Hindi Motivational Story in hindi जो एक दिल छू लेने वाली कहानी जो सभी उम्र के पाठकों को सही शिक्षा देने और उसमें अच्छे संस्कार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा हमारी अन्य कहानी भी एक महत्वपूर्ण संग्रह है ,जो बच्चों को बेहतर परवरिश काफी सहायक है। यह कहानी बच्चों को सपनों के निराले दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करती है।
यह कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती है। कहानी सुनते-सुनते बच्चे सो जाते हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित होकर उनको जीवन का जरुरी पाठ में पढ़ाता है। आजकल Hindi Motivational Story in hindi जैसी कहानी ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध भी है।
आइये पढ़तें हैं , शिक्षक और छात्र की अनूठी कहानी : Hindi Motivational Story in hindi एक जो जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी है।
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शिक्षक और छात्र की अनूठी कहानी : Hindi Motivational Story in hindi
यह कहानी जीवन आधारित मोटिवेशनल कहानी है। वह रविवार का दिन था , जिस कारण किशन का स्कूल आज बंद था। वह आज इधर – उधर घूमने के मूड में था। वह अपने घर से बाहर निकला और आम के बगीचे की ओर यूँ ही चल दिया जहाँ गांव के बच्चे खेला करते थे । रास्ते में उसे अपने स्कूल के शिक्षक बैजनाथ जी मिले ,जो उसके घर के तरफ ही जा रहे थे। यह देखकर किशन वहीँ रुक गया। उसने अपने मास्टर जी को ‘नमस्ते ‘कहा और ‘ उनसे पूछा कि आप कहां जा रहें हैं सर ? मास्टर जी ने कहा आज तो तुम्हारे स्कूल की छुट्टी है। तेरे पिताजी के पास कुछ काम से मिलने जा रहा हूं। क्या तुम्हारे पिताजी तुम्हारे घर पर हैं ? जी सर , हमारे पिताजी अभी घर पर ही हैं। किशन ने अपने मास्टर साहब को जवाब दिया।
मास्टर जी को साथ लेकर किशन अपने घर पहुंचा। किशन की आवाज सुनकर उसके पिता लक्ष्मण जी अपने घर से बाहर आये और देखे कि मास्टर साहब आए हैं। क्या बात है मास्टर साहब ? कहिए मेरे बेटे ने कोई गलती तो नहीं की है ? मास्टर जी ने हंसते हुए उनको कहा ”आपका बेटा काफी मेहनती और पढ़ाई में बहुत तेज है। मैं आपसे इसी के संबंध में कुछ बात करना चाहता हूँ। किशन पढ़ने में काफी होशियार है , इसलिए मैं चाहता हूं कि किशन को पढ़ने के लिए शहर भेज दिया जाये।
शहर में रहकर पढ़ेगा तो मुझे पूरा विश्वास है कि आगे चलकर यह काफी अच्छा करेगा। लक्ष्मण जी ने कहा ‘ यह सब तो मुझे मालूम नहीं है ,आप कह रहे हैं तो ठीक ही होगा ,लेकिन इसे शहर भेजकर पढ़ाने – लिखाने के पैसे मेरे पास नहीं हैं। फिर मास्टर जी ने किशन से पूछा ,क्या तुम शहर जाकर पढाई करना चाहते हो ? किशन ने कहा की हाँ मैं शहर जाना चाहता हूँ।
मास्टर जी ने आगे कहना शुरू किया। देखो किशन , मेरे पास एक शुद्ध सोने की कलम है। जब मैं छोटा था तो मैं भी तुम्हारी तरह पढ़ने में तेज था। उस समय मेरे स्कूल के प्रधानाध्यापक ने यह सोने का कलम मुझे दिया था ,जिसे मैं अभी तक अपने पास रखा हूँ। लेकिन अब यह अपना कलम मैं तुम्हें देना चाहता हूं। जब तुम शहर जाओगे तो वहां मेरे एक मित्र हैं , उनके पास जाकर यह सोने की कलम उनके पास रख देना , वह तुम्हें पैसे देंगे जिससे तुम्हारी पढाई – लिखाई के खर्चे पुरे होंगें।
