बच्चों के लिए प्रेरक कहानियां | Moral stories in hindi for class 10

Moral stories in hindi for class 10 एक दिल छू लेने वाली कहानी  जो सभी उम्र के पाठकों को सही शिक्षा देने और उसमें अच्छे संस्कार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा हमारी  अन्य कहानी  भी एक महत्वपूर्ण संग्रह है ,जो बच्चों को बेहतर  परवरिश  काफी सहायक है। यह कहानी  बच्चों को सपनों के निराले दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करती है। 

यह Moral stories in hindi for class 10 जैसी कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती है। कहानी सुनते-सुनते बच्चे सो जाते हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित  होकर उनको जीवन का  जरुरी  पाठ में पढ़ाता  है। आजकल ऐसी Moral stories in hindi for class 10 जैसी कहानी ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध  भी  है।

बच्चों के लिए प्रेरक कहानियां : Moral stories in hindi for class 10 

रवि एक गरीब घर का  लड़का था। उसके पिता का नाम हरिकिशन था। हरिकिशन शहर में कहीं बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के कार्य में एक मजदूर का काम करता था , परंतु जो भी वह अपने मजदूरी के पैसे कमाता था उस पैसे से जुआ और शराब  पीकर  पैसे खत्म कर देता था। जुए और शराब की उसे काफी बुरी लत थी। जिस कारण घर में हमेशा पैसे की कमी बनी रहती थी।

रवि १२ साल का एक छोटा बच्चा होने के बावजूद शहर में ट्रैफिक पोस्ट के पास लोंगो की गाड़ियों की शीशे साफ करता और गाड़ी मालिक जो भी कुछ पैसा उसे देता   वह पैसा लेकर अपने घर आ जाता था। रवि की मां काफी बीमार रहा करती थी। उसके इलाज के लिए दवा  का  भी  इंतजाम करने का जिम्मा  रवि   का ही था। रवि को अपने पैसे छुपा कर भी रखना पड़ता था। उसके पिता आकर उसके रुपए छीन लिया करते थे। 

रवि को एक दिन  काफी जोरों की भूख लगी हुई थी।  वह ट्रैफिक पोस्ट के आस- पास घूम रहा था।  भूख  के कारण  उससे चला नहीं जा रहा था। वह एक मिठाई दुकान के पास पहुंचा जहां  दुकान का मालिक सिंघाड़ा और जलेबी  बना   रहा था। वह दुकान के पास यूं ही खड़ा हो गया।  उसके पास खाने के पैसे तो नहीं थे।  वह भूख से बेहाल था। 

थोड़ी देर के बाद  होटल  मालिक की नजर उस रवि पर पड़ी। होटल का मालिक जब देखा कि एक लड़का उसकी दुकान के पास ऐसे ही खड़ा है, तो उस लड़के को डांट  के भगाना  चाहा। रवि ने  दुकान मालिक को कहा कि मुझे  बहुत भूख लगी है, मुझे कुछ खाने को दे दो , इसके बदले जो भी काम तुम कहोगे  जैसे बर्तन धोना, झाड़ू लगाना ,मैं  वह काम अच्छे से कर दूंगा। होटल मालिक ने कहा कि तुम अभी बच्चा है, तुमसे काम करवाने में बहुत रिस्क है।  सरकारी अधिकारी बच्चों को कहीं काम करते देखकर कानूनी कार्रवाई तथा फाइन किया करते हैं। 

होटल मालिक रवि को डांट कर वहां से भगा देता है ।  रवि  उस दुकान से थोड़ा हटकर  सड़क के किनारे ही एक बिजली के खंभे के पास खड़ा हो गया और   लगातार  दुकान की ही तरफ देख रहा था ,क्योंकि उसे जोरों की भूख लगी थी।  दुकान में  गरम-गरम सिंघारा  और जलेबी छन रहे थे , उसकी खुशबू चारों ओर फैली हुई थी।  वह दुकान काफी अच्छी चलती थी।  दुकान पर लोगों की भीड़ हमेशा बनी रहती थी।

रवि सड़क किनारे वैसे ही खड़ा रहा। तभी देखा कि दुकानदार का नौकर  एक बड़े बर्तन  में सिंघाड़ा ले जा रहा था तो उसमें से दो  सिंघाड़ा नीचे  जमीन पर गिर गया। यह देखकर दुकान का मालिक अपने नौकर को काफी डांटा। अगर उस समय  दुकान में ग्राहक नहीं रहते तो होटल का मालिक जमींन पर गिरे हुए सिंघाड़े को वापस  बेचने के लिए दुकान में रख देता , परंतु  उस समय उस दुकान पर ग्राहकों की काफी ज्यादा – भीड़ भाड़ थी। 

दुकान के  मालिक ने अपने  दुकान के अंदर से  एक नौकर  को बुलाया और कहा कि  देखो , दूर खड़े उस लड़के को जमीन पर गिरा हुआ सिंघाड़ा उठाकर उसे दे दे। दुकानदार का नौकर ने वैसा  ही किया। रवि को आज खाने के लिए दो सिंघाड़े मिल गए थे।  किसी तरह से उसका पेट  भर गया था। वहां से वह निकल कर फिर से वह  फिर से ट्रैफिक पोस्ट पर चला गया।  आज उसे कल ₹25 ट्रैफिक पोस्ट पर मिले थे। 

