मेढ़कों की कहानी | Short moral stories in hindi for class 1

short moral stories in hindi for class 1 एक रोचक और ज्ञानवर्धक कथा है , जो जीवन की महत्वपूर्ण सच्चाइयों को दिखाने एवं बच्चों को नैतिकता सीखाने के लिए हिंदी भाषा को एक माध्यम के तौर पर प्रयोग करती है। यह छोटी सी कहानी एक चुनौती पूर्ण सीख एवं संदेश के साथ एक सम्मोहक कहानी प्रस्तुत करती है।

नींद वाली कहानियां भी एक महत्वपूर्ण कहानी संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उन्हें सपनों की निराली दुनिया में ले जाकर उनको संतुष्टि प्रदान करतीं हैं । ये   कहानियां रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं ,और जो उनके सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित होकर उनकों जीवन का जरुरी पाठ भी पढ़ाती हैं।

आजकल short moral stories in hindi for class 1 with moral जैसी कहानियां ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध भी हैं।

यहाँ हम Kids moral stories in hindi के बारे में जानतें हैं।

मेढ़कों की कहानी : Short moral stories in hindi for class 1

moral stories in hindi with pictures : एक समय की बात है , एक गांव के तालाब में बहुत सारे मेढ़क रहा करते थे। एक बार उस गांव में भयंकर अकाल पड़ गया। चारों तरफ सूखा- ही सूखा था। सभी मेंढ़क पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे। मेढ़कों का दल पानी की तलाश में एक गांव से दूसरे गांव में भटक रहा था।

भटकते भटकते उनमें से दो मेढ़क एक काफी गहरे गड्ढे में फिसल कर गिर गए। उस दल के बाकी सभी मेढ़क गड्ढे में गिरे हुए दोनों मेढ़कों को देखकर काफी चिंता करने लगे। वह गड्ढा वाकई काफी गहरा था। मेढ़कों का दल गड्ढे के ऊपर जमा था।

उन्होंने अपने दोनों दोस्त मेढ़क को कहा कि ‘ यह गड्ढा काफी गहरा है , तुम दोनों इस गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाओगे। तुम कितना भी कोशिश करो इस गड्ढे से बाहर नहीं आ सकते।’ गड्ढे में गिरे हुए दोनों मेढ़क गड्ढे से बाहर निकलने का काफी प्रयास कर रहे थे , परंतु वे गड्ढे से बाहर निकल नहीं पा रहे थे।

गड्ढे के ऊपर बाकी मेढ़क उन दोनों मेढ़कों को देख रहे थे। वे दोनों मेढ़क जब भी बाहर निकलने के लिए प्रयास करते तो ऊपर वाले मेंढक उन दोनों को बोलते की ‘ तुम दोनों बेकार कोशिश कर रहे हो , यह गड्ढा काफी गहरा है , तुम इस गड्ढे से बाहर कभी नहीं निकल पाओगे।’

गड्ढे के अंदर दोनों मेढ़कों में से एक मेंढक ने यह बात अपने दिमाग में बैठा लिया कि वह उस गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाएगा और उसने अब बाहर निकलने का प्रयास करना भी बंद कर दिया और अंत में थक -हार कर उस मेढ़क की गड्ढे में ही मौत हो गई।

लेकिन उस गड्ढे में दूसरा मेंढक जो था ,अपना प्रयास गड्ढे से बाहर निकलने का लगातार कर रहा था। वह बार-बार जोर लगाकर ऊंचा छलांग लगाता। इसी तरह छलांग लगाते- लगाते एक बार वह मेंढक गड्ढे से बाहर आखिरकार आ ही गया। ऊपर खड़े सारे मेंढक यह देखकर काफी आश्चर्यचकित हो गए। इतने बड़े गड्ढे से आखिर एक मेंढक कैसे बाहर आ सकता है।

परंतु प्रयास करने पर वह मेंढक गड्ढे से बाहर आ चुका था। वह मेंढक जो गड्ढे से बाहर आ चुका था वह कान से बहरा था , वह किसी भी तरह का आवाज सुनने के काबिल नहीं था। इस कारण जो भी मेंढक गड्ढे से बाहर खड़े होकर बार-बार यह कह रहे थे कि ‘ तुम कभी इस गड्ढे से बाहर नहीं आ पाओगे , गड्ढा बहुत गहरा है ‘ और बार-बार उसे हतोत्साहित करते थे।

एक मेंढक बहरा होने का कारण उन मेढ़कों का बात नहीं सुन पाता था और वह लगातार बाहर निकलने का प्रयास करता रहा , करता रहा और आखिरकार वह गड्ढे से बाहर निकलने में सफल हो ही गया।

उस बहरे मेढ़क को यही लग रहा था कि बाहर वाले मेंढक उसे बाहर निकलने के लिए उत्साहित कर रहे हैं और वह विश्वास के साथ उसने अपना हिम्मत जारी रखा और अंत में ऊंची छलांग लगाकर गड्ढे से बाहर आने में सफल हो गया।

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मिट्टी का फ्रिज : Moral stories in hindi for class 8

