बराबर एक दूसरे को देख रहीं थी। उन दोनों को अपने रिश्तेदारों से काफी नफरत सी हो गयी थी। उन्हें पता था कि 13 दिन के इस उत्सव के बाद उनके रिश्तेदार कभी भी नजर नहीं आएंगे।  

13 दिन बीतने के बाद सारे रिश्तेदार वापस अपने – अपने घर लौट गए। मां और बेटी अब एक नए सिरे से अपनी जिंदगी जीने का फैसला कर लिया था। वे दोनों उस बड़े शहर को छोड़कर अब अपने गांव आ गए थे। सुभद्रा के पति की निशानी यही गांव में स्थित पुराना मकान था और थोड़ी बहुत कुछ जमीन थी जिस पर खेती-बाड़ी किया जा सकता है। दोनों मां -बेटी काफी मेहनत करके अच्छी फसल पैदा करने लगे। कुछ दिनों के बाद थोड़े पैसे आने लगे तो उन्होंने खेतों में काम करने के लिए मजदुर रख दिए।

राधा अब गांव के छोटे छोटे बच्चों को भी TUTION भी पढ़ाती थी। थोड़ी सी आमदनी में दोनों सकून की जिंदगी जी रही थी। सुभद्रा जी अगल बगल के गांव में ही कोई अच्छा सा लड़का देखकर थोड़े खर्चे में अपनी बेटी राधा की शादी कर देना चाहती थी , क्योंकि गांव में अभी भी शहरों की तरह दिखावा नहीं होता।

कुछ दिनों के बाद ही सुभद्रा जी को एक अच्छा सा लड़का अपनी बेटी के लिए नजर आ गया। उस लड़के के परिवार वाले भी काफी सज्जन थे। थोड़ा बातचीत करने के बाद ही लड़के के परिवार वालों ने शादी करने की हामी भर दी। राधा की शादी हो गयी। कुछ महीनों के बाद राधा को एक बेटी भी हुई। अब मां -बेटी अपनी -अपनी जिंदगी में व्यस्त हो चुके थे। पुराने घाव पूरी तरह से भर चुके थे। सभी आने वाले दिनों के लिए अपनी -अपनी ओर से मेहनत कर रहे थे। राधा का बच्चा भी धीरे धीरे अब बड़ा होता जा रहा था। तो यही कहानी है Bedtime stories for kids in hindi and Bedtime stories for kids in hindi with moral .

शालू और उसकी सौतेली माँ : Bedtime stories for kids in hindi with pictures

शालू , तुमने फिर से कपड़े आलमारी में नहीं रखें हैं। कामनी जी की आवाज शालू कानों में पड़ती है। शालू जल्दी से कपड़े वाले रैक ठीक-ठाक करने लग जाती है , और बाहर रखे हुए कपड़े सहेज कर रैक में रख देती है, लेकिन इसके बाद भी शालू की सौतेली मां कामनी जी शांत नहीं होती है।

उसे और ज्यादा ही खड़ी- खोटी सुना देती है। शालू उदास होकर अपने कमरे में चली जाती है ,और बेडरूम का दरवाजा बंद कर अपने पलंग पर पसर जाती है। वह सोचने लगती है, काश मेरी मां आज जिंदा होती । मेरे पापा दूसरी शादी न किए होते या काश मैं भी अपनी मां के साथ ही मर गयी होती।

ऐसे ही बातें सोच-सोच कर शालू रोने लग गई थी। कुछ देर तक उदास रहने के बाद वह पलंग पर ही कुछ घंटे पड़ी रही। कुछ देर के बाद जब उसकी आंख खुली तो उसे काफी जोरों की भूख लगी थी। शालू की अपनी मां तो जीद करके उसे खाना खिला देती थी, लेकिन उसकी सौतेली मां कामनी जी को कोई मतलब नहीं रह गया था।

शालू जल्दी-जल्दी से किचन में घुसी। किचन में जाकर देखा तो खाना तो खत्म हो चुका था। उसने फ्रिज खोला। फ्रिज में सिर्फ एक सेब पड़े थे। उसे खाकर ही वह पानी पीकर अपने कमरे में आ गयी। स्कूल का अपना होमवर्क किया और अपने ट्यूशन का काम भी पूरा किया। अब उसके शाम का ट्यूशन जाने का समय भी हो चुका था।

