सांप और कौए की कहानी |Dost ki madad moral story in hindi

Dost ki madad moral story in hindi जो एक दिल छू लेने वाली कहानी  है जो सभी उम्र के पाठकों को सही शिक्षा देने और उसमें अच्छे संस्कार पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा हमारी  अन्य कहानी  भी एक महत्वपूर्ण संग्रह है ,जो बच्चों को बेहतर  परवरिश  में काफी सहायक है। Dost ki madad moral story in hindi कहानी  बच्चों को सपनों के निराली दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करती है। 

यह कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती है। कहानी सुनते-सुनते बच्चे सो जाते हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित  होकर उनको जीवन का  जरुरी  पाठ पढ़ाता  है। आजकल Dost ki madad moral story in hindi जैसी कहानी ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध  भी  है। 

सांप और कौए की कहानी : Dost ki madad moral story in hindi

Dost ki madad moral story in hindi:–बहुत समय पहले की बात है। एक पहाड़ी क्षेत्र में एक छोटा सा गांव हुआ करता था किशनपुर। किशनपुर गांव में नदी के किनारे एक विशाल बरगद का पेड़ हुआ करता था। पेड़ पर कौवे का एक जोड़ा नर और मादा अपने बच्चों के साथ रहा करते थे। कुछ दिन के बाद पेड़ के एक खोखले भाग में रहने के लिए एक काला सांप वहां आया और फिर खोखले में अपना घर बना कर रहने लगा।

जब भी नर और मादा कौवा भोजन की खोज में वहां से कहीं दूसरी जगह चले जाते तो सांप उनके घोसले में आकर उनके बच्चों को खा जाया करता था , ऐसा कई बार हो चुका था। जब भी सांप कौवे के बच्चे को खा जाता तो बच्चे के माता-पिता को काफी दुख होता। एक बार मादा कौवे ने अपने नर कौए से कहा कि अब हमें यह स्थान छोड़कर दूसरी जगह चले जाना चाहिए क्योंकि यह सांप जब तक यहां रहेगा हमारे कोई भी बच्चों को जिंदा नहीं रहने देगा।

नर कौवे को भी बहुत बुरा लग रहा था ,पर उस बड़े से सांप से लड़ने की शक्ति उसे नहीं मिली थी। उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। आखिरकार उन्होंने उसने सोचा कि क्यों ना अपने मित्र लोमड़ी से इस मामले में चलकर सलाह -मशविरा किया जाए। फिर दोनों कौये अपने मित्र लोमड़ी के पास पहुंचे और अपनी सारी परेशानियों को उस लोमड़ी को बतायी।

लोमड़ी बोली , देखो भाई सिर्फ सोचने और चिंता करने से उस सांप से छुटकारा कभी नहीं मिल सकता है। अपने शत्रुओं को खत्म करने के लिए अपना दिमाग लगाना चाहिए। चतुर लोमड़ी थोड़ी देर सोची और फिर कौवे के शत्रु सांप खत्म करने की एक शानदार योजना कौवे को बतायी। अगले दिन नर कौआ आसमान में उड़ रहा था वह इधर-उधर आसमान में मड़राता रहा और उड़ते उड़ते एक नदी किनारे चुपचाप एक पेड़ पर जाकर बैठ गया।

उस नदी में राजकुमारी आने नौकर एवं दासियों के साथ प्रतिदिन वहां स्नान करने आया करती थी। जब राजकुमारी अपने कपड़े और अपने सारे गहनों को उतार कर पानी में स्नान करने के लिए उतरी, कुछ दूरी पर खड़े पहरेदार राजकुमारी के कपड़े और गहनों की देखरेख कर रहे थे। नर कौए ने रानी का एक हार अपने चोंच में उठाया और वहां से उड़ चला।

राजकुमारी के पहरेदारों ने जब कौवे को रानी का हार लेकर उड़ते देखा तो सभी कौवे के पीछे लाठी लेकर दौड़ने लगे। कौवा आगे -आगे और राजकुमारी के पहरे वाले अपनी लाठी लेकर कौवे के पीछे -पीछे दौड़ते हुए आ रहे थे। तब तक कौवा उस बरगद के पेड़ के पास पहुंचकर उस पेड़ की डाल पर बैठ गया , पीछे-पीछे राजकुमारी के सभी पहरेदार लाठी एवं तलवार लिए हुए उस पेड़ के नजदीक पहुंचे।