वह पैसे लेकर अपने  घर आया तो देखा कि उसकी मम्मी बुरी तरह से खांस रही थी।  वह अपनी मां के पास बैठ गया और पूछा की मां कैसी तबीयत है ? मैं तेरी खांसी की दवा लेकर आता हूं। उसकी मां ने उससे पूछा कि तुमने कुछ खाया पिया की नहीं ?अगर कुछ पैसे लाया है तो बाजार से कुछ  खरीद कर ले आ  मैं तेरे खाने के लिए  कुछ बना देती हूँ।  रवि  ने कहा कि मां बाजार में मैं कुछ खा लिया था। मुझे भूख नहीं है। 

वह अपनी मां का दवा लाने बाजार चला गया।  बाजार से दवा खरीद कर लाया और मां को दवा खिलाया।  तभी उसके पिता  मेवालाल जी शराब के नशे में घर के अंदर दाखिल होतें हैं। आते ही रवि को गाली देते हुए  उसने कहा ‘ साला , आज कितना  कमा  कर  लाया है।  रवि डर  से अपने पॉकेट से ₹20 निकाल कर दे देता  है। वह कहता है , पिताजी यही पैसा आज मैंने कमाया है।  रवि के पिता उसके पैसे ले लिए।  फिर  उसके पिता ने रवि को कहा कि यह ₹20 से नहीं होगा तुम्हें ₹50 प्रतिदिन कमा  कर लाना होगा। 

 रवि का बाप  रवि का पैसा लेकर घर से बाहर निकल गया।  रवि का बाप  रोज शराब पीता और जुआ खेलता था।  रवि और उसकी माँ का जीवन इसी तरह से चल रहा था।  रवि  रोज  कुछ कमा कर लाता और उसका बाप  हर रोज आकर उससे पैसे छीन लिया करता था।  एक दिन की बात है , रात काफी  हो गई थी ,पर रवि का बापू अभी तक घर वापस नहीं आया था।  रवि सोच रहा था कि शराब पीकर  कहीं फुटपाथ पर सो गया होगा।  पूरी रात उसका बापू घर नहीं लौटा। 

अगले दिन सवेरे आसपास के लोग चर्चा कर रहे थे कि रवि का पिता का रात में भयंकर एक्सीडेंट हो गया है  और सरकारी अस्पताल में पड़ा है। रवि जाकर अपनी मां को बताया।  रवि की  मां ने कहा कि ‘ हो सकता है शराब के नशे में कोई गाड़ी से  धक्का  लग गया होगा।  तुम जाकर अस्पताल में देखो। रवि अस्पताल जाने का सोच ही रहा था तभी उधर से सरकारी अस्पताल का  एंबुलेंस उसके घर के पास पहुंचा।

एम्बुलेंस में से  उसके पिता की लाश गाड़ी से  उतारकर गाड़ी वाले वापस अस्पताल चले जातें है। गांव वाले और आसपास के लोगों ने मिलकर चंदा कर कर उसके पिता का अंतिम संस्कार किया।  रवि को लग रहा था कि वह अपने पिता के मौत पर मातम बनाए या खुश हो। उसके पिता शराब और जुए  में पूरी तरह बर्बाद हो गए थे। उसके पिता के कारण ही उसके घर की हालत और उसकी मां की हालत काफी खराब हो गयी थी।

रवि सोच रहा था किचलो अब मेरे पैसे मेरी मां के इलाज में खर्च हुआ करेंगे। धीरे-धीरे रवि के घर की स्थिति सुधरती  गई। बड़ा होकर रवि एक दुकान खोलकर कमाने लग गया।  धीरे-धीरे उसका दुकान अच्छा चलने लगा और आगे चलकर वह एक व्यापारी बन गया। उसके पास काफी पैसे आ गए थे। रवि काफी उदार प्रवृति का भी था।  हमेशा जरूरतमंदों की मदद किया करता था।

गौर करने वाली बात यह है की बचपन में जिस होटल के मालिक ने रवि को अपने होटल से भगा दिया था, वह सेठ  भी  अब रवि से उधार में पैसे की मदद लिया करता था।  रवि की  मां  अब रवि की  शादी के लिए उसपर  दबाव बनाने लगी थी ।  अपनी  मां के कहने पर रवि एक अच्छी लड़की देखकर  शादी कर लिया।  आगे चलकर  उसके दो छोटे-छोटे बच्चे भी हुए। अब रवि अपनी मां और अपने बाल- बच्चों के साथ काफी सुखी पूर्वक से रहने लगा था। यही है Moral stories in hindi for class 10.

