Prernadayak Story in hindi:-एक दिल छू लेने वाली कहानी जो सभी उम्र के पाठकों को सही शिक्षा देने और उसमें अच्छे संस्कार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा हमारी अन्य कहानी भी एक महत्वपूर्ण संग्रह है ,जो बच्चों को बेहतर परवरिश काफी सहायक है। यह कहानी बच्चों को सपनों के निराले दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करती है।
यह कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती है। कहानी सुनते-सुनते बच्चे सो जाते हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित होकर उनको जीवन का जरुरी पाठ में पढ़ाता है। आजकल Prernadayak Story in hindi जैसी कहानी ऑनलाइन काफी संख्या में उपलब्ध भी है।
आइये पढ़ते हैं Prernadayak Story in hindi
दो भाईयों की मार्मिक कहानी : Prernadayak Story in hindi
राकेश अपने गांव के कच्चे रास्ते पर तेजी से चला जा रहा था। राकेश काफी जल्दी में था। उसके चाचा अवधेश शर्मा उसी रास्ते से आ रहे थे। उसके चाचा राकेश के बगल से निकल गए फिर भी राकेश का ध्यान उस और नहीं गया। अब उसके चाचा काफी गुस्से में आ चुके थे की राकेश ने उनको राम – सलाम भी नहीं किया। चाचा ने बोला हां -हां तुम्हारे पिताजी ने ऐसा करने से मना किया होगा। अरे खानदान में बटवारा क्या हो गया , तुमलोंगो का रंग ही बिल्कुल बदल गया।
राकेश बिना कुछ कहे अपने रास्ते में आगे बढ़ गया। लखन और अवधेश शर्मा दोनों सगे भाई थे। राकेश लखन का का ही बेटा था। लखन और अवधेश शर्मा दोनों भाई दिन भर अपने खेतों में मेहनत किया करते थे। फसल भी काफी अच्छी हुआ करती थी। उनके घर में हमेशा अनाज के बोरे भरे हुए रहते थे। अवधेश अपने बड़े भाई लखन की काफी इज्जत करता था। एक दिन लखन और अवधेश के पिता का देहांत हो गया।
धीरे-धीरे लखन अपने खेतों पर जाना बंद कर दिया था। सारा काम अवधेश को ही करना पड़ता था। लखन भाई में बड़ा होने के कारण सारे पैसे एवं खेतों की आमदनी का हिसाब रखा करता था। धीरे-धीरे उसने अवधेश को खेती में घाटा दिखाना शुरू कर दिया था। अवधेश शर्मा सब कुछ समझ जा रहा था , लेकिन वह बड़े भाई की इज्जत करता था। इस कारण अपने बड़े भाई को कुछ भी जवाब नहीं दे पाता।
इसी तरह से कई महीने बीत गए। अब बात बर्दाश्त से बाहर हो गया तो अवधेश ने अपने बड़े भाई लखन से पुश्तैनी जमीन जायदाद के बंटवारे की बात कर दी। उसने कहा भैया मुझे ऐसा लगता है कि पिताजी के मरने के बाद हमें अब आपस में बटवारा कर लेना चाहिए।
लखन ने कहा कोई बात नहीं। तुम्हारी इच्छा है तो हम बटवारा कर लेते हैं। लखन कहां मानने वाला था। उसने पीठ पीछे यह शिकायत भी करनी शुरू कर दी कि देखो अभी बाप के मरे हुए 1 साल भी ठीक से नहीं हुआ है और छोटे भाई को बटवारा करने की सूझ रहा है। लखन ने पूरे गांव में अपने छोटे भाई अवधेश को बदनाम कर दिया। थोड़े दिनों के बाद अवधेश ने अपने बड़े भाई को फिर से कहा कि भैया बटवारा हम कर लेते हैं।
मुझे ऐसे लगता है कि आप पैसों की हेरा फेरी कर रहे हैं। इतनी मेहनत से मैं खेतों में काम करता हूं , फसल भी काफी अच्छी होती है फसल का दाम भी काफी अच्छा मिलता है ,फिर भी खेती में आप नुकसान कैसे दिखा रहें हैं। अवधेश की बात सुनकर लखन गुस्से में आकर घर में रखा हुआ लाठी उठा लिया और कहा ” तुम मुझे चोर बता रहा है , अगर एक शब्द भी ज्यादा बोला तो मैं तुझे इस लाठी से मार मार कर तुम्हें यमलोक पहुंचा दूंगा।
तभी लखन की पत्नी पार्वती भाइयों के बीच में आ गई और अपने पति को डांटते हुए बोली कि आप क्या कर रहें हैं , हमारी शादी के समय यह अवधेश 8 साल का बच्चा था , इसको मैंने अपने बच्चों की तरह पाल – पोस किया है उसको उसका हिस्सा दे दीजिए। लखन अपनी पत्नी का बात सुनकर थोड़ा नरम हो गया और इस तरह से दोनों भाइयों के बीच पुश्तैनी घर और जमीन जायदाद का बंटवारा हो गया।