जब तुम पढ़ – लिखकर बड़े अफसर बन जाओगे तो इस कलम को मेरे मित्र के पास से छुड़ा कर फिर से मुझे वापस कर देना। यह कहकर किशन के मास्टर जी ने अपने हाथ में लिए एक छोटा सा पैकेट किशन को पकड़ा दिया। मास्टर जी ने कहा कि सोने का यह पेन तुम्हें पढ़ने के लिए पैसे की वयवस्था कर सकता है। मास्टर जी ने एक चिट्ठी भी किशन को दिया और कहा कि शहर जाकर इस चिट्ठी को उसके मित्र को दे देना।
किशन शहर गया। वह पैकेट और चिट्ठी मास्टर साहब के मित्र को दे दिया। उन्होंने वह चिट्ठी पढ़ी और किशन को कुछ पैसे दे दिए। उस पैसे से किशन का एडमिशन शहर के बड़े और अच्छे स्कूल में हो गया। किशन को जब भी पैसे की जरूरत पड़ती थी तो वह उनसे पैसे लेकर अपनी डायरी में भी लिख लेता था। समय इसी तरह से बीत रहा था। कई सालों की मेहनत के बाद फिर दिन किशन एक बड़ा अफसर बन गया था।
इतने दिनों में किशन पुरानी बातों को पूरी तरह से भूल गया था और अपने काम में व्यस्त रहता था । लक्षमण जी आज किशन से मिलने शहर आए हुए थे। किशन को सरकारी क्वार्टर मिला हुआ था। उसके क्वार्टर के नजदीक पहुंचकर लक्ष्मण जी गेट के पास खड़े हो गए। गेट पर दरबान खड़ा था। दरबान ने गेट का दरवाजा नहीं खोला। बार-बार उन्होंने कहा कि वह किशन के पिता है ,तो यह सुनकर दरबान हंसने लग जाता था। काफी देर तक खड़ा रहने के बाद भी जब लक्ष्मण जी अपने बेटे किशन से नहीं मिल पाए। वे वापस अपने गांव की ओर चल दिए।
रास्ते में गाड़ियों का एक काफिला गुजर रहा था। । उस गाड़ी के काफिला में किशन भी बैठा हुआ था। रस्ते में जब वह अपने पिताजी को देखा तो उसने गाड़ी रुकवा दिया। पिताजी को गाड़ी में बिठाकर वह अपने सरकारी आवास ले कर आया। किशन अपने पिताजी को कहा कि पिताजी अब आप गांव छोड़ दीजिए , आप यहीं मेरे साथ ही रहियें। लक्षमण जी बोले कि नहीं बेटा , ऐसा है कि गांव के अलावा मुझे और कहीं मन नहीं लगता है । लक्ष्मण जी ने एक बात और अपने बेटे किशन से कहा कि तू अपने दरबान से कहो कि वह किसी को भी मिलने आने से रोके नहीं।
जब कोई मुसीबत में होता है तभी कोई अफसर से मिलने आता है। किशन ने अपने गार्ड को अपने पास बुलाया और उससे कहा कि आज के बाद जो भी मुझसे मिलने आएगा उसे अंदर बिठाकर फिर मुझे खबर करना। दरबान के अंदर जाते ही किशन अपने पिताजी से पूछा कि ”अपने गांव की क्या समाचार है ? खेती फसल का क्या हालत है ?
लक्षमण जी बेटे से कहा कि तुम्हें कुछ याद दिलाने के लिए आज यहाँ शहर आया था। क्या बात है ? पिताजी ? लक्ष्मण जी ने कहा कि बेटा वह सोने की कलम तुम्हें याद है ? अपने गांव के मास्टर जी याद है तुम्हे ? या वह सब भी भूल गया ?उनका कर्ज चुकाना था। लक्ष्मण जी की कही यह बात से किशन अचानक चौक गया। पिताजी यह सब तो मैं भूल ही गया था। आज हीं उनके पास चलता हूं। उनके सोने की कलम उन्हें वापस भी करनी है।
अपने पिता को लेकर किशन मास्टर जी के मित्र के पास पहुंचा जो शहर में ही रहते थे। उसने अपनी डायरी उनको दिखाया और बकाया के सारे पैसे उनके हाथों में रख दिया। उनके पैसे चुका दिये। उन्होंने किशन को वह पैकेट वापस कर दिया। किशन ने वह पैकेट खोल कर देखा तो वह बिलकुल खाली था। वह गुस्से में उनसे कहा कि लगता है किआप बेईमानी कर रहे हैं। यह पैकेट तो खाली है। इसमें सोने की कलम रखी थी वह कहां है ?
