Desi Kahani in hindi जो एक दिल छू लेने वाली कहानी है , जो सभी उम्र के पाठकों को सही शिक्षा देने और उसमें अच्छे-अच्छे संस्कार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा हमारी अन्य कहानी भी एक महत्वपूर्ण कहानी संग्रह है ,जो बच्चों को बेहतर परवरिश में काफी सहायक है। इस प्रकार की Desi Kahani in hindi बच्चों को सपनों की निराले दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करती है।
यह कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती है। कहानी सुनते-सुनते बच्चे सो जाते हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित होकर उनको जीवन का जरुरी पाठ में पढ़ाता है। आजकल Desi Kahani in hindi ऐसी जैसी कहानी ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध भी है।
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राजा और ऋषि :Desi Kahani in hindi
किसी राज्य में एक राजा रहता था। उसका नाम सूरजमल सिंह पठान था। उसका काफी बड़ा राज्य था। राज सिंहासन उसको अपने पूर्वजों से विरासत में मिली हुई थी। वह राजा पूरी तरह से सिर्फ ऐशो -आराम में ही दिन – रात रहा करता था। वह दिन – रात अपने महल में नाच गाना, गीत संगीत एवं मुजरा का आयोजन किया करता और हमेशा उसमें ही डूबा रहता था। देश के राजपाट और शासन की किसी तरह की चिंता उसको नहीं थी, इस कारण राज्य के मंत्री -दरवारी मिलकर धीरे-धीरे उसके राज का कीमती खजाना चोरी – छुपे अपने दोनों हाथों से चोरी कर रहे थे और राजा को इस बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था।
राजा के महल में काफी वर्षों से एक रसोईया ( बाबर्ची ) काम करता था जो पुरे राजपरिवार के लिए विशेष खाना बनाने का काम किया करता था , जिसका नाम रामदीन था। वह काफी ईमानदार व्यक्ति था। रामदीन इस बात से हमेशा काफी दुखी रहता था कि कैसे इस नगर को बर्बाद होने से बचाया जाए। वह सोचा करता था कि राजा को इसकी कोई भी चिंता आखिर क्यों नहीं है।
एक दिन वह अपने घर पर इसी बात पर चिंता कर रहा था तभी उस रसोइया की बेटी जिसका नाम सुनिधि था, वह अपने पिताजी को परेशान देखकरअपने पिताजी से पूछी तो रसोइए ने अपनी बेटी को अपने मन की सारी बात बता दी । तब सुनिधि ने अपने पिता को इसका एक उपाय भी बताया । बेटी द्वारा बताया गया तरकीब सुनकर वह ( रामदीन ) बहुत खुश हुआ।
अगले दिन वह राजा सूरजमल पठान के दरबार में उपस्थित हुआ। महाराज ने उससे पूछा कि ‘ आज हमारे रसोई में क्या-क्या खाना बनने वाला है। ‘ रसोईया ने कहा कि महाराज आज जो रसोई में खाना बनने वाला है ,उसमें किसी प्रकार का मसाला नहीं डाला जाएगा। राजा ने कहा कि रामदीन आप हमारे पिता जी के समय से ही महल में रसोईये का काम कर रहे हो और आपको अच्छी तरह से पता है कि मुझे चटपटा और मसालेदार खाना पसंद है।
राजा ने कहा , आप पुराने रसोईया कर्मचारी हैं इसलिए इसका मतलब यह नहीं है कि आप जो चाहेंगे सो करेंगे। अगर आपसे रसोई का प्रबंध ठीक से नहीं हो पा रहा है तो आप मेरे महल से दूसरे जगह जा सकते हैं। रामदीन ने कहा कि ,अच्छा है महाराज मैं तो चला जाऊंगा लेकिन आपको यह बताना जरुरी समझ रहा हूं कि ‘ आखिर ऐसी बात मैंने आपको क्यों कहा।’
