सच्ची प्रेम कहानी हिंदी में | Short True Love Story in Hindi :- यह हिंदी कहानियों का यह एक बेहतर संग्रह है ,जो बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के साथ- साथ उनके लिए मनोरंजन का भी एक अच्छा साधन है। नींद लाने वाली कहानियाँ भी महत्वपूर्ण कहानी संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उन्हें सपनों की निराली दुनिया में ले जाकर उनको संतुष्टि प्रदान करतीं हैं ।
ये कहानियां रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं ,और जो उनके सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित होकर उनकों जीवन का जरुरी पाठ भी पढ़ाती हैं। हमारी ये कहानियां काफी संख्या में उपलब्ध हैं जो बच्चों को नैतिक शिक्षा देती है।
यह प्रेम कहानी है , जो Short True Love Story in Hindi और Heart Touching Motivational Story in hindi भी है।
सच्ची प्रेम कहानी हिंदी में | Short True Love Story in Hindi
Short True Love Story in Hindi:-एक प्रिया नाम की एक लड़की थी। उसकी उम्र 19 साल थी। वह बी0ए0 ( ग्रेजुएशन ) पहली सेमेस्टर में एडमिशन करायी थी। प्रिया काफी खूबसूरत और स्वभाव से काफी सुशील लड़की थी। प्रिया कॉलेज में बिना वजह किसी से कोई बात भी नहीं करती थी। कॉलेज में लड़के उसकी शराफत एवं मासूमियत का फायदा भी उठाया करते थे। कॉलेज में कुछ लड़के- लड़किया के द्वारा उसे परेशान भी किया जाता था।
Short True Love Story in Hindi
एक दिन ऐसा हुआ कि , प्रिया अपने घर से कॉलेज के लिए निकली थी। कॉलेज के गेट से अंदर जा ही रही थी कि रास्ते में उसके सीनियर लड़के- लड़कियों का गुट उसका रास्ता रोक लेते हैं। सीनियर लड़के- लड़कियां मिलकर उसे अपने नजदीक बुलाकर पहले तो उसे काफी परेशान करते हैं। उसकी रैगिंग की जाती है।
सीनियर स्टूडेंट प्रिया से पूछते है कि – ‘ क्या तुम्हें एबीसीडी लिखने आता है, मुझे एबीसीडी लिखकर दिखाओ। प्रिया कहती है कि – अगर मुझे एबीसीडी लिखने नहीं आती तो मैं कॉलेज में एडमीशन कैसे ले पाती।
इतना सुनते ही कॉलेज के सीनियर लड़के – लड़कियों के उस ग्रुप को बहुत ज्यादा गुस्सा आ जाता है। वे लोग मिलकर प्रिया को बहुत बुरा- भला कहने लगती है। इसी समय प्रिया की क्लास में पढ़ने वाला एक लड़का सुरेश की नजर प्रिया पर पड़ती है। वह देखता है कि उसके सीनियर लड़की और लड़कियां मिलकर प्रिया के साथ छेड़छाड़ और उसकी रैगिंग कर रहें हैं।
यह सब कुछ देखकर सुरेश अपने आप को रोक नहीं पाता है और उन लोगों के नजदीक जाकर कहता है- ‘ कि यह आप लोग क्या कर रहें हैं। यह काम बिल्कुल गलत है। किसी भी लड़की को इस तरह से जलील करना और उसकी खिल्ली उड़ाना बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है।
इतना सब होते-होते सीनियर लड़के एवं कुछ क्लासमेट वहां जमा हो जाते हैं अंत में सुरेश प्रिय को अपने साथ लेकर कॉलेज के अंदर क्लास रूम में चला जाता है। क्लास खत्म होने के बाद रमेश बाहर आता है, पीछे से प्रिया भी बाहर निकलती है।
प्रिया सुरेश के नजदीक जाती है और उससे कहती है कि – कॉलेज में जो लड़की -लड़कियां मिलकर मुझे परेशान कर रहे थे उन लोगो से बचाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सुरेश कहता है कि इसमें धन्यवाद देने की कोई आवश्यकता नहीं है,तुम मेरी क्लासमेट हो और तुम्हारी रक्षा और हिफाजत करना मेरा तो फर्ज है।
सुरेश अब प्रिया को कहता है कि कल से हम दोनों में जो भी पहले कॉलेज पहुंचेगा, वह दूसरे का इंतजार करेगा और तुम पहले कॉलेज पहुंच जाओगी तो मेरा इंतजार करना और अगर मैं पहले पहुंच जाऊंगा तो मैं भी तुम्हारा इंतजार करूंगा।