मास्टर साहब के मित्र के दोनों आंखों से आंसू निकलना शुरू हो गया। पत्र में लिखा था ‘ भाई जिस लड़के के हाथ यह खाली पैकेट भेज रहा हूं , उसे पढ़ने के लिए जितने भी रूपए – पैसे की जरूरत होगी उसे दे देना। मैं अपना खेत बेचकर बाद में तुम्हारे पैसे चूका दूंगा और वह खाली पैकेट इतने दिनों से मेरे पास रखा हुआ था। किशन को वह पैकेट खोलने से मास्टर साहब ने इसलिए भी मना किया था।
अब किशन की आंखों से आंसू बह रहे थे। वह अपने पिताजी से कहा कि ”मास्टर साहब ने मेरे पढ़ने के लिए अपने खेत बेच दिए। अब चलिए गांव में खेत खरीद कर मास्टर जी को वापस करना है। तभी उसके मित्र ने पीछे से किशन के कंधे को हाथ रख और बोले , बेटा यह पैसे वापस ले लो अब यह तुम्हारे हैं।
मास्टर साहब ने मेरा कर्ज वापस लौटा दिया है। अब उन खेतों को भी खरीदने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि मास्टर साहब अब दुनिया को छोड़कर दूसरी दुनिया में जा चुके हैं। किशन यह सब सुनकर फुट – फुट कर रोना शुरू कर दिया और अपने पिताजी की ओर देखा। पिताजी ने कहा कि ” बेटा तुम्हारे मास्टर साहब 2 दिन पहले यह दुनिया छोड़कर जा चुके हैं ,यह खबर देने के लिए ही मैं तेरे पास यहां शहर में आया था। यही है Hindi Motivational Story in hindi
भाई – बहन की भावुक कहानी : Hindi Motivational Story in hindi
यह मोटिवेशनल कहानी छोटी सी है। एक गांव में दो भाई बहन रहते थे। अजित और नेहा। नेहा उम्र में 2 साल बड़ी थी और अजित छोटा था। दोनों के माता-पिता का बीते 2 साल के अंदर ही स्वर्गवास हो चुका था। नेहा एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती थी और अजित कॉलेज में बी ए का छात्र था। एक दिन अजित ने अपनी बहन को कहा , दीदी मुझे कॉलेज की फीस देनी है ,मुझे कुछ रुपए की जरूरत है। नेहा ने कहा कि उसके पास तो अभी पैसे नहीं हैं।
नेहा अपने ऑफिस से कुछ पैसे एडवांस लेकर अपने भाई को दे देती है। नेहा ऑफिस में काम करने के लिए जाती है और पैसे से अपने अपने भाई को बड़ा अफसर बनाना चाहती है। परिवार के पास काफी मजबूरियां हैं इसलिए वह एक छोटे से प्राइवेटकंपनी में काम करती है। वह कंपनी उसके गांव से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर है।
अजित की पढाई पूरी हो चुकी थी और अजित ने एक दिन अपनी बहन को बताया कि दीदी मुझे एक बड़ी कंपनी में अफसर की नौकरी मिल गई है। अब तुम्हें कोई भी काम करने की जरूरत नहीं है। नौकरी करने के लिए मना करने एवं उसके काफी जिद करने पर नेहा अपनी नौकरी छोड़ देने का वायदा करती है।
अजित एक दिन अपनी बहन को कहा कि मैं अब तुम्हारी शादी कर देना चाहता हूं। नेहा ने कहा कि मैं कुछ रुपए की व्यवस्था कर ली है पहले मै तेरी शादी करूंगी और जब यह घर संभालने वाली कोई लड़की आ जाएगी तब मेरी शादी कहीं कर देना। कुछ महीनों के बाद नेहा ने एक अच्छी सी लड़की देखकर अजित की शादी धूम धाम से कर दी। अजित की पत्नी ‘सुनिधि ‘आकर पूरा घर उसने संभाल लिया था। तीनों खुशी- खुशी उस घर में रह रहे थे।