रामदीन ने राजा को बताया कि आपके राज में कोई भी कृषक- किसान मसाले की खेती नहीं कर रहा है,क्योंकि मसाला का फसल पैदा करने में बहुत खर्च लगता है और उसके बाद मसाले बाजार में अच्छे दाम पर बिकतें भी नहीं है , साथ ही आपके मंत्रियों और दरवारियों को मुफ्त में उसे मसाला देना पड़ता है। जिस कारण मसाले की कीमत काफी महंगा हो गया है।
राजा ने कहा कि ऐसा क्यों हुआ। रामदीन ने इसका जवाब दिया कि महाराज हमारे राज में जनता को भोजन तक नसीब नहीं हो रहा है। वह मसाले कहां से डालें। थोड़ा बहुत जो भी मसाले पैदा होते हैं वह हमारे राजमहल में ही चले आते हैं या फिर आपके मंत्री के घर जो बिना पैसे दिए ही मसाले किसानों से जबरदस्ती ले लेते हैं इस कारण बाजार में मसाले है ही नहीं।
अगर है भी तो इतने महंगे हैं कि आपके खजाने में काफी कम धन दौलत रहा गया है तथा हमारी जनता भी काफी गरीब हो गयी हैं। राजा ने कहा की ऐसा कैसे हो गया। रामदीन ने जवाब दिया महाराज आपका खजाना करीब -करीब खाली हो चुका है। राजमहल के सभी दरबारी -मंत्री मिलकर उसे खाली करने में लगे हुए हैं।
आपको इस बात की कोई भी चिंता नहीं है। आपका खजाना पूरी तरह से खाली होने में बहुत कम वक्त बचा है। आज तो खाने में मसाले बंद हो रहे हैं आगे से खाना भी मिलना बंद पड़ सकता है।
राजा को रामदीन की बातें पूरी तरह से अब समझ में आ चुकी थी। उसने कहा कि आज से हमारे महामंत्री और कोषाध्यक्ष सभी का काम आप ही करेंगे और सभी मंत्रियों को जेल में डाल दिया जाता है। यह सुनकर सभी मंत्री दरबार में उपस्थित हुए और राजा से पैर पड़कर माफी मांगने लगे। तब रामदीन ने कहा महाराज इन मंत्रियों और दरबारियों को एक मौका और दे दिया जाए।
अगर यह काम अपना सही से करेंगे तो सजा इनकी सजा माफ कर दी जाए। यही है Desi Kahani in hindi
शिक्षा:- एक समझदार और बुद्धिमान व्यक्ति सभी को मुसीबत से निकाल सकता है, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार एक रस्सी कुएं में गिरे हुए व्यक्ति को उस कुएं से बाहर निकाल लेती है।
राजा भरत और छोटी चिड़िया: Desi Kahani in hindi
काफी समय पहले की एक बातहै। सुल्तानपुर नाम का एक राज्य था ,जहां एक भरत नाम का राजा राज करता था। एक वर्ष उसके राज में काफी बड़ा आकाल पड़ गया। जनता भूखों मरने लगी। राजा ने सोचा कि किसी को परेशानी ना हो इसके लिए अपना सरकारी खजाना का मुँह खोल दिया। इसके अतिरिक्त अगल-बगल के राज्यों से अनाज ,सब्जियां ,फल एवं जरूरी सामान मंगा कर अपने जनता को दिया। इन सबके कारण सरकारी खजाना खाली हो गया। राजा भरत और उसकी रानी भानुमति इस बात को लेकर काफी चिंतित रहने लगे।
एक दिन वहअपने गुरु ऋषि के पास गए जो वहीं पर उनके राज्य में ही एक जंगल में फुस की कुटिया बनाकर रहा करते थे। राजा ने अपने राज्य की परेशानियों को उनके सामने रखी। सारी बातों को सुनकर गुरु ने कहा कि मैं तुम्हें एक छोटी चिड़िया ( Bird ) देता हूँ। यह चिड़िया जब तक तुम्हारे पास रहेगी ,तुम्हारे देश में खुशी हाली बनी रहेगी। जब भी तुम्हें कोई निर्णय लेना हो तो इस चिड़िया से पूछ कर लेना, हां एक बात का ध्यान रखना तुम्हारे अलावा यह चिड़िया किसी दूसरे आदमी के सामने वह कुछ भी नहीं बोलेगी।
