Hindi short stories for kids एक दिल छू लेने वाली कहानी है , जो सभी उम्र के पाठकों को सही शिक्षा देने और उसमें अच्छे संस्कार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा हमारी अन्य कहानी भी एक महत्वपूर्ण संग्रह है ,जो बच्चों को बेहतर परवरिश काफी सहायक है। यह कहानी बच्चों को सपनों के निराले दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करती है।
Hindi short stories for kids जैसी कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती है। इस प्रकार की कहानी सुनते-सुनते बच्चे सो जाते हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित होकर उनको जीवन का जरुरी पाठ में पढ़ाता है। आजकल Hindi short stories for kids जैसी कहानियां ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध भी है।
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राजा और उसके बुद्धिमान मंत्री :Hindi short stories for kids
बहुत पुरानी एक बात है। बिंध्याचल पर्वत के तराई में एक छोटा सा राज्य था , जहाँ एक राजा राज्य किया करते थे। राजा बड़ा ही प्रतापी , नन्यायप्रिय और अपनी प्रजा के सभी सुख – दुःख में उसका साथ देने वाला था। उस राजा का नाम विक्रमादत्त था। उसके राज्य का नाम अवन्तिपुर था। अवन्तिपुर राज्य में एक मंत्री सहदेव भी था ,जो राजा का अत्यंत ही विश्वसनीय था।
सहदेव काफी बुद्धिमान और हाजिरजबाब भी था। राज्य में प्रजा सुखी एवं संपन्न थी और चारों ओर शांति एवं ख़ुशीयाली थी।
राजा और मंत्री सहदेव दोनों मिलकर अवन्तिपुर राज्य को बहुत ही अच्छे से चला रहे थे। राजा कभी -कभी यह चिंता किया करता था कि कहीं कोई उसके राज्ये को नुकसान न पहुंचा दे , और उसका राज्य न छीन ले। उस समय कोई दूसरा देश किसी देश पर आक्रमण करता था तो राजा के परिवार और जनता की हत्या , मारकाट किया करता और सारा धन दौलत को लूट लेता था।
राजा अपने परिवार और अपनी जनता की चिंता में डूबा रहता था। एक दिन राजा ने अपने बुद्धिमान मंत्री सहदेव को अपनी चिंता बतायी। मंत्री ने कहा की हमें इसके लिए काफी सावधान रहनी चाहिए। हमें गुप्तचर की वयवस्था, तथा हमारे सैनिकों की संख्या बढाकर उसे नए नए हथियार से लैंस भी करना होगा।
वैसे तो उस राज्य में सभी तरफ शांति थी। चोर डकैतों का भी कोई डर नहीं था। एक दिन राजा के दरवार में एक व्यापारी आकर यह शिकायत किया की वह अपना व्यापार करने जा रहा था। उसके पास सोने के कुछ सिक्के थे, जो किसी ने धोखे से चुरा लिया है। यह सुनकर राजा चिंतित हो गया। उसने अपने मंत्री सहदेव को दरवार में बुलाया और उससे कहा की वह इस मामले की जाँच – पड़ ताल करे और अगर सिक्के चोरी हुए है तो उसे बरामद करे।
मंत्री अपने कुछ सहायक के साथ मिलकर इस मामले की जाँच करना शुरू किया। उसके टीम के लोगों ने मिलकर सभी दुकानों और संदिग्ध लोगों से कड़ाई से पूछ-ताश किया ,परन्तु कोई नतीजा नहीं निकला। तब मंत्री ने एक अलग तरह की योजना बनायीं। उसने पुरे इलाके में यह घोषणा कराई की कल राजा के दरवार में सभी लोगों को आना है। अगले दिन राज्य के सभी लोग राजा के दरवार में इकट्ठे हो गए।
मंत्री ने हरेक व्यक्ति को उसके हाथ में एक छड़ी पकडाई और कहा की यह जादुई लोहे की छड़ी है , जो भी झूठ बोलेगा यह छड़ी गर्म होकर लाल हो जाएगी और चोर पकड़ा जायेगा। इस तरह लोंगो की जाँच चलने लगी। थोड़ी देर के बाद एक दाढ़ी वाला युवक अपनी जाँच के लिए पहुंचा। वह डरा सहमा था।