तभी कौए ने राजकुमारी के हार को सांप के बिल में गिरा दिया। राजकुमारी के सुरक्षा-कर्मी एक लंबी लाठी की सहायता से हार निकालने की कोशिश करने लगे। सांप अपने बिल में अंदर ही बैठा हुआ था। सांप गुस्साते हुए अपने बिल से बाहर आया। सभी पहरेदार ने मिलकर पहले उस बड़े से सांप को लाठी- डंडे से ही पिट – पिट कर मार दिया। फिर राजकुमारी का हार निकाल कर सभी लोग वहां से चले गए।

Dost ki madad moral story in hindi:–एक छोटे से गांव में एक बूढ़ा धोबी रहता था। उसने अपने छोटे से घर की रखवाली के लिए एक कुत्ता रखे हुए था। इसके अलावा प्रतिदिन अपने कपड़े नदी तक ले जाने के लिए एक गधा भी रखा हुआ था। वह प्रतिदिन गधे की पीठ पर कपड़े का बोझा लाद कर नदी के तरफ जाया करता करता था। एक दिन की बात है ,रात का समय था , धोबी अपने घर में आराम से सो रहा था तभी एक चोर उसके घर में घुसने का प्रयास करने लगा।

धोबी का गधा और कुत्ता दोनों बाहर ही बैठे हुए थे। दोनों ने चोर को अंदर आते हुए भी देखा। कुत्ते ने चोर को देखने के बाद भी भौंकना शुरू नहीं किया और उसने मलिक को भी जगाने का कोई प्रयास नहीं किया। जब गधे ने उस कुत्ते की ऐसी हरकत देखी तब उससे कहा की ‘ मित्र , तुम्हारा तो यह फर्ज है , तुम भौंकना शुरू करो और चोर आने की खबर अपने मालिक को तुम क्यों नहीं दे रहे हो और अपने मालिक को क्यों नहीं जगाते हो।

गधे के द्वारा बार-बार कहे जाने पर कुत्ते ने गुस्साते हुए कहा ” तुम बेकार में परवाह मत करो।” तुम्हें पता है , मैं रात दिन अपने मालिक की घर की देखभाल करता हूं , पर वह मेरी कोई कदर नहीं करता है। ऐसे निर्दयी मालिक के साथ ऐसा ही सलूक करना चाहिए। अच्छा है , चोरी हो जाने दो। जब मलिक को नुकसान हो जाएगा तब उसे हमारी महत्व का पता चलेगा।

गधा कुत्ते की इस बात से सहमत बिल्कुल नहीं था। उसने जब उसने काफी समझाने की कोशिश की , कि सुनो दोस्त नौकर को इस तरह से नहीं करना चाहिए ,अपने काम को कभी भी हमें अनदेखा नहीं करना चाहिए। इस समय तुम्हारा फर्ज है कि तुम मलिक को जगाओ और चोर के आने की सूचना अपने मालिक को दो। गधे के इन बातों का कुत्ते के ऊपर किसी भी तरह का असर नहीं हुआ। कुत्ता गधे की सलाह को अनसुना करते हुए बोला तुम मुझे मेरा कर्तव्य मत सिखाओ। तुम मुझे पाठ मत पढ़ाओ।

अब गधे ने सोचा कि उसे ही कुछ करना चाहिए। उसने अपने मालिक को जगाने के लिए पूरे तेजी से ढेंचू – ढेचूं कर चिल्लाना शुरू कर दिया। धोबी थका -हारा गहरी नींद में सोया हुआ था। गधे के चिल्लाने पर धोबी गहरी नींद से जाग गया। गुस्से में वह हाथ में लाठी लेकर अपने घर से बाहर निकला। जब उसने देखा कि कुत्ता चुपचाप एक कोने में बैठा हुआ है और गधा जोर-जोर से ढेंचू – ढेचूं कर रहा है।

धोबी ने सोचा कि गधा जानबूझकर बदमाशी कर रहा है और उसकी नींद में खलल डालने का प्रयास उसने आज किया है। वह गुस्से में अपना आपा खो बैठा और अपने हाथ में लिए लाठी से गधे को काफी बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। वह बेचारा गधा मार खाते-खाते वहीं पर अपना प्राण त्याग दिया।

