Bodh katha in hindi small काफी रोमांचक कहानियों में से है जो हर उम्र के पाठकों का मनोरंजन करने , उन्हें प्रेरणा देने और उनमें अच्छे-अच्छे संस्कार पैदा करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह कहानी एक प्रेरणादायक बोध कथा है, जिसे पढ़कर बच्चे मनोरंजन करते हुए कुछ अच्छी बातें भी जल्दी सीख सकतें हैं।
नींद वाली कहानी भी हमारी एक महत्वपूर्ण एवं अद्भुत संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उन्हें सपनों की निराली दुनिया में ले जाकर उनके मन – मस्तिष्क में संतुष्टि प्रदान करतीं हैं । ऐसी कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं ताकि कहानी सुनते – सुनते बच्चे नींद में सो जाएँ और उस कहानी का नायक उनके सपनों में आकर उनकों मनुष्य जीवन का जरुरी पाठ भी सिखाता रहे।
आजकल Bodh katha in hindi small जैसी शिक्षाप्रद बोध कथा इंटरनेट पर काफी मात्रा में उपलब्ध भी हैं।
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Dance of Monkey and Camel : Bodh katha in hindi small

Short Bodh Katha in Hindi with Moral :- किसी एक बड़े से जंगल में बहुत सारे जंगली जानवर रहते थे। वे सभी एक साथ मिल-जुलकर रहा करते थे। उस जंगल का राजा एक ‘बब्बर शेर’ हुआ करता था था। एक बार राजा शेर सभी जंगली जानवरों का एक मीटिंग बुलाया और इस विषय में सभी जानवरों से बात किया की क्या जंगल के सभी जानवरों के बीच एक प्रतियोगिता कराया जाये ? सभी लोंगो ने मिलकर यह निर्णय लिया कि जानवरों के बीच आपस में कम्पटीशन ( प्रतियोगिता ) कराया जाय ।
राजा शेर ने सभी जानवरों को यह निर्णय और अपना यह आदेश सुना दिया कि दो दिन के बाद यह प्रतियोगिता होगी। । राजा शेर के इस आदेश पर जंगल के सभी जानवर तय समय पर एक बड़े मैदान में एक जगह इकठ्ठा हो गए , फिर सभी जानवर कम्पटीशन के लिए एक जगह लाइन बनाकर खड़े हो गए और सभी शेर का इंतजार करने लगे।
थोड़ी देर के बाद बब्बर शेर उस स्थान पर पहुंचा। शेर ने जानवरों को बारी – बारी से अपना-अपना नाच गाना और एक्टिंग आदि की प्रतिभा दिखाने को बोला। सभी जानवर अपना -अपना नाच गाना करके जंगल के राजा शेर को दिखा रहे थे। जब बंदर की बारी आए तब उसे भी अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए बोला गया।
बंदर पेड़ों पर उछल -कूद और अपनी कलाबाजियां एवं नाच गाना दिखाकर अपनी प्रतिभा सभी जानवरों को दिखाने लगा । बंदर के नाच गाना एवं कलाबाजी को देखकर सारे जानवर काफी मजे ले रहे थे। उनका खूब सारा मनोरंजन हुआ। बंदर का नाच देखकर सभी जानवर खुशी से एकदम झूम रहे थे । सभी जानवरों ने मिलकर उस बंदर की खूब सारी तारीफें की। बंदर भी काफी प्रसन्न हो गया ।
सभी जानवरों ने मिलकर बंदर को काफी सारा प्यार- दुलार भी दिया। राजा शेर ने भी अपने पास बुलाकर उस बंदर की पीठ थपथपाकर उसे शाबाशी दी और उसका मनोबल बढ़ाया । बंदर का मान- सम्मान देखकर ऊंट को अब तो काफी ईर्ष्या और जलन होने लग गयी थी । बंदर की तारीफ अब उसे थोड़ी सी भी अच्छी नहीं लग रही थी। जब ऊंट को अपनी प्रतिभा दिखाने की बारी आई तो उसने भी नाचना शुरू कर दिया।