लखन अपने खेतों के लिए मजदूर रख लिया था। उसके मजदूर ही उसके खेतों में काम करते थे , जबकि दूसरी तरफ अवधेश अपने हिस्से के खेत में दिन भर अकेला ही काम करता रहता था। अवधेश की पत्नी रामवती अक्सर बीमार रहा करती थी। अवधेश की दो बेटियां रश्मि और आरती थी। इधर लखन का एकमात्र बेटा राकेश था। लखन खेतों की ओर जाने के लिए तैयार हो रहा था तो उसने देखा अवधेश के घर में आज कोई नहीं है।
जब वह खेतों में पहुंचा तो देखा कि खेत में भी अवधेश नहीं है। लखन और उसकी पत्नी पार्वती ने पूरे गांव में पता किया लेकिन उसे अवधेश और उसके परिवार के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। लखन यह सोचने लगा कि ऐसा तो नहीं है कि अवधेश सभी खेत और मकान बेचकर रातों-रात यहां से कहीं और चले गए हैं। इस तरह कुछ और महीने बीत गए।
एक दिन अवधेश अपनी दोनों बेटियों के साथ वापस अपने घर आया। पार्वती ने उसके नजदीक जाकर कहा कि क्या हुआ था भैया कहां चले गए थे। और देवंती कहां है ?यह सुनकर अवधेश की दोनों बेटियां अपनी चाची से लिपट कर रोने लगी। चाचा मां काफी बीमार थी अस्पताल में भर्ती थी। बीमारी के कारण मां की मृत्यु हो गई है। मां हम सभी को छोड़कर चली गई। यह सुनकर पार्वती का चेहरा एकदम से फक्क पर गया।
उसने अवधेश की ओर देखा और मायूस होकर बोली कि तुम मेरे बेटे के समान हो। देवंती की बीमारी की बात मुझे क्यों नहीं पता है। जब वह अस्पताल में भर्ती थी तो मुझे क्यों नहीं खबर किया। यह कहां पर पार्वती फूट फूट कर रोने भी लगी। पार्वती फिर बाहर निकली और अपने बेटे को अपने पिता को बुलाने के लिए खेतों पर भेज दी। राकेश अपने पिता को बोला कि ”पिताजी , मां और चाचा दोनों काफी रो रहे हैं जल्दी घर चलो।
लखन तेजी से घर की ओर दौड़ पड़ा। घर आकर सारी बातों को सुना तो अपने छोटे भाई अवदेश को गले लगाया। उसने कहा ” चिंता मत करो भाई ,मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। पार्वती नेदोनों बच्चियों को संभाल लिया। देवंती के मरने के बाद जब सभी विधि- विधान खत्म हो गया और मेहमान जाने लगे तो लखन ने सभी मेहमानों को रोका और कहा कि मुझे आप लोगों से कुछ बातें करनी है। मैं चाहता हूं कि हम दोनों भाइयों के बीच जो बटवारा हुआ था वह बटवारा रद्द किया जाए।
मैं अपने भाई को ऐसे परेशान नहीं देख सकता। उसने कहा कि अवधेश तू अब सारा काम संभाल। सारे पैसे भी अपने पास रख। तेरी दोनों बेटियों की शादी हम दोनों मिलकर करेंगे। अवधेश बोला ,भैया आप मुझे इन संपत्तियों से कोई मतलब नहीं है, घर से कोई लालच नहीं है। मेरी बेटियों को मां का प्यार मिल जाए, भाभी इन दोनों को संभाल ले और मैं हरिद्वार जाकर वही रहूंगा। मेरा सब कुछ संपत्ति आप रख लो।
ऐसा कैसे हो सकता है भाई। हरिद्वार जाने का समय तो मेरा हो चुका है। तुम कहीं नहीं जाएगा। तब पार्वती ने कहा , देवर जी में जब बचपन से आपको पाल सकती हूं तो क्या दोनों बेटियों को मेंरे रहते अनाथ रहना होगा। मेरी ममता पहले भी थी और आज भी है। आपने जो पैसे के हेर – फेर का इल्जाम अपने बड़े भाई पर लगाया था , वह सारा पैसा शहर के सरकारी बैंक में जमा है , आपकी दोनों बेटियों की शादीके लिए।
वह पैसा जमा कर रखा गया है। लखन ने भी अपनी पत्नी की बातों का हां में हाँ मिलाते हुए कहा। मैं चाहता था कि इन पैसों से तुम्हारी दोनों बेटियों की शादी अच्छे से अच्छे घर में कर दिया जायेगा। अवधेश अपने बड़े भाई लखन से माफी मांगते हुए उनके पैरों में गिर जाता है। भैया ,अब मुझे माफ कर दो। संपत्ति के लिए मैंने आपसे कितनी लड़ाइयां लड़ी है। लखन अपने छोटे भाई अवधेश को उठाकर गले लगा लेता है। आज से दोनों परिवार बिल्कुल एक हो चुके थे। यही है Prernadayak Story in hindi.
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