Long Hindi Kahani एक दिल छू लेने वाली कहानी जो सभी उम्र के पाठकों को सही शिक्षा देने और उसमें अच्छे संस्कार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा हमारी अन्य कहानी भी एक महत्वपूर्ण संग्रह है ,जो बच्चों को बेहतर परवरिश काफी सहायक है। यह कहानी बच्चों को सपनों के निराले दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करती है।
यह Long Hindi Kahani कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती है। कहानी सुनते-सुनते बच्चे सो जाते हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित होकर उनको जीवन का जरुरी पाठ में पढ़ाता है। आजकल ऐसी Long Hindi Kahani जैसी कहानी ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध भी है।
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मगरमच्छ और कछुआ की सच्ची कहानी | Long Hindi Kahani
एक नदी में एक मगरमच्छ रहा करता था। वह एक छोटी नदी थी , जिसमें एक कछुआ भी रहता था। मगरमच्छ यह बात अच्छी तरह से जानता था कि वह कछुए को कभी भी खा नहीं पाएगा, क्योंकि उसका खोल ( पीठ ) काफी मोटा होता है। दूसरी और कछुए को भी यह बात पता था कि मगरमच्छ चाह कर भी उसको अपना भोजन नहीं बना सकता।
एक दिन मगरमच्छ ने कछुए को बोला, देखो यार मैं ना तो तुझे खा ही सकता हूं और ना ही तुझे किसी प्रकार का नुकसान ही पहुंचा सकता हु। इसलिए यह अच्छा रहेगा कि हम दोनों अब आपस में गहरे दोस्त बन जाए। कछुआ बोला कि ऐसा है यार कि , दोस्ती तो बराबर वालों में होती है ,हम दोनों में शारीरिक रूप से काफी फर्क है।
कछुए की यह बात सुनकर मगरमच्छ को काफी गुस्सा आ जाता है। वह बोला अगर ऐसी बात है तो मैं अभी तुझे उठाकर इस नदी से बाहर कर देता हूं , फिर देखता हूं तू कैसे इस नदी में फिर से वापस आता है। कछुआ चुपचाप मगरमच्छ की बात सुन रहा था। वह बोल भाई लगता है कि तुमने खरगोश और कछुआ वाली कहानी नहीं सुनी है। एक बार खरगोश को भी अपने आप पर घमंड हो गया था , लेकिन नतीजा यह हुआ कि खरगोश और कछुए के रेस में खरगोश हार गया था और कछुआ जीत गया था ,इसलिए घमंड करना अच्छी बात नहीं है ,मेरे दोस्त।
अब तो मगरमच्छ को और ज्यादा गुस्सा आ जाता है। वह जोरदार धक्का कछुआ को देता है। डर से कछुआ अपने खोल में अंदर चला जाता है। मगरमच्छ उसे अपने पूछं से वार करके नदी के बाहर निकाल देता है और फिर उसे अपने मुंह से ठेलते – ठेलते कछुए को नदी से बहुत दूर लेकर चला जाता है। कछुआ जब अपने खोल से बाहर निकलता है तो देखता है कि वह एक मैदान में पहुंच चुका है, और वही बगल में मगरमच्छ भी मौजूद था।
मगरमच्छ कछुए से कहता है ,आज के बाद अगर कभी इस नदी में आया तो मैं तुझे फिर से बाहर फेंक दूंगा। कोई बात नहीं है, मैं वहां अब नहीं आऊंगा मैं किसी और नदी में चला जाऊंगा, कछुए ने कहा। मगरमच्छ यह सुनकर हंसने लग गया और बोला तुझे पता है की दूसरी नदी जो यहां से कितने किलोमीटर की दूरी पर है ,तू वहां कभी नहीं पहुंच पाएगा।
मगरमच्छ ने कहा कि अब या तो मुझसे तू माफी मांग ले या फिर इस नदी में जाने का ख्याल हमेशा के लिए छोड़ दे। कछुआ बोला मैं धीरे-धीरे चलकर किसी दूसरी नदी में पहुंच ही जाऊंगा , लेकिन मैं अब तुम्हारे वाले नदी में वापस नहीं आऊंगा। मगरमच्छ यह सुनकर वापस अपने वाले नदी की ओर चला जाता है।
