Heart Touching Emotional Story in Hindi एक रोचक और ज्ञानवर्धक कथा है , जो जीवन की सच्ची कहानियां एवं अच्छे संस्कार सिखाने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। यह छोटी सी हिन्दी कहानी कई आकर्षक पात्रों से भी भरपूर है। यह बेहतर संदेश देने के साथ एक मन मोहक कहानी भी प्रस्तुत करती है।
इसके अलावा भी हमारी एक रोचक कहानी संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उनको कल्पनाओं की दुनिया में ले जाकर उनके मन में रोमांच पैदा करती हैं । ये रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं। कहानी सुनकर बच्चे सो जातें हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित होकर उनकों जीवन का जरुरी पाठ भी पढ़ाती हैं।
आजकल Heart Touching Emotional Story in Hindi जैसी Emotional kahani ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध भी हैं।
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लकड़हारा और सोने की कुल्हाड़ी : Heart Touching Emotional Story in Hindi

यह छोटी कहानी इन हिंदी है जो पाठको को अवश्य पसंद ही आएगी। बहुत समय पहले की एक बात है। एक जंगल में लकड़ी काटने वाला एक लकड़हाड़ा रहा करता था। वह काफी गरीब परिवार का लड़का था। वह प्रतिदिन पास के घने जंगल में जाता और लकड़ी काटकर ले आता। उन लकड़ियों को शहर में ले जाकर कहीं उन्हें बेच देता था। इस प्रकार किसी तरह अपना और अपने परिवार का जीवन बसर वह किया करता था। एक दिन वह एक तालाब के किनारे वाला एक पेड़ पर चढ़कर अपनी कुल्हाड़ी से लकड़ियाँ काट रहा था। लकड़ी काटने के दौरान उसकी लोहे की कुल्हाड़ी उसके हाथों से छूट गयी और किसी तरह तालाब के अंदर गिर गयी। कुल्हाड़ी गहरे पानी के अंदर चली गयी । वह तालाब काफी गहरा भी था।
उसने तालाब के पानी में किनारे के पास अपनी लोहे की कुल्हाड़ी को खोजने का काफी प्रयास किया पर लाख प्रयास करने के बादजुद उसे उसकी लोहे की कुल्हाड़ी नहीं मिल रही थी । उसने बार-बार यही कोशिश किया कि किसी तरह उसकी कुल्हाड़ी मिल जाए लेकिन शाम और अँधेरा होने तक भी उसकी कुल्हाड़ी उसे मिल नहीं सकी । अब वह परेशान हो गया और वहीं तालाब के किनारे बैठकर जोर – जोर से रोने लग गया था।
रोते -रोते बस यही सोच रहा था कि अब उसका जीवन- यापन और उसके परिवार का भरण – पोषण अब कैसे चलेगा। उसके रोने की आवाज सुनकर तालाब के पानी से एक जलपरी बाहर निकल कर आती है । उसने उस लकड़हारा से यह पूछा कि तुम इतनी देर से तालाब के किनारे बैठकर क्यों रोए जा रहे हो ?
लकड़हारा उस जलपरी को देखकर काफी आश्चर्यचकित हो गया। जलपरी के पूछे जाने पर उसने अपनी सारी बात उसे बताई कि वह गरीब आदमी है और लकड़ी काटते समय उसकी कुल्हाड़ी पानी में गिर गयी है और काफी खोजने पर भी वह कुल्हाड़ी उसे नहीं मिल पा रहा है , इस कारण से ही तालाब के किनारे बैठकर वह लगातार रोये जा रहा था।
जलपरी ने उससे कहा की पहले तुम रोना -धोना बंद करो। यह कहकर जलपरी ने उस तालाब के पानी में डुबकी लगाई और एक चांदी की कुल्हाड़ी पानी के अंदर से निकाल कर बाहर ले आई और लकड़हारे से कहा कि यह शायद तुम्हारी अपनी कुल्हाड़ी है ? लकड़हारे ने कहा कि ‘ नहीं- नहीं यह मेरी कुल्हाड़ी तो नहीं है।’ जलपरी फिर दोबारा तालाब के पानी में गोता लगायी और एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आई। बाहर आकर उसने फिर से उस लकड़हारे से पूछा कि लगता है कि यही तुम्हारी अपनी कुल्हाड़ी है ?