राजा और रानी दोनों उस छोटी चिड़िया को लेकर अपने महल की ओर चल देते हैं, तभी उनके गुरु ऋषि जी ने राजा से कहा, राजन इस चिड़िया को हमेशा खुश रखना , नहीं तो तुम्हारा राज कभी खुश नहीं रह पाएगा। राजा -रानी चिड़िया को अपने राजमहल में ले जाते हैं। आज के बाद राजा जो भी निर्णय लेता है, वह उस चिड़िया से पूछ कर ही लेता है। राजा अकेले में ही चिड़िया से बातचीत किया करता और चिड़िया जो भी बताती उसके अनुसार ही राजा अपना निर्णय लिया करता था।
देखते ही देखते उसका राज बहुत ज्यादा खुशहाल हो गया। यह देखकर राजा -रानी बहुत ही खुश हुए। परन्तु अब राजा को एक डर सताने लगा था कि अगर कल इस चिड़िया को कोई शत्रु चुरा कर ले गया तब क्या होगा ? यह सोचकर राजा उस चिड़िया को कहीं बाहर नहीं आने देता था। उसे एक बड़े से पिंजरे में हमेशा दिन -रात बंद करके रखता था। राजा के महल में चिड़िया जहां रहती थी उसके आसपास किसी व्यक्ति को जाने की इजाजत बिलकुल नहीं थी।
एक दिन रानी ने राजा को कहा कि महाराज, छोटी चिड़िया आजकल काफी उदास रहती है ,और उसने दो दिन से कुछ खाया -पिया भी नहीं है। राजा घबराकर उस चिड़िया के नजदीक आया और चिड़िया से कुछ बातचीत करना चाहा। लेकिन चिड़िया कुछ भी नहीं बोली। अब राजा अपने राज के संबंध में कोई भी चीज चिड़िया से पूछता तो चिड़िया चुप रहा करती थी। कोई भी जवाब नहीं देती थी। अब राजा उस चिड़िया को लेकर अपने गुरु के कुटिया में पहुंच गया। गुरु ने कहा राजन, इस नन्ही सी चिड़िया को जिसने तुम्हारे राज्य को खुशहाल बना दिया है , उसे इस तरह से कैदियों की तरह पिंजरे में क्यों रखें हो ?
तुमने इसकी आजादी छीन ली है। राजा ने कहा लेकिन, मुनिवर मैं इसे अपने शत्रुओं से भी बचा कर रखना चाह रहा हूं। गुरु ने कहा नहीं राजा , तुम इस चिड़िया को खोने से डर रहे हो। क्योंकि अब तुम अपने बलबूते कोई भी निर्णय करने के लायक नहीं रहे।
अब राजा को सारी बात समझ में आ चुकी थी। राजा कहता है ,गुरु जी मुझे अपनी भूल का एहसास हो चुका है। अब मैं इस चिड़िया की मदद से अपना राज पाठ नहीं चलाऊंगा। मैं खुद निर्णय लूंगा। राजा वापस अपने राज की देखभाल करने के लिए अपने महल आ जाता है और आज से वह नन्ही चिड़िया पिंजरे से आजाद होकर अपनी मर्जो से इधर – उधर फुदकते रहती है।
शिक्षा:- किसी भी जीव -जंतु की आजादी छीन लेने से उसकी प्रतिभा खत्म हो जाती है। जीवन में हमेशा आजाद पंछी की तरह उड़ान भरो। चिंता भी एक प्रकार की कैद ही है ,इससे बाहर निकल कर देखो रास्ते स्वयं तुम्हें नजर आने लगेंगे।
कुम्हार और उसका गधा : Desi Kahani in hindi
एक बर्तन बनाने वाला कुम्हार था। उस कुम्हार के पास एक गधा था। कुम्हार अपने गधे से बहुत सारा काम लेता था। गधा काफी परेशान हो चुका था और उसे खाना – पीना भी कम ही मिलता था। सवेरे सवेरे उठकर कुम्हार उस गधे पर बैठकर मिट्टी लाने के लिए नदी के तरफ चल देता था।