शिक्षा:- अपना काम करो, बिना मांगे किसी को सलाह मत दो।

 Dost ki madad moral story in hindi:–एक बार की बात है। किसी गांव में एक खाली जगह में मंदिर का निर्माण का काम चल रहा था। मंदिर के पास तीन – चार बढ़ई मिलकर मंदिर के लिए दरवाजा और खिड़की बनाने का काम कर रहे थे। वह आरी से बड़ा सा लकड़ी चीरने की कोशिश में लगे हुए थे। दोपहर को खाना – खाने का समय हुआ, और सभी बढ़ई अपना अधूरा काम छोड़कर खाना खाने के लिए बगल में एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गए।

खाना खाने जाने से पहले उन्होंने लकड़ी के आधा चीरे हुए भाग में एक लकड़ी का कील फसा दिया ताकि वापस जब आए तो उन्हें उस लकड़ी को आगे चीरने में मुश्किल ना हो। मंदिर के पास एक पेड़ पर बंदरों का एक झुण्ड रहा करता था। बढ़ई के चले जाने के बाद बंदरों का सभी झुंड वहां जाकर उछल -कूद करने लगा।

बंदर लकड़ी के लठ्ठ पर भी उछल कूद – करने लगे। उन बंदरों में एक बंदर बहुत ज्यादा नटखट और शरारती था। इस बंदर का ध्यान लठ्ठ से निकली हुई लंबी कील पर पड़ा जिसे बढ़ई लगा कर गए थे। बन्दर उस कील पर बैठ गया और हिलाने – डुलाने लगा और कील को निकालने का प्रयास करने लगा। पूरा जोर लगाकर कील को निकालने का प्रयास कर रहा था, आखिरकार उसमें से कील तो बाहर आ गया पर उसे शरारती बंदर की पूंछ लठ्ठ के बीच में फंस गयी।

अब वह दर्द से चिल्लाने लगा और अपनी पुंछ निकालने का भरपूर प्रयास किया पर जितना वह प्रयास वह करता है उसकी पुंछ निकलने के बजाय उतना ही फंसता जाता है। उसे तेज दर्द से महसूस होता है। सभी बंदर भी मिलकर उसका पूछ निकालने का प्रयास कर रहे थे परंतु सारा प्रयास असफल रहा। सभी बंदर उसे छोड़कर वहां से चले गए।

कुछ देर के बाद जब बढ़ई खाना खाने के बाद वापस अपने काम पर लौटे तो देखे की एक बंदर चीख और चिल्ला रहा है। उसकी हालत काफी खराब हो गई थी। उसने देखा की लकड़ी के दरार में बन्दर का पुंछ बुरी तरह से फंसा हुआ है। सभी बढ़ई मिलकर किसी तरह से उस बंदर की पूछ को लकड़ी के चीरे से बाहर निकाला। इस तरह से उसे शरारती बंदर की जान बच गयी। बंदर की पूछ पर काफी चोट आ गई थी पर उसे यह सबक भी मिल चुका था कि बिना मतलब दूसरे के काम में अपनी टांग मत दिया करो।

पिंकू बंदर पेड़ पर इधर से उधर उछल कूद मचा रहा था। उसने नीचे देखा कि एक सांप नीचे अपने बिल से बाहर निकल रहा है। सांप अपने शिकार के तलाश में एक बिल से बाहर निकल रहा था ,तभी पिंकू बन्दर को कुछ शरारत सुझा। उसने पेड़ की डाल पर अपनी पुंछ लपेटा और नीचे लटक गया और सांप से पूछा ,” क्यों भाई क्या हाल है?

