Picture Stories for Kids :-एक दिल छू लेने वाली कहानी जो सभी उम्र के पाठकों को सही शिक्षा देने और उसमें अच्छे संस्कार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा हमारी अन्य कहानी भी एक महत्वपूर्ण संग्रह है ,जो बच्चों को बेहतर परवरिश काफी सहायक है। यह कहानी बच्चों को सपनों के निराले दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करती है।
Picture Stories for Kids की यह कहानी रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती है। कहानी सुनते-सुनते बच्चे सो जाते हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में जीवित होकर उनको जीवन का जरुरी पाठ में पढ़ाता है। आजकल Picture Stories for Kids जैसी कहानी ऑनलाइन काफी संख्या में बच्चों का मनोरंजन कर रही है। यह कहानी भी Picture Stories for Kids printable है।
पिता और पुत्री की कहानी :Picture Stories for Kids
आइये , Short picture stories for kids कहानी की ओर चलते हैं।
एक छोटे से गांव में रामावतार नाम का एक आदमी रहता था। उसकी पत्नी मालती कुछ वर्ष पूर्व मर चुकी थी। उसकी एक बेटी राधा थी। राधा अब शादी की उम्र की हो चुकी थी। राधा प्रतिदिन अपने गांव के कुएं में जाकर पीने की पानी भरकर लाती थी। एक दिन गांव के कुएं पर पानी भर रही थी , तभी कुएं के पास एक बूढ़ा आदमी आया। राधा को कहा कि जोरों की प्यास मुझे लगी है , मुझे थोड़ा पानी पिला दो।
राधा ने कहा, क्यों नहीं बाबा। राधा ने अपनी बर्तन से उस व्यक्ति को पानी पिला दिया। पानी पीकर वह बूढ़ा आदमी राधा को आशीर्वाद दिया और धन्यवाद कहकर फिर वह बूढ़ा व्यक्ति अपने रास्ते चलते बना।
कुएं से पानी लेकर कुछ समय के बाद राधा अपने घर पहुंची। जैसे ही पानी का बर्तन घर में रखा तो देखी की वही बूढ़ा आदमी उसके घर में उसके पिता के नजदीक एक खाट पर बैठा हुआ है। रामअवतारजी जो राधा के पिता थे और वह बूढ़ा आदमी सेवालाल राधा के पिता जी के बचपन का मित्र था। दोनों मित्र साथ ही शहर के एक स्कूल में पढ़ा करते थे। कई सालों के बाद वह अपने मित्र राम अवतार से मिलने आए थे।
रामअवतार जी जैसे ही अपनी बेटी राधा को देखा तो बोले की, आ गई मेरी बेटी, देखो ये मेरे मित्र हैं ,इनके पैर छूयो। राधा वहां आयी तो सेवालाल ने देखा की ये तो वही लड़की है ,जिसने कुएं पर इनको पानी पिलाया था। सेवालाल ने अपने मित्र को कहा , कि यह तुम्हारी बेटी है ? बहुत ही होशियार बच्ची है। अब रामअवतार ने कहना शुरू किया ,इसकी मां तो अब इस दुनिया में नहीं है, अब सिर्फ मेरी गरीबी बची हुई है उसकी मां के मरने के बाद इसका बचपन भी छिन गया।
सेवालाल जी ने आगे कहना शुरू किये ,भाई रामअवतार तेरी बेटी है ,यह तो काफी संस्कारों वाली लड़की है। आज कुएं पर मुझे इसने अपनी हाथों से पानी पीने के लिए दिया था। इसकी जगह कोई और होता तो पहले देखता कि मैं किस जात का हूं ,वह पहले पूछती की किस जात के हो तब कहीं जाकर पानी पिलाने की सोचती।
तेरी बेटी तो बहुत सुशील है। अपनी तारीफ को सुनकर और थोड़ा शर्माकर राधा अपने घर के भीतर चली गयी। तभी उसके पिता रामअवतार जी ने आवाज लगाया , बेटी अपने चाचा के लिए कुछ खाने – पीने का प्रबंध करो। सेवा लाल जी ने अपने मित्र को रोकते हुए कहा ”भाई खाना-पीना बाद में होगा। पहले मैं जिस काम के लिए तुम्हारे पास आया हूं वह तो पहले सुन लो। हां , भाई बोल , बोल क्या बात है ? घर में सब ठीक तो है ना ? रामअवतार ने कहा।
