राक्षस और स्वीटी की कहानी | Mythological Stories for Kids

यह Mythological Stories for Kids कहानी है , जो काफी रोचक और काल्पनिक घटना पर आधारित प्रेरक कहानी है। छोटी सी यह हिन्दी कहानी कई आकर्षक पात्रों से भरपूर है।

यह कहानी एक बेहतर संदेश के साथ -साथ कहानी में एक भावनात्मक परिस्थिति भी प्रस्तुत करती है। साथ ही यह सचमुच Mythological Stories for Kids है।

हमारी अन्य कहानी संग्रह में नींद वाली कहानी भी एक रोचक कथा संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उनको कल्पनाओं की दुनिया में ले जाकर उनके मन में रोमांच पैदा करती हैं । ये कहानी रात के वक्त बच्चों को एक स्वप्निल दुनिया में ले जाती हैं।

उन कहानियों का नायक बच्चों के सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित होकर जीवन का जरुरी पाठ भी पढ़ाती हैं। यह Mythological Stories for Kids बड़े लोग भी पढ़कर एन्जॉय कर सकतें हैं।

राक्षस और स्वीटी की कहानी : Mythological Stories for Kids

short mythological stories for kids in hindi :- काफी समय पहले की एक बात है। एक नगर में सीताराम नाम का व्यापारी रहा करता था। उसकी तीन बेटियां थीं, जिन्हें वह बहुत प्यार करता था। सीताराम को अपनी सभी बेटियों की काफी चिंता रहती थी, क्योंकि उसे व्यापार के लिए कभी- कभी विदेश भी जाना पड़ता था। जब भी वह वापस अपने घर आता था, तो अपनी बेटियों के लिए कोई न कोई उपहार अवश्य लेकर आता था। तीनों में से सबसे छोटी बेटी का नाम स्वीटी था, जो सुंदर होने के साथ ही बहुत समझदार भी थी। उसे सब कोई पसंद करता था।

एक बार सीताराम अपने कुछ व्यापार के कारन समुन्द्र के दूसरे पार जाना पड़ गया था। काम ख़त्म होने के बाद वापस लौटते हुए समुन्द्र में बहुत बड़ा तूफान आ गया था। वह जिस जहाज में बैठा था वह जहाज डूबने लग गया। व्यापारी का सारा कमाया हुआ धन भी डूबने लग गया जहाज तो आखिरकार पानी में दुब गया परन्तु जैसे तैसे व्यापारी अपनी जान बचा कर एक निर्जन टापू पर पहुँच गया। टापू पर उसे एक बड़ा सा महल दिखाई दिया।

वह महल के दरवाजे के नजदीक पहुंचा। दरवाजा जादुई था, तो वह अपने आप ही खुल गया और सीताराम उस महल के अंदर प्रवेश कर गया। महल अंदर से काफी सुंदर था और उसके बीचों बीच एक बड़ी सी मेज पर बहुत सारा खाना- पीना रखा हुआ था।

व्यापारी को तेज भूख भी लगी थी, तो उसने मेज पर से एक सेब उठाकर खा लिया। तभी वहां एक बीस्ट यानी राक्षस के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी। व्यापारी उस आवाज को सुनकर बहुत डर गया और इधर-उधर छिपने लगा। तभी राक्षस ने कहा कि ‘ डरो नहीं आप तो हमारे मेहमान हैं।’ आराम से खाना- पीना खाकर आप जा सकते हैं। राक्षस के इस व्यवहार से व्यापारी काफी खुश हुआ और पेट भरकर खाना खाया और उसे धन्यवाद कहकर जाने लगा।

महल से बाहर निकलते ही सीताराम की नजर एक गुलाब के फूल पर पड़ी। उसने गुलाब के फूल को उठाने की कोशिश की। यह देखकर राक्षस को गुस्सा आ गया और वह सीताराम पर चिल्लाने लगा। उसने कहा कि तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है और इसकी सजा तुमको जरूर मिलेगी। अब तुम्हें जीवन भर यहीं पर रहना पड़ेगा।

