यह Pariyon Ki Kahani in Hindi है जो बहुत ही रोचक कहानी है। छोटी सी यह हिन्दी कहानी कई आकर्षक पात्रों से भरपूर है। यह कहानी एक बेहतर संदेश के साथ एक भावनात्मक परिस्थिति भी प्रस्तुत करती है। यह Pariyon Ki Kahani in Hindi बच्चों को काफी पसंद आएगी।
हमारी अन्य कहानी संग्रह में नींद वाली कहानी भी एक रोचक संग्रह हैं , जो बच्चों की बेहतर परवरिश और उनको कल्पनाओं की दुनिया में ले जाकर मन में रोमांच पैदा करती हैं । ये कहानियां रात के वक्त बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं।
कहानी सुनकर बच्चे सो जातें हैं और कहानी का नायक उनके सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित होकर उनकों जीवन का जरुरी पाठ भी पढ़ाती हैं।
आजकल Pariyon Ki Kahani in Hindi जैसी नन्ही परी की कहानी काफी संख्या में इंटरनेट पर उपलब्ध भी हैं।
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परियों की कहानी : Pariyon Ki Kahani in Hindi
यह जादुई परियों की कहानी बहुत साल पहले की है। यह रंग बिरंगी परियों की कहानी है। बहुत साल पहले की एक बात है। एक पहाड़ के नीचे एक हरा भरा जंगल हुआ करता था। उस जंगल के बीचो-बीच एक गांव था। उस गांव में चार सुंदर सी परियां रहा करती थीं। जिसका नाम रूबी, ब्लू , लिली और गुलाबी था। उन सभी परियों के पास अलग-अलग अनोखी और अद्भुत शक्तियां भी थी।
रूबी नामक परी अपने लाल रंग की चमक से खेतों को भरपूर फसलों से भर देती थी। ब्लू परी सुबह-सुबह तालाबों को नीले रंग में बदलकर उसे अद्भुत तालाब में बदल दिया करती थी। लिली पेड़ों पर सुंदर-सुंदर फूल खिला देती थी और गुलाबी किसी इंसान को तरह-तरह की खुशियों का रंग और खुशियों के किरणें देती थी।
उस गांव के छोटे-छोटे बच्चे रोज इन परियों से मिलने के लिए आते थे। बढ़िया उन्हें छोटे-छोटे जादुई तोहफे दिया करती थी। कभी चमकता हुआ सितारा तो कभी सुनहरे पंख और कभी हंसी के फुहारे उन गांव के छोटे बच्चों को बढ़िया भेंट स्वरूप दिया करती थी। एक दिन उस गांव के पास से एक छोटी सी नन्ही बच्ची प्रिया गुजर रही थी।
प्रिया आज काफी उदास सी थी। क्योंकि उसके घर में किसी तरह की ख़ुशी नहीं थी। एक दिन प्रिया ने आसमान में सुंदर-सुंदर परियों को उड़ता हुआ देखा और परियों के साथ-साथ एक रोशनी का पुंज भी उसे दिखाई दिया। यह देखकर प्रिया काफी खुश हो गई और उसने उन परियों से मिलने के लिए बेचैन हो गयी।
एक दिन प्रिया उदास बैठी हुई थी तो चारों परियां उसके नजदीक पहुंच गई। परियों ने प्रिया से पूछा कि तुम क्यों उदास हो। प्रिया परियों से कहा कि मेरे पास कुछ भी नहीं है , मैं काफी गरीब लड़की हूं क्या आप मुझे भी खुशियां दे सकती हैं। परियों को प्रिया की इस बात पर काफी दया आई। उसने प्रिया के लिए सुंदर-सुंदर तोहफे लाने का वादा किया।
अगले दिन रूबी परी ने एक जादुई लाल पत्थर लाया और प्रिया को दिया ,ब्लू परी ने छोटा सा नीला कंगन , लिली ने फूलों का हार और गुलाबी परी ने खुशियों की एक छोटी बोतल प्रिया को उपहार में दी। जैसे ही प्रिया उन तोहफों को खोली उसकी उदासी धीरे-धीरे दूर हो गयी।