एक जगह मिट्टी खोदकर मिट्टी को बोरे में भरकर उसे गधे पर लाद देता था और फिर अपने घर की ओर चला करता था। कुछ दिन बाद ही बरसात का मौसम शुरू हो गया। कुम्हार नेअपनी पत्नी से कहा कि ‘अब तो बरसात शुरू हो गई है ,अब तो मिट्टी मिलेगी नहीं अपना बर्तन भी नहीं सूखेंगे। अब इस गधे का क्या करें? 4 महीने तक से बैठा कर खिलाना पड़ेगा। यह मेरे बस की बात नहीं है।
कुम्हार की पत्नी ने कहा , आप इस गधे को लेकर चिंता क्यों करते हो ?बरसात के पूरे मौसम में इस गधे को लेकर बाजार में जाकर खड़े हो जाओ। बाजार में व्यापारी अपना सामान एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए सवारी खोजते रहतें हैं और यह गधा समान होने के लिए काफी अच्छा साधन है। इस गधे पर सामान ढोकर आपको पैसे भी मिलेंगे और इसके खाने का भी व्यवस्था हो जाएगा।
अगले दिन वह कुम्हार गधे को लेकर गांव के बाजार में पहुंच जाता है। वहां से व्यापारियों से उनका सामान ढोने की बात तय करके गधे पर लड़ता है और दूसरी जगह पहुंचा देता है। खाली समय में गधा आसपास गधे के साथ खड़ा रहता है। एक गधा दूसरे गधे से कहता है कि, ‘भाई मेरा मालिक तो बहुत काम करवाता है। क्या तुम्हारा भी मालिक तुमसे अधिक काम करवाता है।
दूसरा गधा उससे बोलता है कि ‘भाई सभी के मालिक एक ही जैसे हैं। लेकिन मैं तो अपना दिमाग लगाकर अपने मालिक को बराबर बेवकूफ बनाता रहता हूं। मालिक मेरे पीठ पर कल नमक का बोरा लाद दिया था और मुझे नदी के रास्ते जाना था। मैंने नदी में उतरा और नदी के पानी में जाकर बैठ गया। नमक का बोरा धीरे-धीरे हल्का हो गया और इस तरह से मेरा काम हो जाता है।
कुम्हार के गधे को भी उसकी बात समझ में आ गई। कुम्हार ने ने अगले दिन अपने उस गधे की पीठ पर कपड़ों का एक बोझ ला दिया। गधा नदी मेंचला गया। कुछ समय बाद गधा जैसे ही पानी से बाहर निकाला तो देखा कि मेरी पीठ पर लड़ा सामान काफी भारी हो गया है। कपड़े पूरी तरह से पानी में भीग गए थे।
कपड़ों के भींग जाने के कारण वे काफी भारी हो गए थे। गधे को खड़ा नहीं हो पा रहा था। किसी तरह से गधे की जान बची। जब गधे का मालिक यह सब देखा तो उससे काफी गुस्सा आ गया और उसने अपने गधे को खूब मार मारा। इस तरह गधा बहुत परेशान हो गया था। अगले दिन उसने दूसरे गधे को अपनी सारी आपबीती बतायी।
यह सुनकर दूसरा गधा ज्यादा हंसने लगा। उसने कहा कि तुम गधा होने के साथ-साथ तुम बहुत बड़ा मूर्ख भी है। यह सुनकर कुम्हार के गधे को काफी खराब लगा। उसने सोचा कि इसकी बातों में आकर मेरी पिटाई भी हो गई ,मुझे ज्यादा बोझ भी उठाना पड़ा और यह मुझ पर हंस भी रहा है।
इसे तो अच्छा है कि अपना काम मैं ईमानदारी से करूं, यही मेरे लिए ठीक रहेगा। यही है Desi Kahani in hindi
शिक्षा :- मित्रों हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपना कोई भी काम ईमानदारी से सही करनी चाहिए। मेहनत से कभी भी घबराना नहीं चाहिए और दूसरे की सिख बिना सोचे समझे नहीं माननी चाहिए।
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