हिरण और जंगली कुत्ता:Moral stories in hindi for class 10 

काफी समय पहले की एक बात है। एक जंगल में एक हिरन रहता था। वह अपनी सुंदरता पर बड़ा घमंड करता था। एक दिन की बात है वह एक तालाब में पानी पी रहा था। पानी पीते हुए उसने पानी में अपने परछाई दिखाई दी। अपनी परछाई को देखकर हिरन बहुत खुश हुआ और जब अपनी पतली – पतली टांगों को देखा तो काफी उदास भी हो गया। वह सोचने लगा भगवान ने मेरे साथ अन्याय किया है। मुझे इतनी पतली टांगे आखिर भगवान में क्यों बना दिया।

इस बार जंगल में शिकारी कुत्ते कहीं से घूमते हुए आ गए थे। शिकार की खोज में इधर – उधर घूम रहे थे। जंलि कुत्ते को देखकर वह हिरण घबराकर दूर भागने लगा। उसकी पतली – पतली टांगे उसे भागने में काफी मदद कर रही थी। भागते – भागते अचानक उसके सिंग एक झाड़ी में बुरी तरह से फंस गए।

हिरन ने झाड़ी में से अपना सींग बाहर निकलने का काफी प्रयास किया पर उसके सींग बाहर नहीं निकल पाए। उसके कारण शिकारी कुत्ते उसको कट कट कर बुरी तरह से घायल कर दिया। अब वह मरने की स्थिति में पहुँच गया था। वह सोच रहा था कि सुंदर सिंग के कारण आज मेरी यह स्थिति हुई है। मेरी पतली टांगे तो मुझे दौड़ने में काफी मदद की थी।

 सारस और धूर्त लोमड़ी : Moral stories in hindi for class 10

एक जंगल में एक लोमड़ी और सारसरहा करते थे। उन दोनों में काफी गहरी मित्रता हो गई थी। एक दिन लोमड़ी ने कहा कि सरस मैं तुम्हें अपने घर पर दावत पर बुलाना चाहती हु। कल तुम मेरे घर भोजन करने आना। दूसरे दिन सारस अपनी दोस्त लोमड़ी के घर दावत पर पहुंचा।

दोनों ने एक दूसरे को नमस्ते कहा , फिर इधर की बातें होने लगी। उस के बाद दो बड़ी थाली में पतली खिचड़ी बनाकर ले आयी। और बोली सारस भाई आओ हम दोनों मिलकर खाना खाते हैं। लेकिन सारस की लंबी चोंच में खिचड़ी खाने में काफी परेशानी हो रही थी। वह बहुत धीरे-धीरे एक-एक दाना किसी तरह से उठाकर अपने मुंह में डाल पाता था। उसे खिचड़ी ना खाते देख लोमड़ी मन ही मन काफी खुश हो रही थी।

लोमड़ी दिखावा करते हुए सारस से कहने लगी ,क्या बात है दोस्त ? तुम्हें मेरा खाना पसंद नहीं आया क्या ? सारस अब बखूबी लोमड़ी की चल समझ चुका था। थोड़ी देर बाद लोमड़ी से बात करने के बाद उसने बोला , ऐसा करो बहन ,तुम्हारा खाना तो आज मुझे बड़ा अच्छा लगा। ऐसा करो , तुम भी कल मेरे घर खाने पर जरूर आओ। इससे मुझे खुशी होगी।

लोमड़ी ने कहां-कहां क्यों नहीं? मैं जरूर तुम्हारे घर पर दावत पर आऊंगी। सरस ने दावत में मछली पका कर रखा था और वह सारी मछलियां एक सुराही में डाल दी थी जिसका मुंह काफी पतला और लंबा था। थोड़ी देर के बाद लोमड़ी खाने के लिए आ गयी थी। दोनों ने एक दूसरे को नमस्ते कर और इधर-उधर की बातें करने लगे। सरस कहा आओ बहन ,हम दोनों मिलकर खाते हैं।

आज मैं बहुत स्वादिष्ट मछलियां बनाई है। यह बोलकर सारस सुराही के अंदर अपना मुंह डाल दिया और मछलियों का स्वाद चखने लगा। लोमड़ी का बड़ा सा मुँह उस सुराही के छोटे मुंह के अंदर जा ही नहीं पा रहा था। वह खाना खा ही नहीं पा रही थी। वह सरस का मुंह देख रही थी। सारस धीरे-धीरे मछली खा रहा था। अब लोमड़ी को समझ में आ चुका था कि सारस ने उसके साथ बिल्कुल वैसा ही किया है जैसा उसने सारस के साथ किया था। यही है Moral stories in hindi for class 10.

FAQ of Moral stories in hindi for class 10

मोरल स्टोरी क्या होती है।

वैसी कहानी जिसको पढ़ने के बाद हमें कुछ ज्ञान और शिक्षा प्राप्त होती है , साथ ही कुछ अच्छा करने की सीख भी मिलती है।

स्टोरी कैसे लिखें ?

किसी भी चीज या छोटे और बड़े जानवर के बारे में तथा किसी भी बच्चे के साथ आ सकने वाली समस्याओं के बारे में अनुमान लगाकर एक कहानी तैयार की जा सकती है। साथ ही समस्याओं के निदान के पॉइंट पर भी कहानी बनायीं जा सकती है।

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