प्रिया ने सभी उपहार को अपने दिल से लगायी। उसने पहली बार हंसी की बोतल को खोली तो उसकी उदासी अचानक मानो हवा में उड़ गई। प्रिया ने अचानक से यह महसूस किया गया वह अकेली नहीं है बल्कि उसकी दोस्त अब सुंदर-सुंदर सी चार परियां भी है।
जब भी प्रिया को डर लगता है वह रूबी परियों के द्वारा ही दिया हुआ लाल पत्थर को देखती जिससे उसके सारे दर्द दूर हो जाते हैं।
वह नीला कंगन पहन लेती। धीरे-धीरे उन परियों ने प्रिया के माता-पिता का भी जीवन खुशियों से भर दिया था। अब प्रिया के गांव में हर एक व्यक्ति यह कहता है कि प्रिया की यह कहानी जादू और परियों का अनमोल सबक है।
मीरा ने भी यह सीखा की खुशियां बाहर से नहीं लाई जा सकती है बल्कि खुशी हमारे दिल में ही होती है।यह कहानी परियों की सच्ची कहानी है।
सीख :- दोस्ती और प्यार का कोई भी तोहफा दुनिया में सबसे अनमोल चीज होता है
चीकू और लूसी : Pariyon Ki Kahani in Hindi
एक हरे भरे जंगल में एक खरगोश रहता था। उस खरगोश का नाम चीकू उस्ताद था। वह बहुत ही चंचल और दी भर मस्ती करता था। प्रत्येक दिन सुबह में वह सूरज की पहले किरण उगते ही वह अपने घर से बाहर निकल कर कूद – फांद करते हुए जंगल के सैर पर निकल जाया करता था।
उसकी सबसे अच्छी दोस्त एक चिड़िया थी , जिसका नाम लुसी था। लूसी हर रोज चीकू उस्ताद के साथ ही रहती थी। जब चीकू जमीन पर दौड़ता, उछल-कूद करते रहता और उसकी दोस्त लूसी उसके अगल-बगल ही उड़ती रहती थी , और दोनों मिलकर जंगल के रहस्यों की खोज बीन किया करते थे।
एक दिन की बात है। चीकू उस्ताद ने सुना की जंगल में रह रहे एक मिठू नामक तोता के घर में बहुत सारे मीठे रसीले फल उगे हुए हैं। चीकू यह सुनकर अगले दिन लूसी के साथ उस तोते के घर पर पहुंच गया। चीकू ने देखा कि मिठू तोता के घर के पास पेड़ों पर काफी सारे फल लगे हैं।
परंतु वह फल काफी ऊंचाई पर थे। चीकू वहां तक नहीं पहुंच सकता था। यह देखकर लूसी ने चीकू से कहा कि ‘चलो मैं तुम्हारी मदद करती हूं’ . लूसी ने ऊंचाई पर पहुंचकर चीकू के लिए एक फल तोड़कर नीचे गिरा दिया। चीकू वो फल जमीन पर से उठाया और वह काफी खुश हो गया।
उसने लूसी को काफी धन्यवाद कहा। इसे यह समझ में बात आ गया था कि दोस्त वही होता है जो हमेशा एक दूसरे की मदद किया करतें है। घटना के अगले दिन वो और लूसी खेल रहे थे और वे दोनों फिर से जंगल के अंदर गए। जंगल में जाकर लूसी का पैर एक जंगली पेड़ में उगे कांटे में बुरी तरह से फंस गया और उसे काफी दर्द होने लगा।
उसका पैर उस कांटे से निकल नहीं पा रहा था। यह देखकर वह काफी घबड़ा गयी और जोर-जोर से रोने लगी। चीकू ने तुरंत उसके पास पहुंचते हुए उसे शांत रहने के लिए कहा और वह उसके पैरों में फंसे हुए कांटे को निकालना शुरू कर दिया। चीकू ने बड़ी सावधानी से लूसी के पांव में घुसा हुआ कांटा निकाल दिया।
लूसी को काफी आराम और राहत मिला। इस घटना के बाद लूसी ने सोचा कि मुश्किल समय में किसी को भी घबराना नहीं चाहिए। उस समय में धैर्य से काम लेना चाहिए। इस समय में दोस्तों की सलाह मानना भी काफी आवश्यक होता है।
जंगल के बाकी सभी जानवरों ने जब यह देखा कि चीकू और लूसी हमेशा साथ-साथ रहा करते हैं तो जानवरों ने मिलकर उन दोनों को चिढ़ाना भी शुरू किया
लेकिन चीकू ने मुस्कुराते हुए सभी को कहा कि सच्ची दोस्ती का मतलब भी यही होता है , हमेशा एक दूसरे के साथ रहना , एक दूसरे का साथ देना और साथ ही मुश्किल समय में एक दूसरे की मदद करना।