उसके हाथ में जैसे ही लोहे की छड़ी पकडाई गयी तो उसने उस छड़ी को जमीं पर फेंक दिया और मंत्री के पैरों में गिर पड़ा। उसने यह स्वीकार किया की उसने ही चोरी की है। उसने चोरी किये हुए सोने के सिक्के मंत्री के हाथ में रख दिए। इस तरह चोर को पकड़ने में मदद मिली। राजा यह जानकर बहुत खुश हुआ। राज्य की जनता ने भी मंत्री की बुद्धिमानी का काफी सराहना किया।
राजा ने खुश होकर मंत्री सहदेव को अपने राज्य का मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी बना दिया। सहदेव ने अपनी मेहनत और बुद्धिमानी से राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को काफी मजबूत कर दिया था।
कुछ महीनों के बाद इस राज्य के पड़ोस में अवस्थित एक अन्य राज्य ने अवन्तिपुर राज्य पर आक्रमण करने की योजना बनायीं थी। राजा के गुप्तचरों ने ऐसी सूचना दी थी। । राजा ने अपनी जनता को बुलाकर सतर्क रहने की सलाह दिया। जनता को आने वाली गंभीर चुनौतियों से सामना के लिए तैयारी रखने की सलाह भी दिया।
एक दिन दोनों देशों के बीच लड़ाई आखिर छिड़ ही गयी। राजा विक्रमादित और मंत्री सहदेव ने मिलकर अपनी मजबूत सेना और सही रणनीति का प्रयोग कर अपनी पूरी ताकत लगाकर अपनी सेना को जीत दिलाया और राज्य एवं राज्य की जनता को सुरक्षित किया।
युद्ध जीतने के बाद राजा ने अपनी जनता को भी सम्बोधित किया और जनता की एकजुटता एवं अपनी सेना के पराक्रम ,साहस के लिए उनकी तारीफ की। राजा ने अपनी जनता को कहा की हमें इसी तरह से एकजुट रहकर मुसीबतों का सामना करते रहना होगा और आने वाली हर चुनौतियों का सामना करना होगा।
युद्ध के बाद राजा और मंत्री दोनों मिलकर अपने राज्य ने सड़क , शिक्षा एवं स्वास्थ के क्षेत्र में काफी उन्नति किया। इन सुधारों के कारण राज्य की जनता राजा से काफी प्रेम करने लगी थी। एक बार इस राज्य में पानी की काफी किल्लत हो गयी थी । नदी में पानी नहीं आ रहा था। खेतों में सिंचाई नहीं हो पा रही थी , जिससे अकाल जैसी नौबत आ गयी थी। राजा ने अपने मंत्री को बुलाकर उससे राय मशविरा किया। कुछ expert लोगों की भी सेवाएं ली गयी।
सभी के सलाह से राजा ने अपने राज्य में बहने वाली नदियों का साफ सफाई कराया। नदी में मिटटी बालू भर गयी थी। मिट्टियों को नदी से बाहर निकलवाया गया । नदी के ऊपरी स्रोत की साफ सफाई भी कराया गया । राजा के प्रयास से कुछ महीनों के बाद वह नदी पहले की तरह पानी से भर गया। उसमे पानी की मात्रा भी पहले से काफी बढ़ गयी।
अब राज्य की जनता को पीने एवं खेतों में फसलों की सिचाई अच्छी तरह से होने लग गयी। फसल का उत्पादन बढ़ने लगा , इस राज्य से फसलों का निर्यात दूसरे राज्यों में भी होने लगा। इससे राज्य और जनता को काफी फायदा हुआ। राज्य और जनता धन दौलत से परिपूर्ण हो गयी। राज्य की जनता का विश्वास राजा पर बहुत बढ़ गया।
इस प्रकार एक देश के राजा ने अपनी जनता और राज्य को अपनी मेहनत और अपने ईमानदारी की बदौलत सुख समृद्धि से भर दिया था। मंत्री सहदेव की भी इस में काफी अच्छा योगदान रहा था। आगे चलकर राजा एक दिन काफी बीमार पर गया। राज्य के बड़े से बड़े डॉक्टर , बैध आये हुए थे। अगल -बगल के राज्यों से भी बैध बुलाये गए थे।
राजा का इलाज हुआ। राजा का कई महीनों तक इलाज होता रहा और अंत में उस राजा की बीमारी से मौत हो गयी। राजा के पुत्र बिश्वनाथ फिर गद्दी पर बैठा। वह अपने पिता के जैसा ही महान राजा हुआ । उसके शासन काल में भी राज्य की जनता काफी खुश और संपन्न थी। इसका राज्य कई पीढ़ियों तक इसी प्रकार चलता रहा था। यही है Hindi short stories for kids and it is very short story in hindi.
