Short Story In Hindi Motivational एक दिल को छू लेने वाली कहानी है और सभी उम्र के पाठकों का मनोरंजन करने , उन्हें motivate करने और उनमें अच्छे-अच्छे संस्कार पैदा करने में यह काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
इन कहानियों में नींद वाली कहानी भी एक महत्वपूर्ण कहानी संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उन्हें सपनों की निराली दुनिया में ले जाकर उनको संतुष्टि प्रदान करने का काम करतीं हैं । वैसी कहानियां रात के समय बच्चों को सुनाई जाती हैं ताकि कहानी सुनते सुनते वे सो जाएँ और उस कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित होकर उनकों जीवन का जरुरी पाठ पढ़ाने में सहयोग भी करती है ।
आजकल Short Story In Hindi Motivational जैसी कहानियां इंटरनेट पर काफी संख्या में उपलब्ध भी हैं।
आइये कहानी में आगे पढ़ते हैं सफलता की प्रेरक कहानी
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Short Story In Hindi Motivational(सच्चाई का महत्व)
बहुत साल पहले की एक बात है। महाराष्ट्र राज्य के एक छोटे से शहर में ‘अफसाना ‘ नाम की छोटी सी और काफी सूंदर बच्ची रहती थी। ‘अफसाना ‘ वैसे तो काफी गरीब परिवार की लड़की थी , परंतु गरीबी में अपना जीवन गुजारने करने के बाबजूद भी वह एक सच्ची और ईमानदार बच्ची ही थी। वह कक्षा 4 में पढ़ती थी। पढ़ने में भी वह काफी तेज थी। साथ ही वह काफी Decipline में भी रहा करती थी।
अपनी मां की हर एक बात वह जरूर मानती थी तथा अपनी मां की अच्छी तरह से देखभाल भी किया करती थी। एक दिन की बात है , ‘अफसाना ‘ गांव के पास स्थित एक सब्जी बाजार में कुछ घरेलु सामान खरीदने के लिए गई हुई थी। सामान खरीद कर जब वह वापस अपने घर की ओर लौट रही थी तो रास्ते में उसे नीचे जमीन पर गिरा हुआ सोने जैसी चमकती एक अंगूठी मिली।
‘अफसाना ‘ ने वह अंगूठी अपने हाथों से उठा ली। अंगूठी देखकर वह काफी खुश हो गई थी ,परन्तु वह यह बात जान रही थी की ऐसी अंगूठी किसी धनी व्यक्ति की ही होगी। ‘अफसाना ‘ का परिवार तो काफी गरीब था , कुछ देर के लिए वह सोची की सोने की इस कीमती अंगूठी को अगर सोनार के पास जाकर बेच दी जाए तो उसे काफी रूपये – पैसे मिल जा सकते हैं।
लेकिन तभी उसे यह भी एहसास हुआ कि यह काम बिलकुल ठीक नहीं है। सच्चाई और ईमानदारी पर हमें चलना चाहिए। कुछ सोचकर वह सोने की उस अंगूठी को पास ही में स्थित पुलिस के ऑफिस में ले गई और उसने वहां एक पुलिस वाले को देखा और उसे सारी बातें बताते हुए सोने की वह अंगूठी उसके हवाले कर दी।
पुलिस वालों ने ‘अफसाना ‘ के इस काम का काफी प्रशंसा किया और पुलिस के एक बड़े अफसर की ओर से उसे इनाम भी दिया गया।
सीख : हम सभी को सच्चाई और ईमानदारी को हमेशा बनाए रखना चाहिए, सच्चाई और ईमानदारी की शक्ति हमें जीवन में ऊंचाइयों की ओर ले जाती है।
डरना मना है(Short Story In Hindi Motivational)
यह बच्चों के लिए प्रेरक कहानियां में से एक है। किसी शहर में एक लड़की अपने मां बाप के साथ रहती थी। उस लड़की का नाम ‘ रिहाना ‘ था। रिहाना को परिवार वाले एवं आसपास के लोग काफी पसंद करते थे और उसे ढेर सारा प्यार करते थे। रिहाना वैसे तो सभी मामलों में काफी अच्छी थी पर रिहाना को अंधेरे से काफी डर लगता था ।
वह इतना डरती थी कि अकेले अंधेरे कमरे में भी नहीं जा पाती थी। जब भी उसे अंधेरे में जाना पड़ता तो वह रोने लगती थी और अपने मां से कहती थी की – ‘मां मुझे अंधेरे से काफी डर लगता है। उसकी मां उसे बहुत समझाती थी कि अंधेरे से डरने की कोई आवश्यकता ही नहीं है , तुम्हें अंधेरे से बिल्कुल नहीं डरना चाहिए ,लेकिन रिहाना को पता नहीं क्यों अंधेरे से बहुत डर लगा करता था।
