Akbar Birbal Ki Kahani in Hindi एक रोचक और ज्ञानवर्धक कथा है , जो महत्वपूर्ण सच्चाइयों को दिखाने एवं बच्चों को कुछ सीखाने के लिए हिंदी भाषा को एक माध्यम के तौर पर प्रयोग करती है। यह छोटी सी कहानी कई सांस्कृतिक और आकर्षक पात्रों के साथ सीख एवं संदेश के साथ एक सम्मोहक कहानी प्रस्तुत करती है।
बच्चों को छोटी-छोटी कहानियां पढ़ने के बहुत सारे फायदे हैं। यह कहानी Akbar Birbal Ki Kahani in Hindi उनके जीवन में अमूल्य पाठ सीखाने का एक शानदार जरिया भी है। अब तो नैतिक कहानियां , प्रेरणादायक कहानी, खोजकर पढ़ना पहले से काफी आसान भी हो गया है।
नींद वाली कहानियां एक महत्वपूर्ण कहानी संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उन्हें सपनों की निराली दुनिया में ले जाकर उनको संतुष्टि प्रदान करतीं हैं ।
ये कहानियां रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं ,और जो उनके सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित होकर उनकों जीवन का जरुरी पाठ भी पढ़ाती हैं। Akbar Birbal Ki Kahani in Hindi जैसी कहानियां ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध भी हैं।
यहाँ हम अकबर- बीरबल की रोचक कहानी के बारे में जानतें हैं।
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अकबर बीरबल की कहानियां : Akbar Birbal Ki Kahani in Hindi
यहाँ अकबर- बीरबल की तीन कहानी दी गयी है, जो अकबर बीरबल की कहानी छोटी सी है।
बीरबल समस्या समाधान कर्ता : akbar birbal kahani
akbar birbal short story : राजा अकबर के दरबार में कई सारे दरबारी थे। उनमें से कुछ दरबारी राजा के शाही सलाहकार बनना चाहते थे। एक दिन वे सभी अकबर के दरबार में आकर राजा अकबर से बोले कि- ” हजूर , हम लोग भी आपके दरबार के शाही सलाहकार बनना चाहते हैं।
उन दरबारियों की इस बात पर बादशाह ने कहा -‘ कोई बात नहीं , लेकिन मेरे शाही सलाहकार बनने के लिए आप लोगों को एक परीक्षा पास करनी होगी , और आप लोगों में से जो व्यक्ति परीक्षा में पास कर जाएगा उसे इस दरबार का शाही सलाहकार बना दिया जाएगा। राजा की इस बात पर वे दरबारी काफी खुश हो गए।
अब राजा अकबर ने अपनी कमर में पहना हुआ कपड़ा खोल दिया और उसी जगह फर्श पर लेट गया। उन दरबारियों से बादशाह ने कहा कि -‘ इस कपड़े से सिर से पाँव तक पूरी तरह उनको ढ़क दी जाये। अब वे लोग राजा अकबर को उस कपड़े से पूरी तरह से ढ़कने की काफी कोशिश की लेकिन कभी पैर बाहर रह जाता था तो कभी सिर बाहर निकल आता था।
उसी समय बीरबल राज दरबार के अंदर दाखिल हुए। राजा अकबर ने बीरबल से भी यही प्रश्न पूछा कि -‘ क्या वे उन्हें सिर से पैर तक इस कपड़े से पूरी तरह ढ़क सकते हो । बीरबल थोड़ी देर के लिए कुछ सोचा। फिर बादशाह अकबर से काफी नम्रता से कहा – ‘ हजूर , क्या आप अपने दोनों घुटनों को थोड़ा ऊपर खींचकर मोड़ सकते हैं ?
राजा ने बिल्कुल ऐसा ही किया और फिर बीरबल ने उन्हें उस कपड़े से सिर से पांव तक पूरी तरह से ढ़क दिया। यह एहसास करते हुए वे सभी दरबारी जो शाही सलाहकार बनने आए थे , उस परीक्षा में असफल हो गए थे। वे सभी दरबारी चुपचाप राजा के दरबार से निकल कर बाहर चले गए और फिर कभी उन्होंने राजा के शाही सलाहकार बनने के बारे में नहीं सोचा।
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सवाल के लिए सवाल : Akbar Birbal stories for kids
एक दिन की बात है। सम्राट अकबर दरबार में अपने सिंहासन पर बैठे हुए थे और दरबार चल रहा था। अकबर को एक शैतानी सूझी। उसने बीरबल से पूछा कि -‘ बीरबल क्या तुम बता सकते हो कि तुम्हारी पत्नी के हाथों में कितनी चूड़ियां हैं ? बीरबल ने कहा कि-‘ जी नहीं हुजूर। मैं ठीक -ठीकनहीं बता सकता हूं कि पत्नी की हाथ में कितनी चूड़ियां हैं?’