वह उठी और कामनी जी के बेडरूम में गयी। कामनी जी अपने बेडरूम में लेटी हुए थी। शालू ने कहा ‘ मम्मी , घर का गेट बंद कर लीजिए ,मैं ट्यूशन पढ़ने जा रही हूं। शालू ने अपनी मां से कहा। कामनी बोली ,मैं तो तेरी नौकर ही हूं ना। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि इतने सारे पैसे तुम्हारे पढ़ाई पर क्यों खर्च किया जा रहा है।

पता नहीं कल कलेक्टर बनोगी की ऑफिसर बनोगी ? कामनी जी को बोलना छोड़कर शालू अपने घर से निकल कर ट्यूशन पढ़ने चुपचाप चली गयी। उसे यह बात पता था कि वापस आकर जब डोर बेल बजाएंजी , उसके बाद फिर उसके बाद मम्मी कुछ ना कुछ जरूर कटाक्ष करेंगी।

शाम को उसके पापा घर आ गए। आते ही उन्होंने अपनी पत्नी कामनी से कहां कि शालू कहाँ है ? मेरी लाडो रानी देख मैं तेरे लिए बाजार से क्या लेकर आया हूं ? यह कहकर सुरेश जी ने एक बड़ी सी टेडी -बीयर लाकर शालू के हाथ में पकड़ा दी थी। खिलौना देखकर शालू के चेहरे पर एकदम से खुशी छा गई थी। उसकी खुशी उस खिलौने से नहीं बल्कि इस बातों से थी कि उसके पापा अभी भी उसे कितना प्यार करते हैं।

यह अलग बात है कि वह अपनी पत्नी से काफी डरते भी हैं। तभी उसकी सौतेली मां कामनी जी पिताजी के लिए गिलास में पानी लेकर आ गयी। उसने कहा क्या जरूरत है फालतू खर्च करने की ? वैसे भी इसकी पढ़ाई -लिखाई पर कितना सारा खर्च हो ही रहा है। सुरेश जी ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा , कोई बात नहीं, अभी बच्ची है ,इसका भी तो मन करता होगा खेलने का।

वैसे भी यह बेचारी किसी चीज की जिद बिल्कुल नहीं करती है। ऑफिस से लौटते समय बाजार में यह टेडी – वीयर देखा तो मुझे काफी पसंद आ गया ,मैं इसे अपनी बेटी के लिए ले आया। कामनी जी सुनकर चुप रह गई और पर पटकते हुए चाय बनाने के लिए किचन में चली गयी।

अपने पत्नी के मरने के बाद सुरेश जी ने दूसरी शादी की थी ,यह सोचकर कि अब वह और उसकी बेटी अच्छे से रहेगी। लेकिन कामनी जी चाहती थी किसी तरह से शालू भी इस दुनिया से चली जाए। वह बस सुरेश जी के कारण चुप रहना चाहती थी। जिस दिन भी शालू की स्कूल की छुट्टी रहती थी और जब सुरेश जी ऑफिस चले जाते थे तो कामनी जी सारा काम समेट कर शालू के जिम्मे में डाल देती थी और आराम से सोने के लिए चली जाती थी।

वैसे तो रजनी की उम्र मात्र 10 साल थी , लेकिन ऐसा लगता था कि अपनी मां के मरते ही वह अपनी उम्र से काफी बड़ी हो चुकी थी। घर का सारा छोटा -बड़ा काम करती थी , साथ ही अपनी पढ़ाई भी मन से करती थी। सौतेली मां की डांट भी सुनती थी। कभी-कभी सौतेली मां उसकी पिटाई भी कर देती थी। एक दिन शालू बर्तन साफ कर रही थी ,तभी एक कांच का गिलास टूट कर उसके हाथों में चुभ जाता है। यह देखकर उसकी मां उसे काफी डांटती है।