फिर एक दिन की बात है। ‘ रिहाना ‘ की मां अपनी बेटी को अंधेरे से अपना डर खत्म करने के लिए एक परी की कहानी रिहाना को सुनाई। रिहाना काफी दिलचस्पी से वह कहानी सुन रही थी। इस कहानी में छोटी सी एक ‘परी’ थी जिसे अंधेरी रात में बहुत डर लगता था।
इस परी ने अपने डर को दूर करने के लिए ‘ चांद की रोशनी ‘ को अपना मित्र बना लिया था। जब भी आकाश में चाँद की रोशनी होती ,वह अपने घर की खिड़की पर आकर बैठ जाती थी। उस चांद की रोशनी से इतना प्रकाश होता की आसपास का घना अंधेरा भी पूरी तरह से गायब हो जाता था और उस परी का डर भी गायब हो जाता था।
परी की यह कहानी रिहाना को काफी पसंद आ गयी थी । अब रिहाना भी उस परी की तरह अपनी खिड़की से बाहर चांद की चमचमाती रोशनी को निहारना शुरू कर दिया था। अब जब भी रिहाना को अंधेरे से डर लगता तो वह खिड़की के पास आकर चांद को देखने लगती थी और चांद की रोशनी से रिहाना का सारा डर गायब हो जाता था।
धीरे-धीरे रेहाना का अँधेरे से डर लगना भी कहीं गायब हो चूका था।
हमारी बुरी आदत(Short Story In Hindi Motivational)
आगे पढ़तें हैं एक प्रेरक कहानी छोटी सी। किसी शहर में एक काफी धनवान औरत रहती थी। उसकी एक छोटी सी बेटी थी जिसका नाम ‘ ट्विंकल था ‘। वह अपनी बेटी ‘ट्विंकल’ को बहुत प्यार -दुलार करती थी। ट्विंकल के पापा कहीं बाहर पुलिस में नौकरी करते थे और तीन-चार महीना के बाद ही अपने घर वापस आ पाते थे।
वह अमीर औरत अपनी बेटी ट्विंकल की एक बुरी आदत से काफी परेशान रहा करती थी। वह जब भी अपनी बेटी को वह बुरी आदत को करते हुए देखती तो उसे काफी समझाने का प्रयास करती थी। ट्विंकल अपनी इस बुरी आदत को छोड़ नहीं पा रही थी।
उसकी मां जब भी उस गंदी आदत को छोड़ने के लिए कहती थी तो ट्विंकल बोलती थी की- मां , अभी तो मैं बहुत छोटी हूँ, मैं धीरे-धीरे उस बुरी आदत को छोड़ दूंगी। लेकिन ट्विंकल कभी भी बुरी आदत को छोड़ने के प्रति गंभीर प्रयास नहीं किया करती जिस कारण ट्विंकल अपनी बुरी आदत को छोड़ नहीं पा रही थी।
उसकी मां उसकी इस हरकत से काफी परेशान भी रहा करती थी। एक दिन ट्विंकल के पिता अपने घर आये हुए थे। ट्विंकल की मां ने ट्विंकल के पिता से भी उसकी बुरी आदतों के बारे में उनकों बताया। उसने यह भी कहा कि उसने कई बार गंभीर प्रयास किया है परंतु ट्विंकल की बुरी आदतें खत्म ही नहीं हो पा रही है।
ट्विंकल के पिता ने ट्विंकल को लेकर एक महात्माजी के पास पहुंचे और महात्मा जी को अपनी बेटी की समस्या बताते हुए उसका उपाय करने का अनुरोध किया। महात्माजी ने कहा कि- आप ट्विंकल को लेकर कल सवेरे- सवेरे पास वाले बगीचे में पहुँच जाना , वहीं मैं इसकी समस्या का निदान बता दूंगा।
अगले दिन ट्विंकल और उसके पापा दोनों उस बगीचे में पहुंचे। महात्माजी ने ट्विंकल से कहा कि इधर आओ बेटी। चलो हम दोनों मिलकर इस बगीचे की परिक्रमा करते हैं। बगीचे में घूमते हुए महात्माजी अचानक एक पौधे के पास खड़े हो जातें हैं।
उसने ट्विंकल को कुछ समझाने के लिए उससे कहा कि ‘ क्या बेटी तुम इस पौधे को जड़ से उखाड़ सकती हो क्या ? ट्विंकल ने उस छोटे से पौधे को देखकर कहा- ‘ हां क्यों नहीं। यह तो बहुत आसान है , ऐसा बोलकर उसने पौधे को थोड़े से प्रयास से ही जड़ से उखाड़ दिया।
महात्माजी ने ट्विंकल को शाबासी दी। महात्माजी ट्विंकल के साथ धीरे-धीरे उस बगीचे में आगे बढ़ते रहे। आगे बढ़ते हुए एक थोड़ा बड़े पौधे की तरफ ट्विंकल का ध्यान दिलाते हुए कहा की-‘ बेटी क्या तुम इस पौधे को भी उसके जड़ से उखाड़ सकती हो ? ट्विंकल को अब इस काम में काफी मजा भी आ रहा था।
वह बोली कि इस पौधे को भी मैं जड़ से उखाड़ सकती हूँ। इस बार ट्विंकल को यह काम करने में पहले की तुलना में थोड़ा ज्यादा जोर लगाना पड़ा , परंतु ट्विंकल ने थोड़ी कोशिश करने के बाद उस पौधे को भी जड़ से उखाड़ कर महात्मा जी को दिखा दिया। महात्मा जी ने ट्विंकल को फिर से इसके लिए शाबाशी दी।
