घमंडी ऊंट की कहानी| Panchatantra Stories For Kids in hindi

Panchatantra Stories For Kids in hindi एक रोचक और ज्ञानवर्धक कथा है , यह छोटी सी कहानी कई सांस्कृतिक और आकर्षक पात्रों के साथ में सीख एवं संदेश के साथ एक मोहक कहानी प्रस्तुत करती है।

panchatantra stories for kids in hindi जैसी दिल छू लेने वाली कहानी पाठकों को शिक्षित करने , प्रेरणा देने और उनमें अच्छे संस्कार पैदा करने में काफी सहयोग करती हैं।

नींद वाली कहानियां एवं पंचतंत्र की 5 कहानियां भी एक महत्वपूर्ण कथा संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उन्हें सपनों की निराली दुनिया में ले जाकर उनको संतुष्टि प्रदान करतीं हैं । ये   कहानियां रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं ,और जो उनके सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित होकर उनकों जीवन का जरुरी पाठ भी पढ़ाती हैं।

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घमंडी ऊंट की कहानी : Panchatantra Stories For Kids in hindi

short panchatantra stories for kids in hindi : एक बार की बात है। किसी गांव में एक कारीगर रहता था। वह काफी बुद्धिमान एवं कुशल कारीगर था। वह अपने पेशेवर काम में भी काफी होशियार था , परंतु वह अत्यंत ही गरीब व्यक्ति था। उसके पास एक टूटा -फूटा और पुराना पुश्तैनी खपरैल का घर था। घर के अलावा उसके पास कुछ भी जमीन -जायदाद नहीं थी। इस कारण वह काफी मेहनत किया करता था , किंतु उसे बहुत ही कम पैसे मिलते थे। वह किसी तरह से भी अपना परिवार बहुत अच्छे से नहीं चला पाता था।

गरीबी और मज़बूरी से परेशान होकर एक दिन वह गांव छोड़कर किसी दूसरे जगह शहर में जाकर नया काम -धंधा शुरू करने के बारे में सोचने लगा। कुछ हफ्तों के बाद कारीगर अपना गांव छोड़कर दूसरे शहर में काम करने के लिए चल दिया।

वह जंगल के रास्ते किसी बड़े शहर की ओर जा रहा था तो तभी उसे जंगल के एक पुराने बरगद पेड़ के पास पेड़ की छाँव में एक ऊंटनी ( मादा ऊंट ) बैठी हुई दिखाई दी । ऊंटनी के नजदीक उसका एक छोटा सा प्यारा बच्चा भी था जो उस समय अपनी माँ ऊंटनी का दूध पी रहा था। वह ऊंटनी काफी कमजोर और बीमार भी लग रही थी। कारीगर ने जब ऊंटनी की बुरी हालत देखी तो उसे ऊंटनी और उसके बच्चे पर काफी दया आ गई।

कारीगर किसी तरह ऊंट और उसके बच्चे को अपने साथ लेकर वापस अपने गांव वापस आ गया। अब उसने जंगल की जड़ी बूटियां से ऊंटनी की बीमारी का इलाज करना शुरू कर दिया था। साथ ही जंगल के कोमल -कोमल पत्तों और हरे- हरे घास को वह ऊंटनी और उसके बच्चे को खिलाया करता था।

अच्छी देखभाल के कारण ऊंटनी कुछ सप्ताह के बाद पूरी तरह से ठीक हो गई थी। अब उस कारीगर के अपने बच्चे उसी ऊंटनी का दूध पीकर बड़े हो रहे थे। कारीगर ने ऊंटनी के बच्चे के गर्दन में एक छोटी सी पीतल की घंटी भी बांध दी थी जिससे की ऊंटनी का वह बच्चा कहीं भी इधर-उधर जाता तो उसकी घंटी की आवाज से कारीगर को पता चल जाता था कि वह किधर घूम रहा है। गर्दन में घंटी बंधीं होने के कारण उस ऊंट के बच्चे का नाम ‘ घण्टुन ‘ पड़ गया था।

ऊंटनी का बच्चा ‘ घण्टुन ‘ धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था। बड़ा होकर वह कारीगर के दुकान का सामान भी अब ढोने लगा था। अब कारीगर की आर्थिक स्थिति भी धीरे सुधरकर अच्छी हो रही थी। कारीगर दूसरे गांव जाकर एक और ऊंटनी खरीद कर अपने घर ले आया था।

कुछ ही महीनों में कारीगर के पास बहुत से ऊंट- ऊंटनी तथा उसके बच्चे हो गए थे। कारीगर अपने यहां काम करने के लिए कुछ मजदूर भी लगवा लिए थे। कुछ पैसे की आमदनी हो जाने के कारण कारीगर ने एक नया घर भी बनवा लिया था।

कारीगर उस ‘घण्टुन’ से काफी प्यार करता था जिसके गले में घंटी बंधी हुई थी। इस कारण से अब वह घण्टुन काफी घमंडी हो गया था। वह यह सोचता था कि अन्य ऊंट -ऊंटनी की तुलना में उसे विशेष महत्व दिया जाता है और वह दूसरे ऊंट से अलग है। वह अपने आप को एक विशेष ऊंट समझने भी लगा था।