लकडहाड़े ने अबकी बार फिर कहा किया यह मेरी कुल्हाड़ी बिलकुल नहीं है। मेरी कुल्हाड़ी लोहे की पुरानी जैसी थी। अब जलपरी फिर से तालाब में डुबकी लगाई और एक पुरानी लोहे की कुल्हाड़ी लेकर पानी से बाहर आई। वह कुल्हाड़ी देखकर लकड़हारा काफी खुश हो गया। उसने कहा कि हां -हां यही मेरी अपनी कुल्हाड़ी है। जलपरी उस लकड़हारे की ईमानदारी देखकर काफी प्रसन्न हो गयी। उसने लोहे की कुल्हाड़ी के साथ-साथ चांदी और सोने की कुल्हाड़ी भी उस गरीब लकड़हांरे को अपनी ओर से भेंट कर दी। अब वह लकड़हारा अपने गांव का काफी अमीर व्यक्ति बन चूका था।
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें किसी कीमत पर भी ईमानदारी का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।
जलपरी की कहानी : Heart Touching Emotional Story in Hindi

किसी गांव में एक गरीब किसान रहता था। वह इतना गरीब था कि उसके पास खेती करने के लिए थोड़ी सी भी जमीन नहीं थी। वह प्रतिदिन पास के नदी में जाकर मछलियां पकड़ कर अपने घर लाता था और मछली को खाकर अपने पुरे परिवार का पेट भरता था। उसके परिवार का पालन पोषण किसी तरह से चल रहा था।
वह किसान प्रत्येक दिन नदी के किनारे आता था और मछली पकड़ने वाली मजबूत जाल का प्रयोग कर नदी से मछली निकालता था और अपने घर ले जाता था। कुछ दिनों के बाद नदी में मछलियों की संख्या काफी कम हो गई थी । यह देखकर नदी में बाकी मछलियां काफी परेशान एवं डरी – सहमी सी रहने लगी थी।
एक दिन की बात है , उन मछलियों में से एक मछली ने एक दिन एक जलपरी को नदी किनारे पत्थर पर बैठे देखा। वह मछली रोते हुए जलपरी के नजदीक गई। मछली को रोते देखकर जलपरी ने उससे पूछा कि ‘ कहो , क्या बात है ?’ वह मछली बोली की एक आदमी प्रतिदिन नदी में जाल डालकर मछलियों को अपने जाल में फंसाकर पानी से बाहर निकाल लेता है और फिर अपने घर ले जाता है। इस कारण इस नदी में काफी कम मछलियां रह गई।
बाकी बची मछलियां काफी परेशान और तनाव में हैं। जलपरी ने कहा कि ‘ तुम परेशान मत हो ,अगले दिन जब वह किसान नदी किनारे मछली पकड़ने के लिए आएगा तो मैं उससे बात करुंगी कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। ‘ अगले दिन जब किसान उस नदी में मछली पकड़ने के लिए आता है ,जलपरी नदी के पानी से बाहर आती है और उस किसान को कहती है ‘ तुम रोज-रोज यहां से मछली पकड़ कर घर ले जाते हो इस कारण ही तालाब में मछलियां काफी ज्यादा कम हो गई है।
जलपरी ने किसान को कहा कि तुम खेती-बाड़ी क्यों नहीं करते हो। , किसान ने कहा मैं काफी गरीब आदमी हूं। मेरे पास खेती करने के लिए जमींन नहीं है। मैं खेती कैसे कर सकता हूं ? मछलियां पकड़कर अपने घर ले जाता हूं इससे मेरा परिवार का पालन- पोषण होता है।
मेरे पास इसके अलावा और कोई उपाय नहीं है। अगर मैं मछली नहीं पकडूँगा तो मेरा परिवार भूख से मर जाएगा। जलपरी को किसान की बात समझ में आ गई। जलपरी को लगा की किसान सही कह रहा है। यह अपने परिवार की मजबूरी के कारण नदी में मछली पकड़ता है।
मछली को भोजन के रूप में खाकर इसके परिवार का किसी तरह से पालन पोषण चलता है। जलपरी को उस किसान पर बहुत दया आ गई। इसके बाद जलपरी पानी में गोता लगाती है और कुछ ही देर में अपने हाथ में कीमती मोती लेकर नदी से बाहर आ जाती है।