आज कोई शिकार तुम्हें नहीं मिला है क्या? सांप फन उठा कर गुस्से में देखा। एक तो वह काफी भूखा था , ऊपर से वह बंदर उसका मजाक बना रहा था। सांप बोलै , मैं तुझे भी खा जाऊंगा। पिंकू बंदर ने अपने दांत दिखाते हुए और हंसते हुए सांप से कहा , अरे लीलू भाई मैं तो तुम्हारे फायदे की सोच कर ही यह बात कह रहा हूं , लेकिन चलो अगर तुम्हें कोई मतलब नहीं है।

तुम अपने लिए खाना खोजो, देखो , कोई चूहा -खरगोश मिल जाए ,मैं यहां से चला। लीलू के मन में अब लालच आ गया था। वह बोला अरे नहीं भाई पिंकू , मैं तो तुम्हें अपना छोटा भाई समझ कर मजाक कर रहा था। अच्छा बताओ , कैसे मेरा फायदा पहुंच सकता है। अब पिंकू बन्दर ने कहना शुरू किया , देखो भाई, तुम कब तक शिकार की खोज में इधर से उधर भागते मरते फिरोगे। मेरी एक बात मानो तो मैं तुम्हारे लिए हमेशा के लिए व्यवस्था कर सकता हूं कि तुम्हें अपने घर से बाहर भी नहीं निकलना पड़ेगा और तुम्हें रोज खाने- पीने की व्यवस्था भी अच्छी तरह से हो जाएगी।

अब लीलू गहरी सोंच में डूब गया था। वह सोच रहा था कितना अच्छा होगा कि मुझे कहीं इधर-उधर भटकना भी नहीं पड़ेगा और दूध, चूहा ,खरगोश आदि खाने को भी हमें मिलता रहेगा। पिंकू ने जब उसे देखा तो बोला क्या सोच रहे हो दादा। मेरा कहा मानना है या मैं यहां से अब निकलूं।

लीलू ने उस बंदर को रोकते हुए कहा अरे भाई ,कहां चले। सपने दिखाकर अब कहां तुम जाने की बात कर रहे हो? बताओ यह सब होगा कैसे ? पिंकू ने सांप को बताते हुए कहा ” देखो मैं गांव में यह अफवाह फैला देता हूं कि लीलू सांप को नागमणि रत्न मिल गया है। अगर वह नागमणि किसी के सिर पर रख दे तो उसकी उम्र एकदम से बढ़ जाएगी और वह हमेशा जवान बना रहेगा।

लेकिन वह नागमणि उसके सिर पर ही रखा जायेगा जो सांप को खुश रखे। बस तुम अब एक बात ध्यान से सुनो की कहीं से मणि जैसा दिखने वाला शीशे का एक टुकड़ा ले आना है, तुम उसे दूर से आने वाले को दिखा देना , फिर जो तुम खाने के लिए लोग से मांगना चाहो मांग लेना , वह तुम्हें लाकर देंगे तुम्हारे लिए दूध वगैरा इंतजाम हो जाएगा और मेरे लिए भी कुछ फल मांग लिया करना।

यह सुनकर लीलू सांप काफी खुश हो गया और कहने लगा ,यह तो ठीक है भाई , लेकिन अगर कुछ समय के बाद मेरा पोल अगर उन लोगों के सामने खुल गया तब आखिर क्या होगा ? यह सुनकर बंदर काफी जोर से हॅसते हुए बोला कि ” भाई गांव के कुछ नए-नए उम्र के जानवरों के सिर पर तुम यह नागमणि रख दिया करना।

वैसे भी उनकी उम्र पहले से ही काफी ज्यादा होगी और बाद में जो बुजुर्ग होंगे वह मर जाएंगे। इससे सब कोई यह समझेंगें कि नागमणि का ही असर हुआ है। अगले दिन बंदर कहीं से एक शीशे का टुकड़ा लाकर लीलू सांप को दे देता है। अगले दिन सारे जंगल और गांव के अगल-बगल यह अफवाह फैला देता है कि सांप के पास कीमती नागमणि है।  

एक दिन गांव में गजानन हाथी और बब्बर शेर आपस में बात करते हैं। बब्बर शेर कहता है कि भाई , मैं तो बूढ़ा होता ही जा रहा हूं अब मुझे शिकार के पीछे दौड़ लगाना संभव नहीं लगता। मैं लीलू के पास एक दिन गया था लेकिन उसने मुझे अपने नागमणि को मेरे सिर पर रखने से एकदम से मना कर दिया है। यह सुनकर गजानन हाथी ने भी अपनी सूंढ़ हिलाते हुए कहा कि ” हां भाई मैं भी तो गया था लेकिन उसने भी मुझे नीलमणि नहीं दिखाई।