लेकिन इस बार मगमच्छ वापस लौटने में नदी का रास्ता भूल जाता है और दूसरे रास्ते से नदी की ओर आगे बढ़ने लगता है। उस रास्ते पर मिट्टी काफी गीली और चिकनी मिट्टी थी। जैसे ही मगरमच्छ थोड़ा आगे बढ़ता है वह गीली मिट्टी में बहुत बुरी तरह फंस जाता है और न हीं पीछे वापस लौट पता है और न आगे बढ़ पाता है। वह बहुत कोशिश करता है ,लेकिन जितना भी वह कोशिश करता था ,वह मिट्टी के अंदर ज्यादा नीचे धंस जाता था। इस तरह से उसे अब अपनी मौत सामने नजर आने लगी थी। उसे लगा था कि अब यहीं पर वह मर जाएगा।
दूसरी और कछुआ नई वाली नदी की खोज में धीरे-धीरे अपने रास्ते पर आगे बढ़ाना शुरू किया , तभी मगरमच्छ ने अपनी पूंछ गीली जमीन पर जोर -जोर से पटकना शुरू कर दिया था , उसकी आवाज सुनकर कछुआ वापस पीछे पलटा। वह धीरे-धीरे चलकर उस मगरमच्छ के पास पहुंचा। मगरमच्छ कछुआ को देखकर उससे विनती करने लगा कि दोस्त तुम मेरे छोटे भाई की तरह हो , मुझे यहां से किसी तरह से बाहर निकालो , नहीं तो मैं यहीं पर मर जाऊंगा।
तुम्हें तो अपने आप पर काफी घमंड था न मैं क्यों तुम्हारी मदद करु भाई। मगरमच्छ कछुआ से अब माफी मांगने लगता है। मगरमच्छ की विनती सुनकर अब कछुआ मदद करने को तैयार हो जाता है। अपने दोनों हाथों से मिट्टी हटाना शुरू कर देता है। तीन-चार घंटे के बाद किसी तरह से कुछ मिट्टी हटती है तब तक नदी का पानी वहां पहुंचकर मिट्टी को बहा ले जाती है जिस कारण वहां मिट्टी कम हो जाता है।
जिस कारण मगरमच्छ किसी तरह से मुख्य नदी तक पहुंच जाता है और उसकी जान बच जाती है। मगरमच्छ कहता है ,भाई मुझे माफ कर दो ,आज से हम दोनों अच्छे दोस्त बनकर रहेगें। अब कछुआ मगरमच्छ की दोस्ती को स्वीकार कर लेता है। मगरमच्छ कछुए को अपनी पीठ पर बैठा कर दिनभर नदी में घूमाता रहता है। फिर दोनों नदी से बाहर निकल कर एक पेड़ की छांव में आराम करते थे और बैठकर दोनों आपस में मीठी-मीठी बातें किया करते थे। यही है Long Hindi Kahani
सीख :- इस Long Hindi Kahani से हमें यह सीख मिलती है की खुद पर कभी भी घमंड नहीं होना चाहिए। हमेशा हमें विनम्र बने रहना चाहिए।
नीलू बंदर की चतुराई | Long Hindi Kahani
नीलू बंदर जंगल में दिन भर इस पेड़ से उस पेड़ उछल -कूद मचाये रहता था। उसे जंगल में बहुत कम खाना मिल पा रहा था ,क्योंकि वह बहुत शरारती था , खेलने कूदने में ही ज्यादा समय व्यतीत करता था और फिर थक कर दिन भर सोता ही रहता था। एक दिन उसकी पत्नी शीलू बंदरिया ने उससे कहा कि,सुन लो जी तुम कुछ करते- धरते नहीं हो। तुम्हारे कारण हमारे बाल- बच्चों को अच्छे से खाना नहीं मिल पाता है।
नीलू बंदर ने पत्नी शीलू को कहा ,” तो मैं क्या करूं, यह कालू हाथी जंगल का सारा केला और फल खा जाता है। अगर मैं किसी दिन एक केला तोड़ भी लेता हूं ,तो वह पूरा पेड़ हिला- हिला कर मुझे पेड़ पर से नीचे जमीन पर गिरा देता है। दो दिन पहले भी ऐसा हुआ था ,मैं एक पेड़ पर चढ़ा हुआ था और हाथी पहुंच गया। उस दिन बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी जान बचाई थी।
शीलू बंदर का एक नन्हा सा बच्चा भी था। दोनों पति-पत्नी को अपने बच्चों की भी चिंता रहा करती थी। एक दिन नीलू बंदर ने अपनी पत्नी से कहा ,सुनो शीलू , मैं सोच रहा हूं कि शहर चला जाऊं। सुना है शहर में काफी सारा खाना मिल जाता है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो मैं वहां से वापस आकर तुम दोनों को भी शहर ले जाऊंगा। अगले दिन नीलू बंदर शहर चला जाता है। वहां उसे बहुत अच्छा -अच्छा खाना चुराने का अवसर मिलता रहता है।