Short moral stories in hindi for class 1
Short moral stories in hindi for class 1

Moral stories in hindi with moral : एक गांव में मिट्टी का बर्तन बनाने वाला एक कुम्हार रहता था ,जो मिट्टी के बर्तन बनाकर उसे बाजार में बेचा करता था। उस कुम्हार का एक बेटा भी था जिसका नाम ‘ मोहन ‘ था। मोहन भी अपने पिता के साथ ही मिट्टी के बर्तन बनाने में सहयोग करता था।

मोहन की मां नहीं चाहती थी कि उसका बेटा मोहन भी इसी काम में लगा रहे। वह चाहती थी कि उसका बेटा शहर जाकर कोई दूसरा काम करें और अच्छा पैसा कमाए। मोहन की शादी भी होने वाली थी। इस कारण उसकी मां काफी चिंतित रहा करती थी। वह चाहती थी कि मोहन कुछ बड़ा काम करें और बर्तन बनाने के काम में न लगे।

कुछ दिनों के बाद मोहन की शादी तय हो गई। उसका घर पूरी तरह से सजा हुआ था। शादी में गांव वाले सभी आए हुए थे। ‘ संजना ‘ नाम की सूंदर लड़की से मोहन का विवाह संपन्न हो गया।

एक दिन मोहन की मां ने मोहन की पत्नी संजना से कहा कि वह अपने पति को यह बात समझाएं कि वह शहर जाकर कोई बड़ा काम करें। अगले दिन संजना अपने पति मोहन के पास जाकर उससे कहा की -‘ आप शहर में जाकर कोई बड़ा काम करें और ज्यादा पैसे कमाकर घर ले आएं। इस मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचने से ज्यादा पैसे नहीं आ पाते हैं।

मोहन ने अपनी पत्नी को कहा कि ‘ वह मिट्टी के बर्तन ही बनाएगा , उसे इस काम में काफी मजा भी आता है। मोहन के इस लगन को देखकर संजना समझ चुकी थी कि उसके पति को यह काम बहुत ज्यादा पसंद है।

एक दिन संजना मोहन के हाथों से बने हुए एक लंबी गर्दन वाली सुराही -मटके को देखकर मोहन की बहुत तारीफ की और कहा कि आप इतना सुंदर मटके बनाते हो। इस मटके को बाजार में ले जाकर बेच आयो तो काफी पैसे मिल सकते हैं। यह सुनकर मोहन काफी उत्साहित हो गया।

उसने बहुत सुंदर-सुंदर मिट्टी के मटके बनाये और उस पर अपनी चित्रकारी भी की जिससे मटका काफी सुंदर लगने लगा था। वह अपना मटका बेचने के लिए मेले में ले गया , उसके सभी मटके शाम तक पूरी तरह बिक चुके थे। मटके बिक्री के काफी पैसे भी उसके पास आ चुके थे।

वह अपने घर आया और अपने पिता को सारे पैसे दे दिए। उसके पिता इतने सारे पैसे देखकर काफी खुश हुए। रात में मोहन ने अपनी पत्नी संजना से पूछा कि अगर हम मिट्टी के फ्रिज बनाएं यानी की मिट्टी की ऐसी अलमारी जिसमें कोई भी चीज रखने पर जल्दी खराब नहीं हो तो ऐसे फ्रिज की बाजार में काफी मांग हो सकती है।

ऐसे मिट्टी के फ्रिज बनाकर बेचने पर हम ज्यादा से ज्यादा पैसे भी कमा सकते हैं , क्योंकि इस फ्रिज को बिजली की भी जरूरत नहीं होगी। अगले दिन मोहन चार-पांच मिट्टी के फ्रिज बनाकर एक गांव के मेले में ले जाकर बेचनें के लिए रखता हैं। आसपास के लोगों को यह अलग तरह की मिट्टी की अलमारी लगती है।

गांव वाले यह समझ जाते है की यह बिना बिजली से चलने वाला फ्रिज काफी अच्छा है। मोहन की सारी अलमारी ( फ्रिज) काफी अच्छे दामों में बिक जाती है। मेले में कुछ प्रेस रिपोर्टर भी आए हुए थे। वह उस अलमारी (फ्रिज) का फोटो खींचकर उसे न्यूज़ पेपर में भी छाप दिया।

अब तो मोहन की मिट्टी की फ्रिज के काफी संख्या में अगल बगल के गांव से आर्डर आने लगे थे। वह अपने घर पर बहुत सारा मिट्टी का फ्रिज बनाया जो काफी अच्छे दामों में आसपास के गांव और शहरों में बिक्री की गयी। अब मोहन काफी पैसे कमाने लगा था।

मोहन की मां भी यह सब देखकर काफी खुश थी। वह मन ही मन सोच रही थी कि वह मोहन को शहर भेजने का दबाव बनाकर काफी गलती की। मोहन गांव में ही रहकर अच्छा पैसा कमाने लग गया था। मोहन की मां ने अपनी बहू संजना को भी दिल से धन्यवाद किया की उसी के कारण यह सब संभव हुआ था।

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conclusion

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