चालाक खरगोश और शेर : Hindi short stories for kids
एक घना जंगल हुआ करता था। जंगल में तरह – तरह के जानवर रहा करते थे , जैसे हाथी चिड़िया , बंदर , कछुआ , खरगोश आदि जानवर उस जंगल में थे। जंगल के अंदर काफी बड़े बड़े पेड़ थे। उस जंगल की चर्चा काफी दूर -दूर तक थी। वहां रह रहे हाथी , खरगोश, चिड़िया में काफी गहरी दोस्ती थी। ये तीनो -चारों हमेशा एक-दूसरे की मदद किया करते थे। चीकू खरगोश काफी तेज़ दौड़ता था।
दौड़ते हुए जंगल के एक कोने से तुरंत जंगल के दूसरे कोने में पहुँच जाता था। कछुआ काफी धैर्यवान जानवर था। वह धीरे – धीरे चलकर आपने मंजिल पर पहुँच ही जाता था। वह अपने दोस्तों को हमेशा यह सिखाता रहता था की कोई भी काम जल्दीवाजी में करने पर वह काम ख़राब हो जाता है। किसी को भी अपना काम धयान और धैर्यपूर्वक करनी चाहिए।
गोपी हाथी उस जंगल का सबसे मजबूत जानवर था।वह अपनी शक्ति की बदौलत अपने दोस्तों को कई बार मुसीबत से बचाया था। राजी चिड़िया वजन में हलकी थी ,जिस कारण उड़ने में काफी तेज थी। तुरंत उड़कर कहीं से कहीं चली जाती थी। वह आसमान की उचाईयों पर पहुंचकर निगरानी किया करती थी की कहीं कोई शिकारी या कोई खतरनाक जानवर तो इस जंगल में नहीं न घुस रहा है। ऐसा होने पर राजी चिड़िया अपने साथियों को तुरंत खबर किया करती थी और उन्हें सावधान कर दिया करती थी।
एक दिन राजी चिड़िया यूं ही आसमान में उड़ रही थी , तभी उसने एक भयानक चीज जंगल में देख लिया। उसने देखा की एक बड़ा बब्बर शेर कहीं से इस जंगल में घुसा चला आ रहा है। राजी चिड़िया ने तुरंत अपने साथी खरगोश , कछुआ , और हाथी को इस आफत की सुचना दी और होशियार रहने के लिए बोला ।
वह शेर बहुत खतरनाक था। यहाँ आकर उसने देख लिया था की इस जंगल में उसके काम के बहुत सारे जानवर है। उसे बैठे – बैठे खाने के लिए शिकार मिल सकता है। शेर ने एक दिन दहाड़ते हुए यह घोषणा कर दी की अब सिर्फ मैं ही इस जंगल का राजा हु। अगर किसी भी जानवर को इसमें आपत्ति है तो वह मेरे से लड़ने के लिए तैयार हो जाये। भला बब्बर शेर से लड़ने की हिमाकत जंगल का कौन जानवर कर सकता है।
इसके अलावा उसने यह भी घोषणा कर दी की हरेक दिन एक – एक जानवर मेरे भोजन के लिए प्रस्तुत होंगें। जिस दिन भी कोई जानवर मुझे खाने के लिए नहीं मिला उस दिन मै सभी जानवर को खोज – खोजकर मार डालूंगा। जंगल के सभी जानवर डर से बिल्कुल सहमे हुए थे।
इसी तरह से तीन चार दिन बीत गए। खरगोश , हाथी चिड़िया एवं कछुआ ने मिलकर सभी जानवर को चुपके से एक जगह बुलाया और एक योजना तैयार किया ताकि किसी तरह से इस शेर से जंगल को छुटकारा दिलाया जा सके। जंगल में रह रहे हिरण को कहा गया की वह शेर का धयान भटका कर जंगल के नदी किनारे के तरफ लेकर आएगा जहाँ गहरा गड्ढा खोदा गया है।
उस गड्ढे को झाड़ी एवं पत्ते से अच्छी तरह से ढ़क दिया जायेगा ताकि शेर को पता नहीं चले की यहाँ गहरा गड्ढा है। योजना के अनुसार दो दिनों तक शेर को भोजन नहीं पहुंचा। वह गुस्से में अपने गुफा से बाहर निकला। हिरण तो तैयार था वह शेर के नजर में आया और दौड़ते हुए जंगल के नदी किनारे वाले हिस्से की ओर भागने लगा जहाँ एक बड़ा गड्ढा खोदा गया था। शेर भी हिरण के पीछे – पीछे उस गढ़े के नजदीक पहुँच गया।
गड्ढा तो पेड़ के पत्ता और झाड़ी से ढाका था और दिख नहीं रहा था। दौड़ते – दौड़ते शेर उस गड्ढे में गिर पड़ा। सभी जानवर तो इसी का इंतजार कर रहे थे। तभी हाथी भी पहुँच गया। हाथी ने एक बड़ा सा पत्थर उस गड्ढे में गिरा दिया। अब तो वह शेर बुरी तरह से उस गड्ढे में फंस चूका था और बाहर निकल नहीं सकता था।
अब शेर जंगल के जानवरों से अपने को उस गड्ढे से बाहर निकलने की गुजारिस करने लगा। वह अब सभी जानवरों से माफ़ी मांग रहा था की वह आज के बाद किसी भी जानवर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाएगा। बहुत देर तक शेर जानवरों के सामने गिड़गिड़ाता रहा। जानवरों को अब उस शेर पर दया आ गयी। सभी ने मिलकर शेर को गड्ढे से बहार निकाल दिया।
अब से वह शेर बिलकुल एक शरीफ जानवर बन चूका था। यह अब कोई भी जानवर को नुकसान नहीं पहुंचाता था। अब से शेर अपने शिकार के लिए उस जंगल से काफी दूर निकल जाता था। इस जंगल के जानवर फिर से हसीं ख़ुशी से रहने लग गए।
सीख :- इस तरह की कहानी से यह सीखने को मिलती है की किसी भी बड़ी या छोटी मुसीबत से घबराना नहीं चाहिए। किसी भी समस्यायों का आप अपनी बुद्धिमानी और मेहनत से उसका समाधान खोज सकतें है उसी प्रकार जैसे इस जंगल के जानवरों ने मिलकर उस शेर से निजात पायी थी। यही है Hindi short stories for kids.
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जादुई टोकरी की कहानी
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