कुछ महीनो के बाद अजित की सास उनके घर अपनी बेटी से मिलने आयी हुई थी। उसने देखा कि अजित की बहन भी यही रह रही है और अभी तक उसकी शादी भी नहीं हुई है। उसने सोचा ‘ क्या यह जीवन भर यहाँ रहेगी क्या ? उसने अपनी बेटी को कहा कि तुम बहुत सीधी है। क्या तुम्हारी नंनद जिंदगी भर तुम्हारी पति की कमाई पर मौज मस्ती करना चाहती है। सुनिधि यह सुनकर अपनी मां को कहती है तुम बेकार की चिंता कर रही हो।
अजित उनके लिए लड़का देख रहे हैं , जैसे ही कोई अच्छा खानदान मिल जाएगा उसकी शादी हो जाएगी। सुनिधि की माँ ने कहा कि तुम नहीं समझती हो । यह तुझे कभी चैन से कभी रहने नहीं देगी। कुछ दिन के बाद सुनिधि अपने पति की बहन को कहती है की मैं आपके लिए एक अच्छे खानदान का एक लड़का का पता की हूँ। नेहा ने कहा नहीं भाई अभी मुझे शादी करने की इच्छा नहीं है , जब भी इच्छा होगी मैं आपको बता दूंंगी।
यह सुनकर सुनिधि के दिमाग में अपनी मां की कही बात ज्यादा सही लगने लगी थी। अब उसके बाद सुनिधि का व्यवहार अपनी ननद नेहा के लिए बिल्कुल ही बदल गया। वह अजित के सामने तो कुछ नहीं कहती लेकिन अजित के घर में नहीं रहने पर छोटी-छोटी बातों पर नेहा से झगड़ा करती थी। एक दिन नेहा कहीं बहार गई हुई थी। सुनिधि ने अपने पति को कहा की नेहा शादी क्यों नहीं करना चाह रही है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि यह जिंदगी भर हमारे घर पर बैठी रहेगी।
अपनी पत्नी की बात सुनकर अजित को काफी बुरा लगा। उसने अपनी पत्नी को डांटते हुए कहा अगर मेरी बहन के बारे में ऐसा कुछ भी कही तो अच्छा नहीं होगा। उसने अपना पूरा जीवन मुझे बड़ा आदमी बनाने में लगा दिया और तुम उसके बारे में ऐसी बात कर रही हो। सुनिधि को यह बात समझ में आ गया था कि अजित उसकी बात कभी नहीं समझेगा। अब वह अपने ननद को रास्ते से हटाने के तरकीब सोचने लगी।
एक दिन सुनिधि ने नेहा को कहा कि बाहर चलकर आते हैं। कल हम दोनों मंदिर चलते हैं। नेहा खुश हो गयी। अगले दिन दोनों मंदिर में पहुंच जाती है। पूजा पाठ करने के बाद सुनिधि अपनी ननद को प्रसाद खाने को देती है। प्रसाद में जहर मिला था। वह प्रसाद खाकर नेहा वहीं बेहोश होकर मंदिर के सीढ़ियों के नीचे गिर जाती है। सुनिधि उसे छोड़कर अपने घर वापस आ जाती है। यह सोचकर की कुछ देर में उसकी ननद की मृत्यु हो जाएगी।
कुछ देर के बाद नेहा को होश आता है। वह अपनी पुरानी जिंदगी को अब भूल चुकी होती है। उसकी याददाश्त खत्म हो जाता है और मंदिर में बैठकर वह रोने लग लग जाती है। जब शाम को अजित अपने घर वापस आता है तो अपनी पत्नी सुनिधि से अपनी बहन के बारे में पूछता है। सुनिधि कहती है की तीर्थ करने गयी हुई है।
