मीरा की रेलगाड़ी Meera’ Train ( short bedtime stories for kids in hindi )

short bedtime stories for kids in hindi जैसी दिल छू लेने वाली कहानी सभी आयु वर्ग के पाठकों को शिक्षित करने , उन्हें प्रेरणा देने और उनमें अच्छे-अच्छे संस्कार पैदा करने में यह काफी सहयोग भी करती हैं।

नींद वाली कहानियां भी एक महत्वपूर्ण कहानी संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उन्हें सपनों की निराली दुनिया में ले जाकर उनको संतुष्टि प्रदान करतीं हैं । ये   कहानियां रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं , जो उनके सपनों में जीवित होकर उनकों जीवन का जरुरी पाठ भी पढ़ाती हैं।

आजकल short bedtime stories for kids in hindi जैसी कहानियां ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध भी हैं।

मीरा की रेलगाड़ी : short bedtime stories for kids in hindi with moral

मीरा नाम की एक लड़की थी , जो अपने मां-बाप के साथ किसी छोटे से शहर में रहती थी। मीरा काफी सुंदर और प्यारी सी लड़की थी। घर के सभी बड़े -बुजुर्ग और आसपास के लोग मीरा को काफी प्यार -दुलार किया करते थे। मीरा पास में हीं एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा 3 में पढ़ती थी। एक दिन की बात है , मीरा अपनी स्कूल की किताब में एक रेलगाड़ी का फोटो देखी।

वह रेलगाड़ी का फोटो देखकर काफी खुश हो गई थी। उसे कुछ समय पहले अपने मम्मी- पापा के साथ नानी के यहाँ रेल से की गई यात्रा याद आ गई थी। करीब 6 महीने पहले ही वह अपनी मम्मी के साथ अपने नानी के घर ट्रेन पर बैठकर गई थी। ट्रेन का फोटो देखने के बाद मीरा ने घर की दीवार पर रेलगाड़ी का फोटो बनाने लग गयी।

कुछ देर में वह अपने घर की दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन और उसके डिब्बे का फोटो बिल्कुल असली जैसा बना दिया था। सबसे पहले उसने रेलगाड़ी का इंजन बनाया और इंजन में पहले एक डब्बा जोड़ा , फिर उसने इंजन में दूसरा डब्बा जोड़ा। इस तरह रेलगाड़ी में डिब्बा जूटता गया और एक लंबी रेलगाड़ी बन गई।

उसने जब यह देखा कि घर के पूरे दीवाल पर रेलगाड़ी का फोटो बन चुका है , फिर क्या हुआ रेलगाड़ी बनने के बाद उसने कुछ रेलवे स्टेशन का फोटो भी बनाया। रेलगाड़ी दिल्ली गई , कानपुर गई , आगरा गई और फिर उसकी नानी के घर तथा अंत में दादा जी के घर भी ट्रेन गयी। यह देखकर मीरा काफी खुश हो गई थी।

मीरा की यह चित्रकारी देखकर उसके मां-बाप भी काफी खुश हो गए थे। मीरा के पापा ने मीरा की पीठ भी थपथपाई।

सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपने बच्चों के मनोबल को हमेशा बढ़ाते रहना चाहिए क्योंकि बच्चे हीं कल के भविष्य का निर्माता हैं।

घमंडी मुर्गा : शार्ट स्टोरी फॉर किड्स इन हिंदी

एक पुराने समय की छोटी सी कहानी है। गांव में एक किसान का बड़ा सा घर था। किसान खेती-बाड़ी का काम करता था। उसने अपने घर में कुछ मुर्गे भी पाल रखे थे। इसका मुर्गा रोज सवेरे कुकुरु – कू का आवाज देकर गांव वालों को जगाता था। मुर्गे के कारण गांव वाले सुबह में समय पर उठ जाते थे।

एक बार गांव के एक शरारती बच्चे ने एक बड़े मुर्गे को दौड़ा- दौड़ा कर काफी परेशान कर दिया था। वह मुर्गा बच्चों के शरारत के कारण काफी परेशान हो गया था। उसने सोचा कि अब वह सुबह में कोई आवाज नहीं देगा। उसने सोचा कि उसके आवाज नहीं देने के कारण गांव वाले सभी लोग सोते रहेंगे , और वे सबेरे देर से जागेंगे।

उसके बाद ही गांव वालों को मेरी अहमियत का पता चलेगा और उसके बाद कोई भी मुझे तंग नहीं करेगा। मुर्गा अगले दिन सुबह में कुछ नहीं बोला , परंतु फिर भी गांव के लोग समय पर ही जग चुके थे और अपने काम -धाम में लगे हुए थे। वह मुर्गा गांव वालों को अपना-अपना काम करते हुए देखकर उसे लगा कि आज तो मैं सुबह में आवाज नहीं दिया था , फिर भी गांव वाले कैसे जग गए।