छोटा पंख और बड़े सपने: Pariyon Ki Kahani in Hindi
एक पेड़ पर मिठू नाम का एक छोटा तोता रहता था। उस मिट्ठू का रंग गहरा हरा बिल्कुल पेड़ के पत्ते के जैसा था। उस मिट्ठू की आवाज इतनी मीठी थी कि वह जब भी कुछ बोलता तो सभी जानवर उसकी मीठी आवाज सुनने के लिए उसी जगह रुक जाया करते थे।
लेकिन उस मिट्ठू को हमेशा एक बात काफी परेशान किया करती थी कि उसके शरीर पर पंख बाकी तोतों के जैसे बड़े-बड़े नहीं है। मिट्ठू देखता था कि उसके दोस्त तोते दूर-दूर तक उड़ान भर सकते थे लेकिन मिट्ठू से हो नहीं पाता। बड़ी मुश्किल से एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक ही मिट्ठू उड़ कर जा पाता था।
एक दिन की बात है , मिट्ठू ने सुना की जंगल के पश्चिम किनारे पर एक बड़ा ही सुंदर सा पोखरा ( तालाब )है। उस पोखर में जब सूरज की किरणें चमकती है और वह तालाब काफी सुंदर दिखता है। मिट्ठू के मन में उस तालाब तक जाने की इच्छा होने लगी, लेकिन वह अपने पंखों की बदौलत वहां उड़कर नहीं जा सकता था।
यह बात उसने अपने दोस्तों से कहीं। उसके सभी दोस्तों ने मिट्ठू को कहा कि तुम्हारे पंख तो बहुत छोटे हैं , तुम चाह कर भी उस तालाब तक नहीं पहुंच सकते हो। यह सुनकर मिट्ठू काफी निराश हुआ। परंतु मिट्ठू काफी मजबूत इच्छा शक्ति वाला तोता था। उसने हार नहीं माना। उसने सोचा कि चाहे मेरे पंख छोटे हो लेकिन मेरा हौसला और मेरा सपना तो बड़ा है।
अगले दिन मिठ्ठू ने अपने मन में यह निश्चय कर लिया था कि वह उस जादुई तालाब के पास पहुंचकर ही दम लेगा। उसने सोचा की वह थोड़ी-थोड़ी दूरी तक उड़कर एक दिन अपने मंजिल तक अवश्य पहुंच जाएगा। पहले दिन से उसने प्रयास किया। वह उड़ा और कुछ पेड़ों के पार तक का फैसला तय कर दिया।
मिट्ठू हर दिन थोड़ा और आगे बढ़ने लगा। तालाब के रास्ते में उसको काफी मुश्किलें भी आयी। कभी रास्ते में तेज हवा का झोंका आ जाता था और हवा उसे काफी पीछे धकेल देती थी। कभी-कभी आकाश में उड़ते हुए बड़े-बड़े पक्षी उसे डराते भी थे , लेकिन मिट्ठू ने कभी भी अपनी हिम्मत नहीं हारी।
वह प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा उड़कर आगे बढ़ता रहा। मिट्ठू के कई दिनों के मेहनत के बाद वह दिन आ ही गया जब वह उस जादुई तालाब के बिल्कुल ही नजदीक पहुंच चुका था। जैसे ही वह तालाब के नजदीक पहुंचा उसने तालाब के पानी में सूरज की चमकती हुई किरणें देखी तो उसे एक अलग ही दुनिया का एहसास हुआ।
उसकी आंखों में खुशी के आंसू आने लगे। आज उसकी मेहनत रंग लाई थी। मिट्ठू नया चीज सीखा की उड़ान पंखों से नहीं हौसलों से ही होती है। पंख छोटा या बड़ा होना मायने नहीं रखता है , अगर आपके मन में हौसला और इच्छा शक्ति है तो आप बड़े से बड़े मंजिल भी एक न एक दिन जरूर पा सकते हैं।
उस दिन के बाद से उसे जंगल के सभी जानवर मिट्ठू की तारीफ़ों के पुल बांधने लगे। मिट्ठू की यह कहानी हर छोटे बड़े जानवरों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी थी।
सबने उस मिट्ठू से यह सीखा कि सपना देखना और उस सपने को पाने के लिए सही दिशा में मेहनत करना ही असली जीत होती है।
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