Bachcho ki story in hindi कहानी एक दिल छू लेने वाली कहानी है , जो सभी उम्र के पाठकों को सही शिक्षा देने और उसमें अच्छे संस्कार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा हमारी अन्य कहानी भी एक महत्वपूर्ण संग्रह है ,जो बच्चों को बेहतर परवरिश काफी सहायक है। यह कहानी बच्चों को सपनों के निराले दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करती है।
यह Bachcho ki story in hindi कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती है। कहानी सुनते-सुनते बच्चे सो जाते हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित होकर उनको जीवन का जरुरी पाठ में पढ़ाता है। आजकल Bachcho ki story in hindi जैसी हिंदी कहानी ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध भी है।
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छोटी मछली की दुनियाँ : Bachcho ki story in hindi
Bachcho ki story in hindi शुरू करतें हैं।
एक छोटा सा जंगल था । जंगल के बीच में एक तालाब हुआ करता था , जिसमें ढेर सारी तरह – तरहं की मछलियां अपने परिवार के साथ रहा करती थीं। उस तालाब में टुन्नी नाम की एक मछली भी रहती थी। टुन्नी बड़ी ही नटखट मछली थी। हमेशा कुछ – कुछ शैतानी किया करती थी। उसकी माँ उससे बड़ी परेशांन रहती थी।
एक दिन टुन्नी मछली ने अपनी माँ को कहा की वह तालाब से बाहर निकलकर खेलने जाएगी। वह हमेशा तो पानी के अंदर ही पड़ी रहती है। टुन्नी अब अपनी माँ से अब जिद करने लग गयी कि वह गहरे पानी से बाहर जाकर खेलेगी जहाँ पानी कम होता है। टुन्नी की मम्मी ने उसे समझाया की जहाँ कम पानी होतें हैं उस जगह शिकारी अपना जाल बिछाकर मछली पकड़ने के लिए बैठे रहतें हैं।
रात में जब शिकारी वापस चले जायेंगे तब चलकर थोड़ा देर ऊपर खेल लेना। टुन्नी अपनी माँ से कहती है की यह शिकारी भला क्या होता है ? टुन्नी की माँ कहती है की शिकारी जाल बिछाकर मछलियों को पकड़ने के लिए पानी से बाहर बैठे रहतें हैं और हम जैसी मछलियों को पकड़कर अपने घर ले जाकर पकाकर खा जातें हैं। इस लिए अभी पानी से बाहर जान खतरा है। रात में चुपचाप पानी से बाहर चलकर तुम्हे दिखा देंगें। अभी जाकर कोई दूसरा काम करो।
टुन्नी उस समय तो अपनी माँ की बात मन जाती है परन्तु बहार जाकर खेलने की अपनी जिद नहीं छोड़ पति है। टुन्नी जैसे ही देखती है की उसकी माँ दूसरे किसी काम में व्यस्त हो गयी वह चुपके से तालाब के ऊपर पहुँच जाती है। वह देखती है कि ऊपर नीला आसमान है , चिड़ियों की चहचहाहट उसे सुनाई पड़ती है। आस पास धीमी धीमी हवाएं चल रही होती है। यह सब देखकर टुन्नी का मन बड़ा ही खुश हो जाता है। वह अब सोचती है की कितना सूंदर यह दुनिया है।
अब वह फिर से पानी के अंदर चली जाना चाहती है ताकि माँ को पता नहीं चल सके की वह बाहर गयी थी। टुन्नी जैसे ही पानी के अंदर जाना चाही तभी देखती है की उसका शरीर आगे बढ़ ही नहीं रहा है। उसका पूरा शरीर एक जाल में फंस चूका था। तभी शिकारी की भी आवाज उसकी कानों में सुनाई पड़ती है की आज मजा आ गया। ऐसा बोलकर शिकारी अपना जाल खींचने लगता है टुन्नी मछली का दिमाग उस समय काफी तेजी से काम करने लगता है।
वह शिकारी से कहती है की हमें अकेला क्यों ले जाना चाहते हो। मैं अकेले जिन्दा कैसे रहूंगी। शिकारी कहता है की मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता हु। मुझे तो ढेर सारी मछलियां चाहिए। टुन्नी ने कहा मैं अपने साथियों को बुलाकर ले आती हुँ , तुम मेरे अलावा मेरे साथियों को भी ले चलो तो मैं ख़ुशी – ख़ुशी तुम्हारे साथ चलूंगी।
शिकारी ने कहा की अगर ऐसी बात है तो जाओ अपने साथियों को लेकर फिर वापस आ जायो। शिकारी ने टुन्नी को जाल में से बाहर निकाल दिया और टुन्नी वापस पानी के अंदर चली गयी। पानी के अंदर जाकर सबसे पहले अपनी माँ के गले लग जाती है। वह अपनी माँ को सारी बातें बतला देती है। टुन्नी कहती है कि माँ मै आज से तुम्हारी हरेक बात को मानूगीं ।
तुम जो भी कहोगी मै हमेशा वही काम करुँगी। आज टुन्नी किसी तरह किस्मत से उस शिकारी के जाल से बाहर निकल आयी थी। शिकारी पानी के ऊपर बैठकर शाम तक टुन्नी मछली का इंतजार करता ही रह जाता है। अंत में निराश होकर अपने जाल के साथ अपने घर चला जाता। है। यही तो है Bachcho ki story in hindi.