अब मुर्गे को अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि किसी के बिना कोई भी काम रुकता नहीं है ,सबका काम किसी न किसी तरह से चलता ही रहता है, इसलिए हमें अपने आप पर कभी भी अहंकार नहीं करनी चाहिए।

सीख : इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि खुद पर घमंड कभी नहीं करना चाहिए। आपकी अहमियत बिना बताए ही लोगों को पता चल जाएगा।

शेर और लोमड़ी : Bedtime stories in hindi panchtantra

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एक छोटे से जंगल में एक लोमड़ी रहा करती थी। लोमड़ी जंगल में घूम -घूम कर चूहा और छोटे जानवरों का शिकार किया करती थी। साथ ही मरे हुए जानवरों को भी खाकर अपना पेट भर लेती थी। एक बार की बात है , जंगल में घूमते हुए उसने एक शेर को देख लिया।

शेर के लंबे-लंबे काले काले बाल , बड़ा सा शरीर उसकी भयानक दहाड़ और उसके चलने का तरीका एक राजा की तरह था। उसे देखकर लोमड़ी एकदम अंदर तक डर गई थी। शेर को देखकर लोमड़ी को इतना डर हो गया कि वह वहीं बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी थी। वह लोमड़ी अपने जीवन में कभी भी शेर जैसे खतरनाक जानवर को नहीं देखा था।

कुछ ही दिनों के बाद उस लोमड़ी ने फिर से उस शेर को देख लिया। शेर को देखने के बाद वह इतना डर गई की डर से उससे चला नहीं जा रहा था। मरना तो एक दिन सबको है , यह सोचकर उसने फैसला किया कि वह अब बिलकुल नहीं डरेगी। उसने अपने अंदर के साहस को बटोरा और अपने डर को अपने अंदर छिपाते हुए वह झाड़ियां के बीच होते हुए वहां से भाग गई।

इस तरह घूमते हुए एक दिन फिर से उसने उस शेर को देखा। इस बार लोमड़ी ने सोचा कि डरने से कुछ नहीं होगा , यह सोचकर वह सीधे शेर के नजदीक चली गयी। शेर के नजदीक पहुंचकर उसने शेर से कहा ” नमस्कार महाराज जी , आप जंगल के राजा हैं ” और वह बिल्कुल एक जान पहचान वालों की तरह शेर से बातें करने लगी थी।

अब तो उसे शेर से बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था। पिछले दो-तीन बार वह शेर को देखकर इतना डर गई थी , लेकिन इस बार उसे शेर को थोड़ा सा भी डर नहीं लगा और वह शेर से अच्छी तरह से जान पहचान भी बना चुकी थी।

चींटी और टिड्डा की कहानी : Free short bedtime stories for kids in hindi

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Bedtime stories in hindi fairy tales : एक समय की बात है। एक पेड़ के नीचे एक टिड्डा रहता था और उसी पेड़ के आसपास चीटियों का भी एक घर भी था जिसमें बहुत सारी चीटियां एकसाथ रहा करती थी। टिड्डा काफी आलसी स्वभाव का था , वह कोई भी काम नहीं करता था। दिन भर यूं ही घर में बैठा रहता था। वह इतना आलसी था कि उसे अपने खाने पीने के लिए भी खाना जुटाने की फिक्र नहीं रहती थी।

दूसरी ओर पास में जो चीटियों का परिवार था ,वह लोग सर्दियों के आने के पहले अपने पूरे परिवार के लिए खाना इकट्ठा करने में दिन-रात मिलकर काफी मेहनत कर रहे थे। आलसी टिड्डा इन चींटियों के मेहनत को भी अनदेखा करता था। यहां तक की उन चीटियां पर यह हंसता भी रहता था।

कुछ दिनों के बाद जब सर्दियां आ गई तो इन चीटियों के परिवार के पास खाने के लिए काफी कुछ भोजन इकट्ठा हो चुका था, दूसरी और सर्दी के मौसम में उस टिड्डे के पास खाने का कोई भी समान नहीं था। वह भूखा ही रहता था। सर्दियों में चारों तरफ काफी ठंड थी। उस ठंड में भोजन के लिए अपने घर से निकलना भी काफी मुश्किल था।

चीटियां काफी मजे से सर्दी के मौसम में अपने घरों में रहकर अच्छी तरह से खा पी रही थी। यह सब देखकर टिड्डे को समझ में आने लगा था कि बिना मेहनत के कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है , मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। काश उसने भी मेहनत की होती तो उसे यह दिन देखना नहीं पड़ता और उसे भूखे नहीं रहना पड़ता।

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