शालू अपने कमरे में आकर सो जाती है। उसके पापा कमरे में आते हैं। पापा ने देखा कि शालू तकिया में मुंह छुपा कर रो रही है। उसने पूछा क्या बात है बेटी ? आज खाना नहीं खाया ? तुम रो क्यों रही है? यह सुनकर शालू को और जोर -जोर से रोना आ गया। उसने कहा पापा , मुझे अब मर जाना चाहिए। सुरेश जी से एकदम चौंक जातें है कि यह क्या हुआ ? बेटा बताओ ? शालू सारी बात अपने पिता को बता दी।

सुरेश जी सोच में पड़ जाते हैं। क्या हो गया है ? भगवान, मैं क्यों दूसरी शादी कर ली। मेरे बच्चों को संभालने के लिए दूसरी शादी कर ली थी। सुरेश जी ने अपनी बेटी को कहा कि , तू चिंता मत करना सब ठीक कर दूंगा। चल तू जल्दी से खाना खा ले। शालू खाना खाकर सोने चली गयी।

सुरेश जी ड्राइंग रूम में आकर गहरी चिंता में डुब गए थे। वह सोच रहे थे कि शालू का भविष्य पता नहीं क्या होगा ? कुछ दिन सामान्य ढंग से इसी तरह चलते रहा। एक बार ऑफिस के काम से सुरेश जी को बाहर जाना था। उसने शालू से कहा कि बेटा मैं 2 दिन के लिए बाहर जाऊंगा ,तुम ढंग से रहना और मां की बात का बुरा मत मानना।

कुछ घंटों के बाद सुरेश जी चले गए। शालू चुपचाप अपनी मां के कहे अनुसार घर का काम करती रही। 2 दिन के बाद सुरेश जी वापस आये। कुछ दिनों के बाद कामनी जी भी शादी में अपने मायके चली गयी थी। सुरेश जी ने अपना और शालू का सामान पैक किया और दोनों घर से बाहर निकल गए।

दोनों बाप – बेटी रेलवे स्टेशन पहुंचे। मुंबई जाने वाली गाड़ी पर सुरेश जी और शालू चढ़ गए। शालू को कुछ समझ नहीं आ रहा था। पापा से वह बोली पापा , हम दोनों कहां जा रहे हैं ? उसके पापा बोले ,अपना सब कुछ छोड़कर अब हम कहीं और जा रहें है , जो गलती मैंने की थी उसका प्रायश्चित करने जा रहा हूं। मैं तेरे लिए मां लाना चाहता था लेकिन मुझे क्या पता मैं तेरी दुश्मन लेकर आऊंगा।

शालू यह सब सुनकरदूसरा ही पल बोली कि ” लेकिन पापा अब मम्मी का क्या होगा ? वह अकेले कैसे रहेगी ? यह सुनक सुरेश जी बोले कि इसकी चिंता तुम मत करो। उसके बैंक में मैं ढेर सारे पैसे जमा कर दिया हूँ। उसे उसकी जिंदगी चल जाएगी। दोनों बाप – बेटी मुंबई पहुंचते हैं। किराया का मकान लेकर रहने लग जातें हैं। सुरेश जी एक छोटी नौकरी भी वहां करने लगते हैं।

जब कामनी अपने मायके से घर वापस आती है तो देखती हैं , घर में ताला लगा हुआ है। वह मन ही मन कहती है कि सुरेश जी के आने पर मैं उनको सबक सिखाऊंगी। । यह सोचकर कामनी जी अपने बेडरूम में जाकर सो जाती है। सुबह से शाम हो जाती है, रात हो जाती है लेकिन सुरेश जी और शालू कहीं नजर नहीं आते हैं। वह देखती है की डाइनिंग टेबल पर कुछ सामान रखा हुआ है और सामान के नीचे एक चिट्ठी भी रखी हुई है।

कामनी ने जब चिट्ठी पढ़ी तो चिट्ठी पढ़ते ही उसका काफी बुरा हाल हो गया था। बैंक की पासबुक, सुरेश जी का मोबाइल भी वहीँ पड़ा था। उस चिट्ठी में लिखा था की ” बेटी के खातिर अपना सब कुछ छोड़कर हम दोनों एक नई दुनिया बसाने के लिए निकल चुके हैं। मुझे खोजने का बेकार प्रयास मत करना। अलविदा । तो यही कहानी है Bedtime stories for kids in hindi and story for kids in Hindi

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