सीख : -हमें हमेशा अपनों से बड़े लोगों की बात माननी चाहिए। अपने माता – पिता की बातों को कभी भी हलके में नहीं लेनी चाहिए वरना आपके साथ भी टुन्नी मछली जैसा हश्र हो सकता है। समझे।
रूबी की कहानी : Bachcho ki story in hindi
Bachcho ki story in hindi की अगली कहानी शुरू करतें हैं।
बहुत समय पहले की एक बात है। एक रूबी नाम की छोटी से लड़की थी। रूबी कक्षा 4 में पढ़ती थी। पढाई में वह काफी होशीयार लड़की थी , परन्तु वह बहुत ही शर्मीली लड़की भी थी। उसके स्कूल के बच्चे उसे शर्मीली कहकर पुकारते थे।स्कूल के बच्चे जब भी रूबी को शर्मीली कहते तो उसे गुस्सा तो बहुत आता था ,परन्तु शर्म के कारण वह कुछ बोल नहीं पाती थी। रूबी के घर एक दिन उसकी बुआ आ हुई थी। उसकी बुआ के साथ बुआ के बच्चे भी आये हुए थे। बुआ के बच्चे भी रूबी को शर्मीली कहकर ही बुलाने लगे। शर्मीली कहकर वे आपस में हँसते भी थे।
हालाँकि रूबी की बुआ अपने बच्चों को ऐसा कहने के लिए मना भी करती और उन्हें डांटती भी थी , फिर भी रूबी अपने शर्मीली स्वभाव के कारण कुछ भी बोल नहीं पाती थी। रूबी की बुआ उसके लिए ढेर सारी चॉकलेट्स भी ले आयी थी। रूबी को ढेर सारा चॉकलेट्स भी बुआ की ओर से मिला , रूबी ने अपने बुआ को इसके लिए thanku भी कहा।
रूबी की बुआ के बच्चों ने मिलकर उसके ढेर सारा टॉफी खा भी लिया था , फिर वह शर्म से कुछ बोल नहीं पायी थी। वह चुपचाप अपने कमरे में जाकर अकेले में रोया करती थी। वह रो रही थी तभी उस कमरे में उसकी बुआ आए गयी। बुआ ने रूबी को रोते हुए देख लिया था ।
रूबी की बुआ रूबी को अपने गले लगा लेती है, फिर रूबी से रोने का कारण भी पूछती है। रूबी कुछ बताती तो नहीं है पर उसकी बुआ सब कुछ जान जाती है की रूबी क्यों रो रही है। बुआ कहती है, ‘अरे बेटा तुम कितनी अच्छी लड़की हो। पढ़ने में भी काफी तेज हो। रूबी की बुआ ने रूबी को समझाते हुए कहा की तुम जान बूझकर लोगो से शर्माती हो।
तुम लोगों से खुल कर मिला -जुला करो। धीरे – धीरे तुम्हारा शर्म दूर हो जायेगा। तुम किसी से कम नहीं हो। लोगो को अपना दोस्त बनाओ। लोगो से बात किया करो। किसी के चिढ़ाने पर कोई प्रतिक्रिया मत दिया करो। धीरे धीरे बच्चे तुम्हे चिढ़ाना बंद कर देंगे। यह सब समझते हुए बुआ ने रूबी को फिर से अपने गले लगा लिया था।
कुछ दिनों के बाद बुआ अपने बच्चों के साथ अपने घर चली गयी। रूबी अपनी बुआ के सीखे रास्ते पर चलना शुरू कर चुकी थी। वह अब किसी के कोई भी बात का बुरा नहीं मानती और उसने शर्माना भी बिलकुल छोड़ दिया था। धीरे धीरे बच्चे भी रूबी को चिढ़ाना बंद कर दिए। अब रूबी एक आत्मविश्वास से भरपूर लड़की बन चुकी थी।
कुछ महीनों के बाद फिर से बुआ जी रूबी के घर पर आयी हुई थी। इस बार जब उसने रूबी को देखा तो एकदम से अवाक् रह गयी। रूबी अब बिलकुल ही बदल चुकी थी। वह लोगो से खुलकर बातें किया करती थी। उसकी चेहरे पर अब शर्म नाम की कोई चीज ही नहीं रह गयी थी। बुआ ने फिर से रूबी को अपने गले लगा लिया था। यही है Bachcho ki story in hindi.
सीख : हमें आत्मविस्वास से भरपूर रहना चाहिए। कभी भी शर्माना नहीं चाहिए।
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