सेवालाल जी की बात सुनकर रामअवतार थोड़ा गंभीर होते हुए पूछा। सेवालाल जी ने कहा भाई मैं मेरे दो बेटे हैं। मैं अपने बड़े बेटे की शादी के लिए एक अच्छी लड़की खोजने निकला हूँ। मैं तेरी बेटी को देखा। अब मैं तेरी बेटी का हाथ अपनी बेटे के लिए मांगना चाहता हूं। अपनी दोस्ती को मैं चाहता हूं कि यह रिश्तेदारी में भी बदल जाए। देखो भाई, मेरे दो बेटे हैं। मैं अपने बेटे करण के लिए काफी दिनों से एक अच्छी लड़की खोज रहा हूं।
तुम्हारी बेटी मुझे पसंद है। मैं अपने बेटे करण के लिए तुम्हारी बेटी का हाथ मांगना चाहता हूं। यह सुनकर रामअवतार काफी खुश हो जाता है। उसने कहा तुम्हारी बात तो ठीक है ,अगर तुम्हारा बेटा है तो मैं भी तैयार हूं कि हम दोनों की दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाए, लेकिन मैं एक बात कहना चाहता हूं। मैं अच्छी तरह से जानता हूँ , तेरा तो शहर में बहुत लंबा चौड़ा कारोबार है। काफी संपत्ति है तुम्हारे पास।
मैं तुम्हारी बराबरी कभी नहीं कर सकता। यार, सेवालाल जी ने कहा ,तू इसकी चिंता बिल्कुल मत करो। मेरे बेटे के लिए बड़े से बड़े घरों से पैसे वालों के रिश्ते आ रहें हैं। मैं एक सीधी सादी और साधारण घर की लड़की खोज रहा था। जो अच्छे संस्कार वाली हो मैं तेरी बेटी के अंदर सब कुछ देख लिया। बस तू हाँ कर दे। बाकी मेरे ऊपर छोड़ दे।
सेवा लाल जी की बातें सुनकर रामअवतार ने अपनी बेटी की शादी के लिए हां कर दिया। उसने सोचा ऐसा रिश्ता बैठे-बैठे अगर मिल जाता है तो कोई मना भी कैसे कर सकता है। घर की दरवाजे के पास खड़े होकर राधा सब सुन रही थी। सेवा लाल ने आगे करना प्रारंभ कि यह बात हुई न ,अब जल्दी से अच्छी सी मिठाई मंगा। अब मजा आएगा मुंह मीठा करने में।
रामअवतार के आवाज लगाने पर राधा शरमाते हुए घर के अंदर से कुछ खाने के लिए प्लेट में लेकर आयी। रामअवतार ने राधा को कहा , की , आज से यह तेरे ससुर हैं , इन के पैर छू। राधा ने उनका पैर छुआ और जल्दी से उठ कर शरमाते हुए कर घर के अंदर चली गयी। उसके जाने के बाद सेवा लाल जी ने अपने मित्र को कहा भाई ,मेरा बड़ा बेटा करण शहर में रहकर मेरा बिजनेस संभालता है और छोटा मेरा बेटा अंश गांव में ही रहता है और खेती बारी का काम देखता है।
मैंने अपने बेटे करण से भी शादी के बारे में बात किया है , वह बोला है कि पिताजी आप अच्छी सी लड़की देखकर आप मेरा ब्याह कर दो। रामअवतार बोला हां भाई , बड़े नसीब से ऐसी संतान मिलती है ,जो माता-पिता की बात माने और माता-पिता की सम्मान करें। मेरे तो भाग्य ही खुल गए, मैं तो हमेशा इस चिंता में ही घुला जा रहा था कि इस बिन मां की बच्ची की शादी – व्याह कैसे होगा ।
सेवा लाल जी ने बोला। ‘तू अब चिंता मत कर।’ शादी का सारा इंतजाम मेरे ऊपर छोड़ दे। अब मैं चलता हूं। रामअवतार जी ने अपनी घर के अंदर जाकर अपनी बेटी से पूछा ,” बेटी तू खुश तो है ना इस रिश्ते से। बड़ा अच्छा लड़का है। राधा ने बोला पिताजी ऐसा है कि मेरी शादी के बाद आखिर आपका ध्यान क्यों रखेगा ? इसलिए मैं अभी शादी नहीं करुँगी।
रामअवतार बोला , बेटी ऐसी बातें मत कर। मैं अपना ध्यान अच्छे से रख लूंगा। बहुत मुश्किल और नसीब से ऐसा रिश्ता मिलता है। सेवा लाल जी मेरे बचपन का दोस्त है , मैं उसे और उसके परिवार को बहुत अच्छी तरह से जानता हूं। कुछ दिन के बाद रामअवतार के घर दो लोग आए और राधा की शादी का मुहूर्त उन्हें बताएं। उन्हें सेवा लाल जी ने ही भेजा था।