यह सुनकर व्यापारी सीताराम डर गया और उसने कहा कि मुझे माफ कर दीजिए । घर में मेरी तीन बेटियां मेरा इंतजार कर रही होगी । मेरे अलावा उनका इस दुनिया में कोई नहीं है। तब राक्षस ने कहा कि यदि तुमको यहां नहीं रहना है, तो तुम अपनी जगह किसी और को यहां भेज सकते हो ।

सीताराम दुखी होकर अपने घर चला गया और काफी उदास रहने लगा। उसकी उदासी को देखकर तीनों बेटियों ने उसका कारण पूछा। तब सीताराम ने राक्षस के महल की पूरी बात उनको बता दी। पिता की बात सुनकर स्वीटी कहती है कि वह उस महल जाने के लिए तैयार है।सीताराम ने उसे बहुत समझाना चाहा कि ऐसे ही किसी महल में जाकर रहना अच्छा नहीं होगा। उसका पूरा जीवन ही बर्बाद हो जाएगा।

स्वीटी ने पिता की बात बिल्कुल नहीं सुनी। मजबूर होकर सीताराम ने राक्षस के महल में अपनी सबसे छोटी बेटी स्वीटी को भेज दिया।महल जाकर स्वीटी ने अपने स्वभाव से सभी को अपना दोस्त बना लिया। भी उससे खुश था। थोड़े समय बाद राक्षस को भी स्वीटी पसंद आने लगी थी और वह उससे शादी करने के सपने देखने लगा था । यह सपना देखते ही वह हर बार यह सोचकर डर जाता था कि वह एक राक्षस है। उससे इतनी अच्छी लड़की भला प्यार कर सकती है ?

एक दिन उस राक्षस ने स्वीटी से पूछा ही लिया कि क्या वह उससे शादी करेगी ? स्वीटी ने भी बिना डरे राक्षस को मना कर दिया। स्वीटी के मुंह से ना सुनने के बाद राक्षस दुखी होकर चला गया। राक्षस रोज स्वीटी से शादी की बात करता था और वह रोज मना कर देती थी । देखते ही देखते राक्षस ने स्वीटी को अपने घर वापस जाने की इजाजत दे दी। स्वीटी काफी खुश हुई।

फिर राक्षस ने स्वीटी को एक अंगूठी देते हुए कहा कि अगर तुम्हें भविष्य में कभी भी वापस आने का मन करे, तो तुम इस अंगूठी को अपनी उंगली से उतार देना। स्वीटी अपने घर पहुंची और अपने परिवार के साथ फिर से खुशी-खुशी रहने लगी। दो हफ्ते के बाद उसे अचानक उस राक्षस की याद आई। उसने अपने हाथ से अंगूठी उतारी और उस महल में पहुंच गई। वहां जाकर उसे पता चला कि राक्षस बीमार पड़ गया है। तब स्वीटी ने उसका बहुत सेवा किया और वो कुछ दिन बाद ठीक हो गया।

ठीक होने के बाद राक्षस रोज स्वीटी की सेवा करता था। उसका प्यार देखकर स्वीटी को वह राक्षस पसंद आने लगा। एक दिन जब फिर राक्षस ने उससे शादी के बारे में पूछा, तो स्वीटी ने तुरंत हां कर दी। तब राक्षस ने पूछा कि क्या वो इतने बड़े और अजीब-से दिखने वाले राक्षस के साथ जिंदगी भर साथ रह सकती है। उसने कहा कि हां वो भी उससे प्यार करने लगी है।

स्वीटी ने जैसे ही ऐसा कहा, तो वह  राक्षस अचानक एक सूंदर राजकुमार बन गया। तब राक्षस ने उसे बताया कि वह एक बुरे श्राप के कारण राजकुमार से एक राक्षस बन गया था। उसने कहा है कि वह श्राप केवल एक सच्चे प्यार से ही दूर हो सकता था, जो आज हो गया। इसके बाद स्वीटी और राजकुमार ने शादी कर ली और दोनों खुशी-खुशी जीवन अपना बिताने लगे। यह है पौराणिक कथाएं इन हिंदी

सीख – किसी की भी शक्ल -सूरत देखकर उसे अच्छा या बुरा नहीं कह सकते । इंसान के चेहरे की जगह उसके गुण को देखनी चाहिए।

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