नीलू बंदर कभी किसी के छत पर चढ़ जाता था ,कभी किसी का सामान उठाकर भाग जाता था। एक दिन नीलू पेड़ पर आराम कर रहा था ,तभी उसने देखा कि एक जादूगर अपना जादू दिखा रहा है और बच्चे सब मिलकर उसके चारों ओर बैठे हुए हैं ,जादूगर का जादू जब खत्म हो गया तो आसपास बैठे लोगों ने काफी सारे रुपए- पैसे उस जादूगर को दिए।
नीलू बंदर को जादूगर का यह काम काफी पसंद आया था। उसने सोचा कि मैं भी अगर जादू सीख लू तो जंगल के जानवर मुझे भी खाना वगैरह लाकर दिया करेंगे और मुझे कुछ भी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और मैं आराम से अपना जीवन व्यतीत करूंगा। अब नीलू बंदर उस दिन से जादूगर का करतब बड़े ध्यान से देखने लगा। धीरे धीरे वह जादूगर का सभी चाल समझ गया। उसे सब कुछ पता चल गया कि कैसे जादू दिखाया जा सकता है।
जादूगर के पास बहुत सा सामान भी था। एक दिन रात के समय जब सब कोई सो जाता है तो नीलू बंदर चुपके से जादूगर के कमरे में घुसकर उसका सारा सामान चुरा लेता है। सारा सामान चुरा कर एक पोटली में बांधकर वह अपने गांव की ओर चल देता है। गांव पहुंचकर उसने सबसे पहले अपने पत्नी शीलू से बताया कि देखो मैं कल से क्या करता हूं। बस तुम इस टोपी और कपड़े मेरे अनुसार छोटा करके सील दो , मेरे पहनने लायक बना दे , मैं इसे पहन कर कल से सभी को जादू दिखाऊंगा।
कल से हमें खाने पीने की भी कोई कमी नहीं रहेगी। शीलू बंदरिया ने उस जादूगर के कपड़े अपने पति बंदर के हिसाब से छोटे कर दिए और टोपी भी कांट -छांट कर छोटी कर दी। अगले दिन नीलू बंदर ने सभी जानवरों को अपने नजदीक बुलाया और कहा कि मैं शहर से जादू सीख कर आया हु। तुम लोग मेरा जादू देख सकते हो। नीलू बंदर तैयार होकर अपने हाथों में एक पतली छड़ी लेकर अपना जादू दिखाना शुरू कर दिया। जंगल के भोले -भाले जानवर उसके जादू को देखकर आश्चर्यचकित रह गए।
नीलू बंदर एक मेज रखा था और मेज के बीच में एक छेद बना दिया था। उस मेज के ऊपर एक कपड़ा रख दिया था जो बीच से फटा था। अब नीलू बंदर ने कहा , ” कालू हाथी अपने घर से केले लाकर इस टेबल पर रख दो , मैं जादू से आधा केला हवा में गायब करके दिखा दूंगा। कालू हाथी ने अपने घर जाकर कुछ केले ले आया और उसे उस टेबल पर रख दिया। इधर शीलू बंदरिया को पहले ही सब समझा दिया गया था।
वह मेज के नीचे छुप गई और जैसे ही नीलू ने केले पर कपड़ा रखा तो उसने टेबल के छेद में से एक केला निकाल लिया। नीलू ने कपड़ा जब हटाया तो वहां आधे अकेले पड़े थे। यह देखकर जानवर सभी जानवर ताली बजाने लगे। । नीलू बंदर ने कहा मैं किसी को भी पल भर में गायब कर सकता हूं। अगर तुम लोग मिलकर कल से मेरे घर पर खाना नहीं पहुंचाओगे तो मैं हर दिन तुम्हारे खाने का आधा भाग गायब कर दिया करूंगा और अगर मुझे किसी दिन गुस्सा आ गया तो मैं किसी जानवर को भी हमेशा के लिए गायब कर सकता है।
यह सुनकर सभी जानवर पूरी तरह से डर गए थे। अगले दिन सभी जानवरों ने अपने खाने का आधा-आधा हिस्सा निकाल कर नीलू बंदर के पास रखना शुरू कर दिया। नीलू -शीलू और उसके बच्चे अब मजे से खाने का आनंद लेने लग गए थे। तीनों मिलकर मजे से खाना खाते थे और नीलू घर पर बिस्तर पर सोता रहता था। इसी तरह से उसका समय अच्छा समय बीत रहा था। लेकिन जंगल के जानवर अब काफी परेशान होने लग गए थे ।