जलपरी किसान को वह मोती हाथों में पकड़ा कर कहती है कि यह कुछ मोतीयां हैं , इसे बाजार में ले जाकर बेच देना और उस पैसे से अपने लिए खेत -जमीन खरीद कर खेती-बाड़ी करना शुरू कर देना।
इससे तुम्हारे परिवार का भरण – पोषण भी अच्छे से हो जाएगा और बेचारी इन मछलियों की भी प्राण रक्षा हो जाएगी। वह किसान बहुत खुश हो गया वह मोती लेकर अपने घर चला जाता है।
अगले दिन बाजार में उसने एक मोती को किसी सोनार के यहां बेच देता है। सोनार से उसे काफी पैसे मिल जाते हैं। उस पैसे से वह किसान जमीन का कुछ टुकड़ा खरीद लेता है। उस जमीन पर वह किसान खूब मेहनत कर तरह – तरह की फसल पैदा करता है, जिससे वह अपने परिवार का भी पेट भरता है और कुछ फसल बेच कर पैसे भी इकट्ठा करता है। इस तरह अपनी मेहनत से वह किसान धीरे – धीरे अपने गांव का अमीर आदमी बन जाता है।
3. मूर्ख भालू की कहानी (Bedtime Stories For Kids)
किसी जंगल में एक काले रंग का भालू रहता था. वह हर समय कुछ ज्यादा से ज्यादा पाने की तलाश में रहता था। थोड़ी सी चीजों से वह कभी भी संतुष्ट नहीं होता है. एक दोपहर जब वह सोकर उठा, तो उसे ज़ोरों की भूख लग आई। वह भोजन की तलाश में बहार निकल पड़ा.
उस दिन आसमान में मौसम साफ़ था। काफी सुनहरी धूप खिली हुई थी। भालू ने सोचा, “ आज कितना अच्छा मौसम है। इस मौसम में तो मुझे मछली पकड़नी चाहिए। चलो, आज मछली की ही दावत की जाए। .”
ये सोचकर उसने नदी की राह पकड़ ली। नदी किनारे पहुँचकर भालू ने सोचा कि एक बड़ी मछली किसी तरह से हाथ लग जाये, तो मज़ा आ जाये। उसने पूरी उम्मीद से नदी में अपना हाथ डाला और एक मछली उसके हाथ में आ गई। वह बहुत ख़ुश हुआ ,लेकिन जब उसने हाथ नदी से बाहर निकला, तो देखा कि उसके हाथ लगी मछली छोटी सी है.

Heart Touching Emotional Story in Hindi
वह बहुत निराश हो गया । अरे इससे आखिर मेरा क्या होगा? बड़ी मछली हाथ लगे, तभी तो कुछ बात बने। उसने वह छोटी मछली वापस नदी में फ़ेंक दी और फिर से मछली पकड़ने तैयार हो गया।
कुछ देर बाद उसने फिर से नदी में हाथ डाला और उसके हाथ फिर से एक मछली लग गई। लेकिन, वह मछली भी छोटी थी। उसने वह मछली भी यह सोचकर नदी में फेंक दी कि इस छोटी सी मछली से मेरा पेट नहीं भर पायेगा।
वह बार-बार नदी में हाथ डालकर मछली पकड़ता और हर बार उसके हाथ छोटी मछली लगती। वह बड़ी की आशा में छोटी मछली वापस नदी में फेंक देताथा। ऐसा करते-करते शाम हो गई और उसके हाथ एक भी बड़ी मछली नहीं लगी।
भूख के मारे उसका बुरा हाल हो गया था। वह सोचने लगा कि बड़ी मछली के लिए मैंने कितनी सारी छोटी मछलियाँ फेंक दी। उतनी छोटी मछलियाँ एक बड़ी मछली के बराबर हो सकती थी और मेरा पेट भर सकता था।
सीख – “आपके पास जो है, उसका महत्व समझें. भले ही वह छोटी सही, लेकिन कुछ न होने से तो बेहतर है.”
सम्बंधित प्रश्न-उत्तर
जलपरी की इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
जलपरी की इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें सभी लोगों की मदद करनी चाहिए।
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