ऊंट का नाच काफी बेतुका एवं बेढंगा था। उसका नाच देखकर सभी जानवर एक दूसरे को देखकर हंसने लगे थे। उसकी नाच किसी को भी पसंद नहीं आ रही थी। सब ने मिलकर की ऊंट की काफी सारी बुराई की। बंदर का मान -सम्मान अधिक होने के कारण ऊंट को तो उस समय बंदर के प्रति ईर्ष्या हो रही था। ऊंट ईर्ष्या से भरा हुआ था और उसी अवस्था में नाचना भी शुरू कर दिया था।
बंदर को ज्यादा सम्मान एवं प्रतिष्ठा मिलने से ऊंट को काफी जलन और ईर्ष्या हो गयी थी और ईर्ष्या में ही वह अपना नाच दिखा रहा था जिस कारण उसका नाच काफी बेढंगा और ख़राब लग रहा था। जंगल के राजा को भी यह बात समझ में आ गई थी कि ऊंट ईर्ष्या से भरा हुआ है। उसे बंदर की उपलब्धि से काफी जलन हो रही है।
जंगल के राजा ने उस ऊंट को अपने नजदीक बुलाया और उसे इस जंगल से तुरंत बाहर निकल जाने को कह दिया । यह सुनकर उसका दोस्त बंदर शेर के सामने आ गया। बंदर ने शेर से कहा कि ‘वह ऊंट को माफ़ कर दे।’ बंदर के काफी अनुरोध करने पर जंगल का राजा शेर ने ऊंट को माफ़ कर दिया। अब ऊंट काफी लज्जित हो रहा था । उसने अपने मन में कसम खायी कि अब वह अब किसी भी जानवर से ईर्ष्या नहीं करेगा।
सीख :- कहानी से यह सीख मिलती ही कि हमें किसी से ईर्ष्या एवं जलन नहीं करनी चाहिए।
गधे और धोबी की सच्चाई : Bodh katha in hindi small

यह भी एक छोटी बोध कथा in Hindi है। एक गांव में कपड़ा धोने वाला एक धोबी रहा करता था। धोबी काफी गरीब था, उसके पास एक गधा भी था। गरीब होने के कारण गधे को ठीक से खाना- पीना भी वह ठीक से नहीं दे पाता था ,जिस कारण से गधा काफी कमजोर भी हो गया था। एक दिन की बात है , वह धोबी जंगल के रास्ते शहर की ओर जा रहा था तो रास्ते में जमीन पर उसे एक मरा हुआ बाघ मिला।
पहले तो वह एकदम डर गया, फिर डरते- डरते बाघ के नजदीक पहुंचा। मरे हुए बाघ को देखकर उसे एक तरकीब सूझी। उसने सोचा क्यों न इस बाघ के पुरे खाल को उसके शरीर से बाहर निकाल ली जाये और उसे अपने गधे के ऊपर अच्छी तरह से पहना दी जाय। बाघ की खाल गधे को पहना दी जाय तो लोग गधे को बाघ ही समझेंगें और फिर पड़ोसियों एवं गांव वालों के खेतों में चरने के लिए उस गधे को छोड़ दिया जा सकता है।
गधे को बाघ समझकर गांव वाले एकदम से डर जाएंगे। डरकर गांव वाले उससे दूर ही रहेंगे। कोई भी गांव वाला अपने खेत से बाघ को बाहर निकालने या बाहर भगाने का साहस भी नहीं कर सकेगा । गधा काफी आराम से हरे- भरे खेतों का फसल पेट भर – भर कर खायेगा। फसल खा- पीकर मोटा ताजा और तंदुरुस्त हो जायेगा। यह सोचकर धोबी इसी तरह मरे हुए बाघ के शरीर पर से उसका चमड़ा अच्छी तरह से बाहर उतार लिया ।
बाघ के खाल को अपने घर लेकर आ गया। बाघ के खाल को एक दिन अपने गधे के ऊपर अच्छी तरह से बांध दिया ताकि कोई भी उसे देखे तो गधे को बाघ ही समझे । इसके बाद चुपके से उसने अपने गधे को ले जाकर गांव के खेतों में खड़ी फसल के बीच छोड़ दिया। गधा रात भर उन खेतों में चरता रहा। गांव वाले भी गधे को जब देखे तो उनको खेत में बाघ ही नजर आया। डर से कोई गांव वाले अपने खेतों में जाकर उस बाघ को भगाने का प्रयास भी नहीं किया।