अब रामअवतार शादी की तैयारी में पूरी तरह से जुट गया था। इस तरह कुछ दिन बीत गए। रामअवतार अपना थोड़ा से खेत को कहीं गिरवी रखकर कहीं से उधार में कुछ कर्ज वगैरह प्राप्त कर लिया ताकि इससे अपनी बेटी की शादी अच्छे से कर सके। एक दिन रामअवतार अपने मित्र और होने वाले समधी सेवालाल जी से मिलने उसके घर पहुंच गये । सेवा लाल जी ने अपने मित्र को देखकर गले से लगा लिया।
उसे अपने पूरे परिवार से और अपने दोनों बेटों से मिलवाया। सेवा लाल जी ने कहा ,भाई तू यहां आया है ,जरूर कोई विशेष बात है ?बताओ क्या बात है ? रामअवतार अपने दोनों हाथ जोड़कर बोला , नहीं भाई ,बस यह बताना के लिये आया था की शादी की तैयारी मैं कर चुका हूं। आप एक बार आकर सब कुछ देख ले और बता दे ताकि आपके मेहमानों को मैं अच्छी तरह से खातिर कर सकूँ।
सेवा लाल जी ने कहा हां मुझे पता है तेरे पास एक खेत था जो तूने गिरवी रख दिया है। इस तरह से शादी की सारी तैयारी क्यों कर रहे हो? मुझे तुम पर बिल्कुल विश्वास नहीं है। मैंने कहा था ना कि इसकी शादी की सारी तैयारियां मैं कर लूंगा। तुमने यह सब क्यों किया ?बताओ रामअवतार काफी आश्चर्यज में पड़ गया। उसने कहा कि भाई मेरी बेटी की शादी है ,मुझे भी तो कुछ इंतजाम करना है और खेत के अलावा मेरे पास कोई संपत्ति है भी नहीं।
रामअवतार जी के आंखों से आंसू बहने लगे थे। तभी सेवा लाल जी ने अपने छोटे बेटे अंश को इशारे से बुलवाया। कुछ देर बाद सेवा लाल जी ने रामअवतार जी के कंधे पर हाथ रखा। रामअवतार जी अपना सर झुका कर खड़े थे । सेवा लाल जी ने कहा ले भाई अपनी अमानत पकड़। ऐसी गलती कभी ना करना। यह कहते हुए उसने रामअवतार के जमींन गिरवी के कागजात उसके हाथों पर रख दिया। रामअवतार जी ने देखा की यह तो उसी खेत के दस्तावेज हैं जिसे जो उसने गिरवी रखकर पैसे लिए हैं ,यह आपके पास कैसे आए।
तब सेवा लाल जी ने कहा कि मेरा बेटा अंश आसपास के गांव के सभी लोग को जानता है। उसने किसी तरह से यह सुना था कि तुम अपने खेत गिरवी रख रहे हो तो यह बात आकर उसने मुझे बताया और यह बाद में वह गिरवी का कागज छुड़ाकर ले आया अपने पास रखे हुए था। रामअवतार के दोनों आंखों से झर -झर आंसू बह रहा था। सेवा लाल जी ने कहा भाई खेत ही गिरवी रख देगा तो कर्ज कहां से चुकाएगा ? और आगे खाएगा पियेगा कैसे ? आगे से ऐसी गलती मत करना ।
मैं तेरी बेटी को अपनी बेटी मान चुका है। बस तुम शादी में बढ़िया सा मिठाई का इंतजाम करके रखना। सभी लोग हंस पड़े। सेवा लाल जी ने कुछ रूपये रामअवतार जी के हाथ में रख दिया और कहा की जाओ शादी की तैयारी करो । सेवा लाल ने अपने मित्र को कहा। रामअवतार के मुँह से बस इतना ही निकला ‘मेरी बेटी के नसीब देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।
रामअवतार वहीँ एक कुर्सी पर बैठ गया , यह खुशी वह बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। आगे दोनों की शादी हो गई। रामअवतार अपने घर में अकेले रह गये । वह किसी तरह से अपना काम किया करता था। कुछ सालों के बाद रामअवतार जी की भी मृत्यु हो गई। रामअवतार जी को एक नाती भी हुआ था ,परंतु जीते जी अपनी नाती को वह देख नहीं पाए थे । रामअवतार शांति से मर सका क्योंकि उसकी बेटी की शादी एक अच्छे घर में जो हो चुकी थी। This is the Picture Stories for Kids
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