सुरेश प्रिया को कहता है कि तुम मेरे साथ ही कॉलेज के अंदर चलना। उसके बाद कॉलेज के अंदर तुम्हें कोई भी परेशान नहीं करेगा। अगर तुम अकेली जाओगी तो तुम्हें परेशान किया जा सकता है। अब से दोनों ऐसा ही करने लगे।
प्रिया और सुरेश में जो भी पहले कॉलेज आता था, वह दूसरे का इंतजार करता था और दोनों मिलकर कॉलेज के अंदर प्रवेश करते थे। इस तरह होते-होते दोनों का प्रथम सेमेस्टर पूरा हो गया और भी प्रमोट होकर कॉलेज के तीसरे सेमेस्टर तक पहुंच चुके थे।
दोनों को एक दूसरे से मिलते -जुलते करें एक वर्ष से कुछ ज्यादा ही बीत चुके थे। कॉलेज से घर पहुंचने के बाद भी वे दोनों अपने-अपने मोबाइल से एक दूसरे से बात कर लिया करते थे। धीरे-धीरे दोनों में काफी गहरी दोस्ती हो गई। दोनों को एक दूसरे से बिना बात किए हुए चैन नहीं आता था।
सुरेश और प्रिया दोनों एक साथ क्लास में आते थे और एक साथ ही क्लास से बाहर निकल कर घर की तरफ जाते थे। वे दिन भर एक दूसरे के आसपास ही रहा करते थे। दोनों को इस तरह एक साथ हर जगह आते -जाते देखकर क्लास और कॉलेज के बहुत सारे लड़के -लड़कियां दोनों के बारे में तरह-तरह की बातें किया करते थे।
लेकिन इन सब बातों पर प्रिया और सुरेश का कभी ध्यान ही नहीं रहा। इन बातों से उन दोनों को कोई फर्क भी नहीं पड़ता था। प्रिया अपने क्लास के उन लड़की -लड़कियों को कहा करते थे कि वह और सुरेश सिर्फ एक अच्छे दोस्त हैं और जिसे जो समझना है समझते रहे, परंतु हम दोनों में कोई गलत संबंध नहीं।
हम साथ में आते हैं और एक साथ रहते हैं और घर वापस जाते समय भी साथ में ही जाते हैं, हम लोग हमेशा ऐसे ही रहेंगे। तुम लोगों को या दुनिया वाले को कुछ भी सोचते रहे हम दोनों को कोई फर्क नहीं पडने वाला है। धीरे-धीरे 3 साल गुजर गए प्रिया और सुरेश की अंतिम वर्ष की पढ़ाई चल रही थी।
कुछ दिनों के बाद अंतिम वर्ष की फाइनल परीक्षा भी होने वाली थी। फाइनल परीक्षा के बाद सभी लोगों को कॉलेज से छुट्टी हो जाती। अब सुरेश और प्रिया को यह चिंता सताने लगी की, कॉलेज से निकलने के बाद और कॉलेज खत्म होने के बाद हम दोनों कैसे मिल सकते हैं। हम लोगों को कॉलेज आना -जाना तो अब बंद होने वाला है।
कॉलेज में आखिरी वर्ष का फाइनल एग्जाम हो रहा था। तभी प्रिया सुरेश से कहती है कि – ‘ सुरेश अब तुम्हारे बिना मुझे रहने की आदत नहीं है, मुझे तुम्हारी आदत लग गई है , I Love You Suresh , तुम्हारे बिना अब हमें रहना होगा यह सोच -सोच कर परेशान हूं कि कॉलेज बंद होने के बाद मैं कैसे रहूंगी। ‘
यह बात सुनकर सुरेश प्रिया के नजदीक आता है, और कहता है कि मेरा भी हाल बिल्कुल तुम्हारे जैसा ही है। हम लोग पिछले तीन-चार सालों से साथ-साथ रहते आ रहे हैं। एक साथ कॉलेज आते हैं और एक साथ कॉलेज से वापस जाते हैं, क्लास में भी साथ-साथ बैठकर पढ़ाई करते हैं यहां तक की घर में भी हम लोग दूसरे से मोबाइल पर काफी बातें किया करते हैं।
मुझे भी अब यह एहसास हो रहा है कि कॉलेज बंद होने वाली है, कॉलेज बंद होने के बाद हम दोनों कैसे मिलेंगे। एक दूसरे से कैसे बात करेंगे। इस बात की चिंता से मैं भी काफी परेशान हूं।
लिखित परीक्षा का अंतिम दिन चल रहा था। परीक्षा काफी देर तक होते रहे। हल्का-हल्का अंधेरा भी हो चुका था। उस दिन प्रिया और सुरेश में कुछ ज्यादा खास बातचीत भी नहीं हो पाई थी। इसका कारण यह हुआ था कि प्रिया को कॉलेज से घर ले जाने के लिए आज उसके पापा मोटरसाइकिल लेकर आए हुए थे।
जैसे ही परीक्षा समाप्त हुआ, प्रिया अपने पापा के साथ मोटरसाइकिल पर बैठ कर अपने घर चली गई थी। घर पहुंचते ही प्रिया काफी चिंतित हो गयी। वह आज सुरेश से कुछ बात भी नहीं कर पायी थी। प्रिया अपने घरवालों से अलग हटकर अकेले में जाकर सुरेश से बात करना चाह रही थी परंतु उसे मौका ही नहीं मिल रहा था।