अकबर ने कहा- ‘ क्यों तुम ऐसा क्यों नहीं कर सकते? तुम प्रतिदिन अपनी पत्नी का हाथ देखते होगे फिर भी तुम यह ठीक-ठाक नहीं बता सकते हो कि तुम्हारी पत्नी के हाथ में कितनी चूड़ियां है? यह कैसे ? अकबर ने कहा।
बीरबल ने फिर सम्राट से कहा कि -‘ हजूर मेरे साथ चलिए हम दोनों बगीचे में चलते हैं , महाराज वहीं मैं आपको बताऊंगा कि मैं आपके सवालों का जवाब क्यों नहीं दे पा रहा हूँ। अकबर और बीरबल दोनों बगीचे में चले गए। वहां पहुंचकर एक छोटी सी सीढ़ी के पास पहुंचे जो बगीचे की ओर अंदर तरफ चली जाती थी।
बगीचे में पहुंचने के बाद बीरबल ने सम्राट अकबर से पूछा -‘ हजूर , इस छोटी सी सिढ़ी पर आप रोज चढ़ते -उतरते हैं, अब आप यह बता सकते हैं कि इसमें कितनी सीढ़ियां हैं ? यह सुनकर अकबर मुस्कुराए और फिर उन्होंने चूड़ियों वाला सवाल कभी नहीं किया।
मूर्ख ब्राह्मण नैतिक कहानी Akbar Birbal stories for kids
एक बार एक महामूर्ख ब्राह्मण सम्राट अकबर के दरबार में आया। वह ब्राह्मण दरबार के बुद्धिमान दरबारी बीरबल से मिलना चाहता था। वह चाहता था कि लोग उन्हें भी ‘पंडित’ कहकर संबोधित किया करें क्योंकि वह समझता था कि पंडित का मतलब विद्वान व्यक्ति होता है।
लेकिन दुर्भाग्य से वह ब्राह्मण पढ़ा लिखा बिलकुल नहीं था। बीरबल ने यह कहते हुए उसे समझाने की कोशिश की थी कि एक कम पढ़ा लिखा व्यक्ति को पंडित का नाम देना सर्वथा अनुचित है, और इसी कारण से उन्हें पंडित कहना ठीक नहीं रहेगा। लेकिन फिर भी उस मूर्ख व्यक्ति ब्राह्मण की पदवी को किसी कीमत पर पाना चाहता था।
अब बीरबल ने कुछ तरकीब आजमाने के बारे में सोचने लगा। बीरबल के पास एक शानदार विचार आया। उसने कहा कि क्योंकि ब्राह्मण कम पढ़ा लिखा व्यक्ति था , इसलिए उसे किसी भी व्यक्ति पर गाली और पत्थर फेंकना चाहिए जिसने उसे उस उपाधि से संबोधित करने का साहस किया हो।
बीरबल ने अपने सभी सेवकों को अपने पास दरबार में बुलाया और उनको यह आदेश दिया कि इस अशिक्षित ब्राह्मण को पंडित कहना शुरू करो। यह सुनकर ब्राह्मण काफी प्रसन्न हो गया , लेकिन जैसे ही दरबार के नौकर एवं नौकरानियों ने उन्हें पंडित- पंडित कहकर पुकारना शुरू किया तो वह ब्राह्मण क्रोधित हो गया और वह जोर-जोर से नौकरों को गालियां देने लगा।
नौकरों ने फिर भी उस व्यक्ति को पंडित -पंडित कहना जारी रखा अब उस कथित पंडित को धैर्य नहीं रहा। उसने कुछ पत्थर उठाया और उन नौकरों की तरफ फेंकना शुरू कर दिया। यह सारा माजरा बीरबल देख रहा था और यह बीरबल की सलाह से ही सब कुछ हो रहा था।
मूर्ख व्यक्ति लगातार उन नौकरों और नौकरानी को गाली दे रहा था तथा उन पर पत्थर फेंक रहा था। दरबार के सभी लोग यह देख रहे थे कि अब ब्राह्मण हर किसी व्यक्ति के ऊपर पत्थर फेंकता है जो उसे पंडित कह कर पुकारता है यानि कि ‘पंडित’ कहने पर वह व्यक्ति काफी भड़क जाता था।