वह कितना मुश्किल से अपने लिए खाना खोजते थे और उसमें से भी ज्यादा खाना उसे नीलू के घर पर जाकर पहुंचना पड़ता था। एक दिन शहर से एक तोता उड़ते हुए उस जंगल में आ गया। जंगली जानवरों से उसकी दोस्ती हो गयी। तोता भी बहुत पहले एक सर्कस में काम किया करता था। वह जानता था कि जादूगर अपना काम कैसे करते हैं। जंगल के जानवरों ने जब उससे कहा कि उसे अपना आधा खाना नीलू बंदर को देना पड़ता है ,तो तोता ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है। खाना ,हम लोग जंगल में तलाश करेंगे और आधा खाना उसको कैसे दिया जा सकता है
जंगल के जानवरों ने नीलू की जादू की बातें सारी उस तोता को बता दिया। अब तोता ने कहा है वह तुम लोग को बेवकूफ बना रहा है। मैं जब शहर में काम करता था तो मैं भी शहर में रहता था और मैं जानता हूं कि जादू से कोई भी सामान गायब नहीं होता है उसे किसी तरह से बुद्धिमानी से छिपा दिया जाता है। तुम एक बार नीलू से कहो कि वह सबके सामने एक बार जादू दिखाएगा। मैं वचन देता हूं उसका सारा भंडाफोड़ कर दूंगा।
यह सब सुनकर कालू हाथी को बहुत गुस्सा आ रहा था। वह बाकी जानवरों के साथ नीलू बंदर के घर के नजदीक पहुंचा और नीलू बंदर से बोला कि जादूगर भाई ,आज तुम फिर से अपना जादू हम सभी को दिखाओ। नीलू बंदर बोला ,अभी मेरे सोने का समय है। कल इसी समय तुम लोग आ जाना। अगले दिन सभी जानवर एक खाली मैदान में इकट्ठा हो जाते हैं , कालू हाथी ने नीलू बंदर को कहा कि उस दिन की तरह मेरे आधे केले गायब करके दिखाओ। कालू हाथी ने अपने घर से चार केले लाकर उस टेबल पर रख दिए थे। वहां से थोड़ी दूर पर पेड़ की एक डाली पर बैठकर तोता यह सब नजारा देख रहा था।
जैसे ही नीलू बंदर ने केले के उपर कपड़ा लाकर रखा और अपना जादू का डंडा घूमाने लगा और कहने लगा कि देखो तुम लोग मेरा जादू। तभी तोता उस पेड़ से उड़ कर आया और कपड़ा लेकर फिर से वापस पेड़ पर जाकर बैठ गया। सभी ने देखा कि शीलू बंदरिया टेबल के नीचे छुपी हुई है और केले निकाल कर खा रही है।
सभी जानवरों को नीलू – शीलू की चालाकी अब समझ में आ चुकी थी। नीलू बंदर को कालू हाथी ने गुस्से में अपनी सूढ़ में लपेट लिया। डर के मारे नीलू बंदर अपना हाथ जोड़कर माफ़ी मांगना शुरू कर दिया। हाथी ने उसे माफ़ करते हुए नीलू को कहा कि अब सारा दिन जंगल में खाना इकट्ठा करके हम सभी जानवरों को लाकर देना होगा। तुमने बहुत दिन हम लोगों को बेवकूफ बना लिया और बहुत दिन आराम कर लिया। अब तुम दोनों के लिए खैर नहीं।
तुम दोनों दिन भर जंगल में रहोगे और खाना इकट्ठा करके हम सभी जानवरों के घर पर खाना पहुंचाओगे , वरना मैं तुम दोनों को अपने पैरों से कुचल दूंगा। नीलू बंदर ने सभी जानवरों से हाथ जोड़कर माफी मांग ली। अगले दिन से नीलू अपने पूरे परिवार के साथ जंगल में घूम घूम कर खाना इकट्ठा करने लगा था ,साथ में शीलू बंदरिया भी उसके सहायता में उसके साथ ही रहती थी। यही है Long Hindi Kahani
सिख:- इस Long Hindi Kahani से यह शिक्षा मिलती है कि अपने आसपास के लोगों को मुर्ख और अपने आप को भी बहुत ज्यादा बुद्धिमान नहीं समझना चाहिए।
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