जैसे -तैसे प्रिया को कुछ अकेलापन मिला तो वह अपने मोबाइल से सुरेश को फोन लगायी और बैठकर उससे बात करने लगी। सुरेश तो प्रिया के फोन का ही इंतजार कर रहा था। जैसे ही फोन बज सुरेश में लपक कर अपना मोबाइल फोन उठा लिया सुरेश ने प्रिया को कहा कि -‘ मैं तुम्हारा ही फोन का इंतजार कब से कर रहा था।
प्रिया रमेश को कहती है कि आज मैं आपसे कॉलेज में बात नहीं कर पायी थी। मेरे पापा आ गए थे और मुझे पापा के साथ मोटरसाइकिल पर अपने घर जाना था और पापा बोले कि जल्दी चलो देर हो रही है। इस कारण आज मौका नहीं मिला कि मैं आपसे बात कर सकूं। मुझे माफ कर देना। मुझे आपके बिना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है।
उधर सुरेश भी यही बात कहता है कि ‘ प्रिया तुम्हारे बिना अब रहना संभव नहीं है। मुझे भी तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लग रहा है। प्रिया करती है कि ‘ सुरेश लगता है हम दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया है। एक दूसरे के बिना अब बिल्कुल नहीं रह सकते। जैसे-जैसे समय बीतता गया दोनों की दूरियां उसकी मजबूरियों बन चुकी थी।
क्योंकि दोनों को कॉलेज के बहाने बाहर जाने का मौका ही नहीं मिल पा रहा था। प्रिया क्या कह कर घर से बाहर निकलती और सुरेश से मिलती ? उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। फिर भी दोनों मोबाइल फोन एवं व्हाट्सएप -कॉलिंग कर दिन भर एक दूसरे से बात किया करते थे।
बिना बात किए हुए दोनों को मन भी नहीं लगता था। एक दिन प्रिया काफी परेशान थी। उसने देखा कि उसके घर में उसकी शादी को लेकर घर वाले आपस में चर्चा कर रहे है। वह इस बात को सुनकर काफी परेशान हो गयी। उसे लगा कि मैं कैसे दूसरे पुरुष के साथ अपना जीवन गुजार सकती हूँ।
सुरेश को यह बात बताती है कि मेरे घर वाले मेरी शादी के लिए कहीं लड़के देख रहे हैं। प्रिया सुरेश से कह दिया कि सुरेश कुछ भी हो जाए, मैं आपके सिवा किसी से शादी नहीं करूंगी। मैं जब भी शादी करूंगी तुमसे ही करूंगी, चाहे इसके लिए जो भी हो जाए।
एक दिन प्रिया के मम्मी- पापा अपनी प्रिया को अपने पास बुलाते हैं। उसे बतातें हैं की ‘ देख बेटा मैं तुम्हारे लिए एक लड़का देख चुका हूं। इस फाइल में उस लड़के का फोटो है। फोटो देखकर तुम बताओ यह लड़का तुम्हारे लिए कैसा है ? यह सुनते हैं प्रिया को काफी निराश हो जाती है।
वह अपनी मां से कहती है कि – मैं अपना लिए एक लड़का पसंद कर लिया है, मुझे किसी और लड़के से शादी नहीं करनी है। आप मेरे के लिए लड़का ढूंढना बंद कर दीजिये। मैं जब भी शादी करूंगी, अपने पसंद के लड़के से ही करुँगी नहीं तो मैं जीवन भर कुंवारी रहूंगी। मैं अपने लिए एक लड़का बहुत पहले ही पसंद कर चुकी हूँ। उसके बिना मैं नहीं रह सकती।
ऐसे में किसी और लड़के के बारे में मैं कभी सोच भी नहीं सकती। लेकिन उसके माता-पिता अपनी प्रिया से उस लड़के के बारे में, उस लड़के के घर- खानदान के बारे में पूछती है। काफी देर तक मां – बेटी के बीच एक अच्छे माहौल में बातचीत होती है।
प्रिया के पापा उस लड़के के परिवार से मिलते हैं। वह लड़का प्रिया के लिए उसके पापा को भी पसंद आ जाता है। अंत में प्रिया और सुरेश का प्यार जीत जाता है। प्रिया और सुरेश की शादी करने के लिए उन दोनों के परिवार वाले तैयार हो जाते हैं। कुछ महीनो के बाद दोनों की शादी हो जाती है, और दोनों अपना -अपना जीवन खुशी – पूर्वक बिताना शुरू कर देतें है, this is a Real Love story in Hindi.
conclusion
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