महात्माजी और ट्विंकल बगीचे में इसी तरह घूमते रहे। घूमते -घूमते महात्मा जी एक नीम के बड़े पेड़ के नीचे पहुंचकर रुक गए। महात्मा जी उस नीम के पेड़ की तरफ दिखाते हुए ट्विंकल से कहा कि -‘ क्या तुम इस पेड़ को भी जड़ से उखाड़ सकती हो ? ट्विंकल ने पेड़ को पहले देखा और फिर पेड़ के मोटे तने को पकड़ कर जोर से हिलाने का प्रयास करने लगी।
ट्विंकल काफी कोशिश कर रही थी कि किसी तरह से इस पेड़ को उखाड़ दिया जाए , परंतु वह पेड़ तो काफी मजबूत था। लाख प्रयास करने के बाद भी ट्विंकल उस पेड़ को उखाड़ने में असफल रही। वैसे भी वह पेड़ काफी बड़ा और मोटा था। उसे उखाड़ना बिल्कुल ही असंभव था।
अब महात्मा जी ने ट्विंकल को समझाया कि- ‘ देखो बेटी , तुम इस पेड़ को अपना पूरा दम-ख़म लगाकर भी जड़ से उखाड़ नहीं पायी। इसी तरह किसी भी बुरी आदतों के साथ बिल्कुल ऐसा ही होता है। जब हमारी बुरी आदत नई-नई होती है तो एक छोटे से पौधे की तरह ही होती है जिसे हम काफी आसानी से उखाड़ सकतें हैं या उस आदत को छोड़ सकते हैं।
परन्तु जैसे ही धीरे-धीरे हमारी बुरी आदतें पुरानी हो जाती है तो वह उस बड़े से नीम के पेड़ की तरह हो जाती है , जिसे उखाड़ना संभव नहीं होता है और उस पुरानी बुरी आदतों को छोड़ना भी संभव नहीं हो पाता है।
महात्मा जी का समझाने का यह तरीका ट्विंकल को अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि , बुरी आदतों को शुरू- शुरू में हीं छोड़ देना ज्यादा आसान होता है। अब ट्विंकल ने अपने मन में यह संकल्प कर लिया था कि वह अपनी बुरी आदतों को अपनी इच्छा शक्ति से धीरे-धीरे करके उसे अवश्य छोड़ देगी।
लालची लोमड़ी की कहानी :Short Story In Hindi Motivational
बहुत समय पहले की बात है। गर्मी का मौसम था। एक जंगल में लोमड़ी काफी भूखी थी और भूख से बेहाल होने के कारण खाने की तलाश में जंगल में इधर-उधर घूम रही थी। जंगल में खाने की तलाश में घूमते हुए उसे एक छोटा सा खरगोश मिला। लोमड़ी ने उस खरगोश को अपने पंजों में पकड़ लिया लेकिन वह खरगोश बहुत छोटा था उसे लोमड़ी की भूख मिटाने वाली नहीं थी।
लोमड़ी ने यह सोचकर उस खरगोश को छोड़ दिया कि इतने छोटे से खरगोश से उसका कुछ होने वाला नहीं। फिर कुछ देर जंगल में भटकने के बाद लोमड़ी को एक पेड़ की ओट में एक हिरण घास चरता हुआ नजर आया। वह हिरण मोटा – ताजा था उसके रंग को देखकर लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया।
वह छुपते छुपाते हिरण के नजदीक पहुंची और हिरण को पकड़ने के लिए तेज दौड़ लगा दी। लोमड़ी अपनी पूरी ताकत और पूरी रफ्तार के साथ हिरण का पीछा कर रही थी लेकिन हिरण भी काफी तेज दौड़ रहा था। लोमड़ी चाह कर भी इस उसको नहीं पकड़ पायी , और हिरण उसकी नजरों से ओझल हो चुका था।
अब तो लोमड़ी भी काफी थक चुकी थी। थकान के काम वह और शिकार नहीं कर पाई। उसनर मन में सोचा कि क्यों न लौटकर खरगोश के पास ही चला जाए, जहां उसने खरगोश को पकड़ कर यह सोचकर छोड़ दिया था कि कितना छोटा खरगोश से उसका पेट भरने वाला नहीं है।
यह सोचकर लोमड़ी फिर से उसी रास्ते पर चल दी जहां उसे खरगोश मिला था। उस रास्ते पर बहुत तलाश करने पर भी लोमड़ी को वह खरगोश कहीं नजर नहीं आया। खरगोश तो अब वहां से जा चुका था अब वह सुरक्षित अपने घर के अंदर पहुंच चुका था। अब लोमड़ी निराश होकर अपने घर की ओर लौट पड़ी यह सोचतें हुए कि काश वह उस समय उस छोटे से खरगोश को खाकर कुछ समय के लिए अपना भूख मिटा पाती।
नवी वार्ता:- बच्चों के लिए छोटी कहानियाँ
नवी वार्ता: प्रेम कहानियां
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