अब गधा रोज पड़ोसियों और गांव वाले के खेतों में जाकर घांस खाकर काफी तंदुरुस्त और मोटा ताजा हो गया था। एक दिन की बात है , दूर कहीं गांव से एक गधा के ढेंचू- ढेंचू चिल्लाने की आवाज उस गधे को सुनाई थी। आवाज सुनकर उसने भी नक़ल किया और ढेंचू- ढेंचू करना शुरू कर दिया। जब गधा का हरे भरे घास खा कर पेट भर गया था तो गधा ने फिर से ढेंचू-ढेंचू चिल्लाना शुरू कर दिया था।
गधे के चिल्लाने की आवाज आसपास के खेतों में काम कर रहे लोगों ने भी सुन लिया। ढेंचू- ढेंचू की आवाज सुनकर गांव वाले अब समझ गए कि यह कोई बाघ नहीं है , यह तो एक गधा है , जिसके शरीर पर बाघ का खाल चढ़ाया हुआ.है। गधे की आवाज सुनकर सभी किसानों को उसकी असलियत का पता अब चल चुका था। सभी गांव वालों ने मिलकर अपने-अपने हाथों में लाठियां लेकर गधे को चारों तरफ से घेर लिया और गधे की खूब पिटाई की गयी। मार खाने से उस गधे की हालत काफी ख़राब हो गयी। अब वह धोबी के लिए किसी काम का भी नहीं रह गया था। यही है 5 बोध कथा हिंदी।
Moral of the story : हमें कभी भी किसी से अपनी सच्चाई छुपा कर नहीं रखनी चाहिए। हमें सच्चाई और ईमानदारी का पालन करना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में हमें कोई भी गलत काम नहीं करनी चाहिए , साथ ही लोगों को भी इस बारे में समझाना चाहिए।
दो मेंढकों की कहानी: Bodh katha in hindi small

दो मेंढकों की कहानी: Bodh katha in hindi small एक बार की बात है। मेंढकों का एक छोटा सा झुंड जंगल में पानी की तलाश में इधर से उधर घूम रहा था। घूमते – घूमते उनमें से दो मेढ़क गलती से एक काफी गहरे गड्ढे में गिर गया ।
उस झुण्ड के दूसरे मेंढकों ने जब उस गड्ढें में नीचे झांक कर देखा और बोले कि इस गड्ढे में इन दोनों की जान बचने का कोई उपाय ही नहीं है और कोशिश करने का भी कोई फ़ायदा भी नहीं मिलने वाला है ।
गढ़े में पड़े वे दोनो मेंढक हमेशा एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे , क्योंकि वे दोनों गड्ढे से बाहर कूदने की लगातार अपनी कोशिश कर रहे थे। वह दोनों बार-बार कोशिश करते थे लेकिन वे गढ़े से बाहर निकलने में सफल नहीं हो पाते।
लेकिन जल्दी ही एक मेंढक इस बात पर विश्वास करना शुरू कर दिया कि वह कभी भी इस गड्ढे से बाहर नहीं निकल पायेगा, इस तरह अंत में उस मेंढक की मृत्यु हो जाती है।
परंतु वहीं दूसरा मेंढक अपनी कोशिशें लगातार जारी रखता है। लगातार दिन गुजरते गए और एक दिन ऐसा भी आया कि आखिरकार वह मेढ़क उस गढ़े से बाहर निकल ही जाता है।
सम्बंधित प्रश्न
प्रश्न : बोध कथा का मतलब क्या है ?
वैसी कथा जिससे बच्चों में नैतिकता , ईमानदारी , आपसी सहयोग एवं अच्छे कार्यों का बोध हो उसे बोध कथा कहतें हैं।
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