यह देखकर दरबार के सभी लोगों उसे ‘ पंडित -पंडित ‘ कहकर चिढ़ाने लगे। अब तो वह ‘पंडित ‘ जहां कहीं भी जाता लोग उसे पंडित -पंडित कह कर चिढ़ाना शुरू कर देते थे। जल्दी ही पूरे शहर के लोग उस व्यक्ति को’ पंडित -पंडित ‘कहकर चिढ़ाने लग गए।
अब तो उस पंडित का जीवन जीना मुश्किल हो गया था। शुरू- शुरू में उसे कभी यह एहसास ही नहीं हुआ था कि लोग उसे इस तरह पंडित पंडित कहकर क्यों बुला रहें हैं , परंतु पंडित सुनकर अंदर ही अंदर वह खुश भी होता था। अपने मूर्ख हृदय से बीरबल को भी काफी धन्यवाद किया कि उसी के कहने पर लोग उसे पंडित यानि कि बुद्धिमान व्यक्ति समझ रहें हैं। .
अब तो आन पड़ी है Akbar Birbal ke chutkule: Akbar Birbal Ki Kahani in Hindi
akbar birbal short stories in hindi: सम्राट अकबर को मजाक करने की हमेशा से आदत थी। एक दिन मजाक करने की नीयत से उसने अपने नगर के सेठ- साहू कारों की लिए यह आदेश निकाला कि -‘ आज से सेठ- साहूकार को भी रात्रि के समय शहर में गश्ती- निगरानी एवं पहरेदारी करनी होगी।
राजा का यह आदेश सुनकर सभी सेठ – साहूकार बुरी तरह से घबरा गए। उनमें से कुछ सेठ एकजुट होकर बीरबल के पास पहुंचे और उनके सामने अपनी फरियाद रखी। बीरबल ने उन्हें हिम्मत बंधाया और उन लोगों को कहा कि- ‘ तुम सब को राजा का आदेश तो मानना ही पड़ेगा। ‘
तुम लोग ऐसा करो कि अपनी -अपनी पगड़ियों को अपने पैर में और अपने पजामा को सिर पर लपेटकर रात्रि के समय पूरे नगर में चिल्ला चिल्ला कर कहते फिरों की ” अब तो हम लोगों की आन पड़ी है। “
उधर सम्राट अकबर भी अपना भेष बदल कर रात में नगर में घूमने निकले हुए थे। उन्होंने सेठ-साहूकारों का यह अजीब और निराला स्वांग और पहनावा देखकर पहले तो बादशाह अकबर काफी हँसे , फिर अपने सुरक्षाकर्मियों से पूछा की -‘ यह सब क्या है ? सेठ-साहूकारों के मुखिया ने बादशाह को कहा कि -‘ जहांपनाह , हमने अपने जन्म से चीनी और तेल बेचना ही केवल सीखा है। भला हम लोग पहरेदारी क्या कर पाएंगे ?
सेठ-साहूकारों ने मिलकर राजा को कहा कि -‘ अगर इतना ही जानते होते तो लोग हमें बनिया-बनिया कहकर क्यों पुकारते महाराज ? बादशाह अकबर ने इन सब के पीछे बीरबल की ही कोई चाल समझ गए और अब उन्होंने अपना यह आदेश वापस ले लिया। इसी प्रकार की कहानियों में बीरबल की चतुराई के किस्से मशहूर हैं।
बीरबल की मृत्यु कैसे हुई?
बीरबल के चतुराई के किस्से काफी मशहूर हैं। यह माना जाता है की अकबर के साथ अफगान युद्ध में एक सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व बीरबल कर रहा था। उसी समय लड़ाई के मैदान में कहीं से एक तीर आकर बीरबल को लगा और उसकी मौत हो गयी।
बीरबल ने अकबर को क्यों छोड़ा?
एक बार अकबर ने अपने बहनोई को बीरबल की जगह पर मंत्री बना दिया गया था। इस बात से नाराज होकर बीरबल कुछ समय के लिए अकबर का साथ छोड़ अन्यत्र चला गया था।
conclusion
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