अब हम लोगों को उस सांप से उसकी नीलमणि आखिर छीननी ही होगी। यह सुनकर बब्बर शेर बोला हां ठीक कहते हो ,उसे बिल से बाहर निकाल कर उसकी नागमणि उसके पास से छीन लिया जाए। हाथी ने अब एक तरकीब बताई और बोला कि एक बर्तन में थोड़ा दूध रखकर उस सांप के बिल से कुछ दूरी पर रख देना है ,और किसी छोटे जानवर से आवाज देकर सांप को बुलाना है।

जब सांप बाहर आएगा तो अपने पैर से मैं उसका सिर कुचल कर रख दूंगा। वह सांप मर जाएगा और उसकी मणि हमें मिल जाएगी। शेर ने कुछ देर सोचा और कहा , ठीक ही दोस्त ऐसा ही करते हैं। तुम सांप को ठिकाने लगा देना और मैं उस बंदर के बच्चे का शिकार कर लूंगा। अगले दिन उसने ऐसा ही बिल्कुल किया।

हाथी बिल के पास जाकर एक छोटे से जानवर से आवाज दिलवाया की लीलू , भाई मैं आपके लिए ताजा दूध लेकर यहां आया हूं , तुम जल्दी से बाहर आ जाओ और अपना दूध ग्रहण करो। लीलू एकदम से खुशी-खुशी बाहर निकला और दूध के कटोरा की तरफ आगे बढ़ने लगा तभी हाथी उसका सिर अपने पैर से कुचलना चाहा।

तभी लीलू हाथी की परछाई देख चुका था। वह एक तरफ अलग हट गया। लीलू सांप ने हाथी को कहा,” भाई मुझे तुम क्यों मारना चाह रहे हो ? हाथी यह सुनकर से जोर से चिंघाड़ने लगा। उसने बोला कि तुम्हे बड़ा घमंड हो गया है ना ? तुझे अब देखा तुझे मार कर मैं तेरी मणि कैसे लेकर जाता हूं।

लीलू हाथी के पैरों में जाकर लिपट गया और वह बोला महाराज मुझसे गलती हो गई। मुझे माफ कर दीजिए। यह कोई मणि – वणी नहीं है। यह तो एक मामूली शीशे का टुकड़ा है। इसे मुझे पिंकू बंदर ने ला कर दिया था और सारी योजना भी उसी की थी। लीलू ने सारी बात खुलकर हाथी और शेर को बता दी।

हाथी गुस्से में आकर अपनी सूंढ़ में पिंकू बन्दर को लपेट लिया था। पिंकू को लगा कि अब वह नहीं बचेगा , तो वह लीलू से कहा भाई जल्दी से हाथी को काट लो जिससे मैं बच जाऊं। लीलू ने कहा , भाई इससे पहले हाथी मुझे अपने पैरों के तले कुचल देगा , मैं तो यहां से जा रहा हूं। पिंकू अब समझ चुका था कि लीलू उसके कहने में अब नहीं आएगा।

तब पिंकू बन्दर बोला , हाथी भाई , मुझे अंतिम बार माफ कर दो। अब आगे से जीवन में ऐसा मैं कुछ नहीं करूंगा। शेर ने कहा , बंदर जंगल के जानवरों को आज से भड़काना बंद करो , आज के बाद अगर इस जंगल में तुम दिखा तो तुझे मार कर खा जाऊंगा। हाथी ने पिंकू को छोड़ दिया और पिंकू बन्दर दुम दबाकर घने जंगल में गायब हो गया, भागते-भागते वह बोला , लीलू सांप बड़ी जल्दी रंग बदल लिया तूने। भाई अपना कोई भी नहीं है जंगल में। अब मैं इस जंगल को छोड़कर कहीं और चला जाता हूँ और वह दूर चल दिया। यही है Dost ki madad in hindi.

Hello, our readers we have provided you the best stories in Hindi for kids (Dost ki madad moral story in hindi) with moral and along with picture also. we are coming with much and more unique and moral stories to you. I just hope you liked our collection of Hindi kahaniya as they are the Dost ki madad moral story in hindi. 

जादुई टोकरी की कहानी

मेहनती हिरण : संकट में संघर्ष की कहानी

जादुई अखरोट

मीरा की रेलगाड़ी

share to help

Leave a Comment