घण्टुन जब घास और पत्ते खाने के लिए जंगल में जाता था तो अपने घमंड के कारण वह दूसरे ऊंट से अलग -थलग हो जाता था। इस प्रकार ‘घण्टुन’ के घमंड के कारण बाकी ऊंट भी उससे अलग -थलग ही रहने लगे थे।

‘घण्टुन’ को दूसरे कई बड़े ऊंटों ने उसे कई बार समझाया कि यह घंटी अपने गर्दन से तुरंत उतार दे , इस घंटे की आवाज के कारण जंगल के हिंसक जानवर को दूर से ही पता चल जाता है की कोई जानवर आस – पास घास चर रहा है , लेकिन ‘घण्टुन’ को इन सारी बातों की कोई परवाह ही नहीं था।

वह सोचता था कि उसका मालिक उससे बहुत ज्यादा प्यार करता है , इस कारण दूसरे सभी ऊंट उससे ईर्ष्या और जलन की भावना रखतें हैं और इसी कारण उसे घंटी को उतार देने के लिए कह रहें हैं। ‘घण्टुन’ के घंटे की आवाज से जंगल का शेर भी अब इस ताक में रहने लगा था कि कब अकेले वह ऊंट उसे दिखाई दे और वह उसका शिकार करें।

‘घण्टुन’ के ऊंटों के झुंड में रहने के कारण शेर को उस पर हमला करने का मौका नहीं मिल पा रहा था। एक दिन की बात है ‘घण्टुन’ अन्य ऊंटों से अलग होकर जंगल में घास और पत्ते खा रहा था। सभी ऊंट जंगल से वापस गांव में आ चुके थे परंतु ‘घण्टुन’ अपनी मस्ती और अहंकार के कारण जंगल में सबसे अलग -थलग चल रहा था।

वह दूसरे ऊंटों से काफी दूर तथा अलग हो गया था। शेर ने ‘घण्टुन’ के गले में बंधी घंटी की आवाज सुन लिया था और उसका पीछा करने लगा था। शेर ने देखा की ‘घण्टुन’ अकेले ही जंगल में घूम रहा है। शेर को भी तो इसी मौके की तलाश काफी दिनों से थी। वह छिपकर पीछे से ‘घण्टुन’ पर हमला कर दिया और ‘घण्टुन’ को मार कर उसे अपना शिकार बना लिया।

अपने घमंड के कारण ही ‘घण्टुन’ की जान नाहक ही चली गई।

चींटी और कबूतर :Animal stories for kids in hindi

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एक दिन की बात है। काफी गर्मी पड़ रही थी। एक चींटी पानी की खोज में इधर- उधर भटक रही थी। इधर-उधर घूमते हुए कुछ देर के बाद वह एक तालाब के नजदीक पहुंच गयी, और तालाब के किनारे पानी पीने लग गयी। पानी पीकर जब चींटी ऊपर चढ़ना चाहती थी तभी उसका पैर फिसल गया और वह तालाब के गहरे पानी में चली गई और डूबने लगी।

इस तालाब के पास एक पेड़ पर एक कबूतर बैठा हुआ था जो यह सब कुछ देख रहा था। चींटी जब भी तालाब से निकलने का प्रयास करती तो वह बार-बार फिसल जाती थी और गहरे पानी में फिर से चली जाती थी। वह बाहर निकलने का बराबर प्रयास कर रही थी परंतु वह काफी कोशिश करने के बाद भी तालाब से बाहर निकल नहीं पा रही थी।

यह सब देखकर कबूतर को एक तरकीब सूझी। उसने जल्दी से पेड़ का एक पत्ता तोड़ लिया और उस पत्ते को उस जगह पानी में गिरा दिया जहां चींटी डूब रही थी। चींटी किसी तरह उस पत्ते पर चढ़कर बैठ गई। पत्ता बहते-बहते थोड़ी देर के बाद तालाब किनारे दीवाल तक आकर रुक गया।

अब चींटी तालाब की दिवार के सहारे तालाब के पानी से बाहर निकल गयी। अब चींटी सुरक्षित थी और काफी खुश थी। उसने उस कबूतर का दिल से धन्यवाद किया। तभी उस चींटी ने देखा की एक शिकारी उस कबूतर के ऊपर जाल फेंकने की कोशिश कर रहा है। चींटी को यह समझते देर न लगी की कबूतर की जान खतरे में है।

उसने देख लिया था कि अब शिकारी अपना जाल गिराकर कबूतर को अब पकड़ने ही वाला है। चींटी तेजी से दौड़कर शिकारी के बिलकुल नजदीक पहुंच गयी और उसने शिकारी के पैर में काफी जोर से काट लिया। शिकारी को अपने पैर पर काफी दर्द महसूस हुआ और शिकारी अचानक जोर से चिल्लाया।

शिकारी की चिल्लाने की आवाज सुनकर कबूतर की नजर शिकारी पर पड़ गयी। कबूतर भी पूरा माजरा अब समझ चूका था और वह तुरंत वहां से उड़कर ऊँचे आसमान में चला गया। इस तरह चींटी की होशियारी और बुद्धिमानी की वजह से कबूतर की जान आज बच गयी थी ।

conclusion

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