अमित को आश्चर्य होता है कि दीदी मुझे बिना कुछ बताए कहीं जा नहीं सकती हैं। अजित काफी परेशान हो जाता है। सुनिधि उसे समझा बूझा कर शांत करती है। इधर नेहा उस मंदिर के बरामदे में ही रहने लगती हैं। दिनभर मंदिर की सेवा के लिए प्रसाद बनाने का काम करती है। भक्तों की सेवा करती है। लेकिन नेहा को पिछली बातें कुछ याद नहीं है। इसी तरह से काफी दिन बीत गए। एक दिन अजित अपनी बहन को खोजने के लिए घर से निकाल पड़ता है।
वह इधर -उधर भटकता रहा पर नेहा उसे कहीं नहीं मिली। एक दिन वह थक हार कर उसी मंदिर के सीढ़ियों पर बैठ जाता है। मंदिर में पूजा के बाद प्रसाद का वितरण हो रहा था। तभी अजित को एक आवाज सुनाई दी। ”आप भी जाकर प्रसाद ले लो ना।” आवाज सुनकर अजित चौंका। जाने पहचाने आवाज सुनकर अजीत उधर ध्यान से देखा। यह तो उसकी बहन नेहा थी। अचानक उसे देखकर वह रोने लग गया। नेहा ने कहा ‘भैया आपको रो क्यों रहे हैं ?’तभी उस मंदिर के पुजारी वहां आ गए उसने उनसे पूछा तो अजीत ने नेहा के बारे में सारी बात उस पुजारी को बता दिया।
पुजारी बाबा ने कहा यह लड़की मंदिर की सीढ़िया पर बेहोश अवस्था में मिली थी। जब उसे होश आया तो यह अपनी पिछली जिंदगी भूल चुकी थी। इसे कुछ भी याद नहीं है। अच्छा हुआ तुम आज इसे मिल गए। अब इसे अपने घर ले जाओ। भगवान ने चाहा तो उसकी याददाश्त भी वापस आ सकती है। नेहा रोने लग जाती है ,रोते हुए वह जाने से मना कर देती है। तब नेहा ने कहा कि ‘ भाई देखो मुझे सब कुछ याद है, लेकिन मैं जानबूझकर यह यादाश्त खोने का नाटक कर रही थी कि तुम और भाभी मेरे बिना खुशी पूर्वक से रह सको।
मैं तुम दोनों की जिंदगी में नहीं आना चाहती हु। भाभी को मेरे घर में रहना पसंद बिल्कुल नहीं है। इसलिए मैं उस घर में बिल्कुल ही नहीं जाऊंगी। यह बात सुनकर अजित ने कहा की अगर आप अपने घर वापस नहीं आएंगी तो मैं भी आपके साथ यहीं रहूंगा। अजित की बातें सुनकर नेहा मजबूरन अपने घर वापस आने के लिए तैयार हो गयी। रास्ते में नेहा ने अजित से कहा मेरी भी एक शर्त है, ”तुम भाभी पर कभी गुस्सा नहीं करोगे।
अजित अपनी बहन की शर्त मानकर नेहा को लेकर अपने घर वापस ले आया। नेहा को देखकर अब सुनिधि भी खुश हो गयी थी । सुनिधि , नेहा और अजित अब खुशी पूर्वक उस घर में रहने लगे। कुछ महीनो के बाद एक अच्छे और बड़े खानदान में नेहा की शादी हो गई। शादी कर नेहा अपने ससुराल चली गई। यही है Hindi Motivational Story in hindi. यह कहानी रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी है।
Frequently asked question
मोटिवेशनल स्टोरी क्या है ? ( What is Hindi Motivational Story in hindi)
किसी कहानी को पढ़कर हम उस कहानी के नायक की तरह बनने का सोचने लगतें है। विपरीत परिस्तितियों में कहानी के नायक की दृढ़ता एवं लगनशीलता हमें प्रेरित करती है कि हम भी वैसा ही बने और लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमेशा संकल्पित रहें।
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